सावधान ! हीटर या वार्मर खतरनाक है सेहत के लिए !

 ➦ सावधान !

 ➥ हीटर या वार्म खतरनाक है सेहत के लिए !

     भले ही हीटर वार्म ठण्डी में थोड़ा राहत पहुँचाते हों, पर ये त्वचा को बहुत हानि भी पहुँचाते हैं

 ➥ इसके अलावा हार्ट, किडनी, रोगी तथा ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए हानिकर है, ये चमड़ी में झुर्रियाँ     भी लाते हैं

 ➥  अभी हाल ही में एक शोध प्रकाशित हुआ है कि रूम हीटर और ब्लोअर व्यक्ति की त्वचा के लिए बहुत ही नुकसानदेह है इनके प्रयोग से त्वचा सीधे तौर पर गरम हवा के सम्पर्क में आ जाती है, शरीर से नमी सोखने का काम करते हैं, जो आगे चलकर बहुत नुकसानदायक हो सकता है। इनके सेवन से शरीर में ऑक्सीजन घटती है। भी घटाते हैं। आइये इस पर विस्तार से चर्चा करें-



➥ झुर्रियाँ- हीटर जाड़े में राहत पहुँचाने का काम भले ही करते हों, पर ये त्वचा के लिए बहुत नुकसानदायक भी होते हैं। इनके ज्यादा प्रयोग से त्वचा रूखी हो जाती है। आगे चलकर झुर्रियाँ बन जाती हैं और हमें अंदाजा भी नहीं मिलता कि इसका कारण हीटर हो सकता है। हीटर की हवा त्वचा की क्वालिटी खराब करके त्वचा के अन्दर के टिशूज को खराब कर देती है। जिनके खराब होने से पिगमेंटेशन की दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है जिससे सफेद दाग या बहुत कालापन हो सकता है।



➥ आँखों की समस्या- सर्दियां बढ़ेंगी और ठण्ड से बचने के लिए घरों में रूम हीटर व कार में वार्मर चलाया जा रहा है। ये सर्दी से भले ही बचाये पर आँखों के लिए इसका प्रयोग ठीक नहीं। हीटर या वार्मर के सामने आने से गर्म हवा सीधी हमारी आंखों में आती है और यह आँखों में ड्राइनेस का कारण बनती है। इसके कारण आंखों में खुजली, जलन और लालिमा के साथ दर्द की परेशानी होती है। यदि कार का वार्मर चला रहे हैं तो चेहरा वार्मर के सामने न रखें और रूम हीटर को तेज तापमान में लागातार न चलायें।




➥ स्वास्थ्य समस्यायें- जिस कमरे में आप हीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं वहाँ आक्सीजन का स्तर कम होने से सुस्ती, जी मिचलाना, सिर दर्द, ब्लडप्रेशर, गठिया, खाँसी और किडनी, हार्ट तक की समस्यायें आ सकती हैं।




➥ फेफड़ों की समस्या- इन हीटरों से ऐसे रसायन निकलते हैं, जो श्वसन तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं। रूम के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, व आपको घुटन हो सकती है। ऐसे रोगियों के फेफड़ों में बलगम जमा हो जाता है, जिसके कारण खाँसी और छींक आती है।




➥ बच्चों को बचायें- हीटर या वार्म से शिशुओं के मस्तिष्क और अंगों को बहुत नुकसान पहुँचाता है। कमरे में लगातार हीटर का इस्तेमाल बच्चों के लिए भी हानिकारक है।

➥ दमा- यह अस्थमा के रोगियों के लिए खतरा है जो और कई तरह के सांस के रोगों को जन्म देता है।

  बचाव  

रूम हीटर का कम से कम इस्तेमाल करें, स्किन को अच्छे से क्लीन करें और मॉश्चुराइज करें।

रूम हीटर का इस्तेमाल करते हैं तो रूम में हवा का रास्ता बनाये रखें जिससे ऑक्सीजन की कमी न होने पाए और बर्तन में पानी भरकर रख कर हीटर चलने पर जिससे रूम में नमी कम न होने पाये, खूब पानी पिये नहीं तो डिहाइड्रेशन हो सकती है।

ठण्ड से बचने के लिए रजाई, कम्बल का प्रयोग करें, गर्मी के लिए रबर की थैली में गरम पानी भरकर कम्बल, रजाई के अन्दर रख सकते हैं।


लेखक - 

आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी  

भारतीय चिकित्सा परिषद (उ॰प्र॰) के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। 

धन्वन्तरी पीठ, आयुष ग्राम (न्यास) के संस्थापक हैं। 

हार्ट, किडनी, कैंसर, लीवर, स्पाइन, बालरोग की बीमारियों में 

कई सालों से सफलता पूर्वक कार्य कर रहें हैं। 


  क्या ये सही नहीं है !!  

किडनी और ह्रदय रोगों की चिकित्सा आयुष में बहुत ही उत्कृष्ट है, ऐसे रोगी जिनकी अंग्रेजी दवा खाते-खाते शरीर की जीवनीय शक्ति और व्याधिक्षमत्व शक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाती है ऐसे रोगियों को आयुष चिकित्सा बहुत ही परिणामोत्पादक, प्रभावशाली और जीवनदायनी है, किन्तु लोगों  में जागरूकता का अभाव है जन-जन को इसका प्रचार करना चाहिए। आज अंग्रेजी इलाज की स्थिति यह है कि पहले एक गोली से इलाज शुरू होता है। धीरे-धीरे वह हार्ट, किडनी, लीवर का रोगी बन जाता है, और फिर, कभी भी बन्द न होने वाली दवाइयों का सिलसिला चलने लगता है। जबकि आयुष चिकित्सा मे दवायें धीरे-धीरे घटते-घटते बिल्कुल बन्द हो जाती हैं। ऐसे मे आप सभी का पावन कर्तव्य बनता है कि पीड़ित मानव का सही मार्गदर्शन करें और उन तक जानकारी पहुंचायें, ताकि ऐसे पीड़ित मानव का कल्याण हो सके और लोग अंग्रेजी दवाओं के जाल से बच सकें।             


डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
संस्थाध्यक्षआयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूटधाम (उ.प्र.) २१०२०५

डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।

इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।


 आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित 
   मोब.न. 9919527646, 8601209999
E-mail : ayushgramtrust@gmail.com
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