जरूरत की बात-
विटामिन की गोलियाँ बीमार न कर दें!!
कई लोग तो बिना किसी बीमारी के ही मल्टीविटामिन की गोलियाँ खाते रहते हैं। उन्हें लगता है कि इससे शरीर की कमजोरी दूर होगी और खूब सारी ताकत मिल जाएगी। बीमारी से उबर रहे लोगों को इससे मदद भी मिलती है। लेकिन जरूरत के बिना मल्टीविटामिन खाने से आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई बार तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
कानपुर के रहने वाले ५० साल के एक व्यक्ति को फैक्चर हुआ उसने स्थानीय हड्डी डॉक्टर से इलाज लिया, बाद में वह स्वयं विटामिन डी की गोलियाँ खरीदकर खाने लगा। अचानक एक दिन उल्टी, चक्कर शुरू हो गये, अस्पताल ले गये तो वैâल्शियम और यूरिया, क्रिटनीन का स्तर खतरनाक था। डॉक्टर डायलेसिस करने लगे फिर वे आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट आए, एक माह रखकर चिकित्सा की गयी तब जाकर सब कुछ सामान्य हुआ।
फार्मा कम्पनियाँ मल्टीविटामिन को ऊर्जा और फुर्ती का भंडार बताकर बेच रही हैं। इससे ऐसे मामले बढ़ रहे हैं, जहां विटामिन की एक्स्ट्रा डोज लेने के चलते, लोग भयानक रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं।
आप और आपके परिवार में ऐसी स्थिति न आए इसलिए आज इस पर चर्चा करेंगे।
विटामिन और मिनरल्स शरीर के लिए बेहद जरूरी तत्व हैं। लेकिन शरीर को इनकी जरूरत उम्र, स्वास्थ्य और स्थिति के हिसाब से अलग-अलग होती है। महिला और पुरुषों में भी यह जरूरत अलग हो सकती है। अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है या नवजात बच्चे को दूध पिलाती है तो उसे दूसरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक जरूरत होगी।
कुछ लोग ज्यादा ताकत और जल्दी तंदुरुस्ती पाने के लिए खुद से ही मल्टीविटामिन्स जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं। इससे हाइपरविटामिनोसिस की स्थिति पैदा हो सकती है।
शरीर में असामान्य रूप से विटामिन जमा हो जाने की स्थिति को हाइपरविटामिनोसिस कहते हैं। इससे उत्तेजना या चिड़चिड़ेपन की स्थिति पैदा हो सकती है। अलग-अलग विटामिन के अधिक होने पर अलग-अलग स्थिति पैदा होती है।
शरीर में कोई भी चीज जरूरत से अधिक जमा होगी तो बीमार तो पड़ेंगे ही। विटामिन्स के केस में ओवरडोज से होने वाला साइड इफेक्ट भी उम्र और स्वास्थ्य के हिसाब से दिखता है। सामान्य तौर पर नींद न आने, तनाव, डिप्रेशन, झनझनाहट या शरीर का कोई हिस्सा सुन्न हो जाने जैसी समस्याएं पैदा
होती हैं।
विटामिन डी के ज्यादा होने पर कोमा तक की स्थितियां पैदा हो सकती हैं, विटामिन दो तरह के होते हैं। वॉटर साल्यूबल विटामिन यानी जो पानी में घुल जाते हैं और दूसरे फैट साल्यूबल यानी जो फैट में घुलते हैं।
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन सी वॉटर साल्यूबल हैं। अगर किसी में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की अधिकता हो गई है, तो उसे उल्टी, पेट दर्द, धुंधला दिखना, लिवर और त्वचा से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं विटामिन सी से माइग्रेन का दर्द हो सकता है और डायरिया, मितली, पेट में मरोड़ जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
फैट सॉल्यूबल विटामिन्स में विटामिन ए, डी, ई और के आते हैं। इनके ओवरडोज काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इनसे चक्कर आने, भ्रम, डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ये कई बार तो जानलेवा भी हो सकते हैं।
शरीर में जिंक की मात्रा अधिक हो जाए तो स्वाद और गंध का पता लगाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इससे डायरिया, सिरदर्द और मितली जैसी समस्याएं भी आ सकती हैं। लंबे समय तक मैग्नीशियम वाला सप्लीमेंट इस्तेमाल करने से ब्लड प्रेशर लो हो जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है।
• यह सही है कि विटामिन ए और ई की कमी होने पर बाल रुखे हो जाते हैं।
• राइबोफ्लोविन कम होने पर त्वचा से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।
• नियासिन के न होने पर शरीर में चकत्ते पड़ जाते हैं।
• विटामिन ए की कमी से रतौंधी की समस्या हो सकती है।
• विटामिन सी की कमी से मसूढ़ों से खून आ सकता है और दांत गिर सकते हैं।
विटामिन और मिनरल्स की कमी के और भी कई लक्षण हो सकते हैं। आमतौर पर बुजुर्गों, बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और शराब के लती लोगों को ये कमी होती है।
क्या करें विटामिन पूर्ति के लिए
विटामिन की कमी होने पर सप्लीमेंट्स लेने के बजाय खान-पान में सुधार करने की कोशिश करना चाहिए। नेचुरल सोर्स से मिले विटामिन और मिनरल्स आपको बीमार नहीं करते हैं और शरीर में अच्छे से अवशोषित हो जाते हैं। जैसे आँवला और शास्त्रोक्त रीति से बने च्यवनप्राश, ब्राह्मरसायन विटामिन सी के नेचुरल स्रोत हैं। शिलाजीत, चन्द्रप्रभा वटी आयरन की पूर्ति करते हैं। संतरा से विटामिन डी, सेव से विटामिन सी, डी और ए, स्ट्रॉबेरी से विटामिन डी, अनानास से कैल्शियम और पोटेशियम, गोदुग्ध और छाछ से भी विटामिन अच्छा मिलता है। गोघृत विटामिन ए का अच्छा स्रोत है। दूध, छाछ से विटामिन तथा मौसमी हरी सब्जियों से विटामिन बी-१२ इसके अलावा अंगूर, काजू, नारियल, पिस्ता, पत्ता गोभी, पालक, चोकर सहित गेंहूँ का आटा, टमाटर, शतावर से भी विटामिन बी शरीर को मिलता है।
सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्
आयुष ग्राम(चिकित्सा पल्लव)
अंक मार्च 2024
आयुष ग्राम कार्यालय आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग) चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)
प्रधान सम्पादक
आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी
घर बैठे रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका प्राप्त करने हेतु।
450/- वार्षिक शुल्क रु. (पंजीकृत डाक खर्च सहित)
Email - ayushgramtrust@gmail.com
Facebook- Ayushgram Chikitsalaya chitrakoot dham
Instagram- Ayushgram Chikitsalaya chitrakoot dham
YouTube- Ayushgram Chikitsalaya chitrakoot dham
Web- ayushgram.org
0 टिप्पणियाँ