एंजियोप्लास्टी के बाद भी सुकून न था, आयुष ग्राम चित्रकूट से स्वस्थ हुआ!!
हम लाल देव सिंह (७१ वर्ष), कालाकांकर रोड, शीतलमऊ, प्रतापगढ़ (उ.प्र.) के निवासी हैं।
मुझे सन् २००० से मेरे कमर व पैर में काफी दर्द होता था जिसके लिए मैंने कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज में हड्डी के डॉक्टर व न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया। एमआरआई जाँच भी हुयी, लगातार अंग्रेजी दवायें लेता रहता था लेकिन कोई आराम नहीं था।
२०१६ जुलाई माह में एक दिन अचानक मॉर्निंग वॉक करते समय चक्कर आना महसूस हुआ, सारा दिन आराम करने के बाद शाम को आँखों के सामने अँधेरा छा गया, मुझे लारी हॉस्पिटल, लखनऊ ले गये वहाँ कॉर्डियोलॉजिस्ट को दिखाया, उन्होंने भर्ती किया और फिर एंजियोग्राफी हुयी, उसमें चार नसों में ब्लॉकेज बताया फिर कहा कि तुरन्त एंजियोप्लास्टी करायें, नहीं तो कुछ भी हो सकता है। मेरी एंजियोप्लास्टी हो गयी, स्टेण्ट पड़ गये पर इसके बाद खूब कमजोरी रहती थी जिसमें घर वालों ने खूब जूस पिलाया। फिर लॉक डाउन आ गया उस समय तबियत खराब होने लगी, सारी जाँचें कराने पर सुगर ३५० निकला। अब हार्ट और रीढ़ की दवा के साथ-साथ सुगर की भी अंग्रेजी दवा चलने लगी, मन हमेशा अशान्त रहता था क्योंकि हार्ट अटैक वाले मरीज को तो बहुत डरा दिया जाता है कि तीसरा अटैक पड़ने पर रोगी नहीं बचता है। रिश्तेदार देखने आते थे।
एक हमारे रिश्तेदार जिनको किडनी की समस्या थी उनका इलाज आयुष ग्राम (ट्रस्ट) के हॉस्पिटल आयुष ग्राम चिकित्सालय चित्रकूट हुआ था, उन्होंने हमें बताया कि चित्रकूट
के आयुष ग्राम ट्रस्ट के चिकित्सालय में जायें, वहाँ रोगियों का बिना ऑपरेशन हार्ट, किडनी, रीढ़ वाले का बहुत अच्छा इलाज है, हमें भी दिखाने की सलाह दी।
२० सितम्बर २०२१ को मैं और मेरी पत्नी व बेटे सहित आयुष ग्राम ट्रस्ट सूरजकुण्ड रोड, चित्रवूâट आ गये। पत्नी श्रीमती सुषमा सिंह को भी दिखाया था इन्हें भी कमर व घुटनों में असहनीय दर्द व जलन थी, ३ माह से चलना-फिरना बन्द था, सहारा लेकर चलती थीं, बेटे ने दोनों का रजिस्ट्रेशन कराया और नम्बर आने पर डॉक्टर साहब ने देखा और बोले आप ऑपरेशन न कराते तो अच्छा था। खैर, अब भविष्य में दिक्कत न होगी आप ठीक से इलाज करायें। यहाँ पर मेरा और मेरी पत्नी का १५ दिन तक पंचकर्म चला। स्वेदन कर्म, बस्ति कर्म, कटिपिचुधारण और बाह्यबस्ति हुयी। सबसे बड़ी विशेषता हमने यह पायी कि यहाँ कि दवाइयाँ और काढ़े आदि दवाइयों के खाने का तरीका, परहेज और खान-पान। यहाँ हमें औषधि सेवन, पथ्य सेवन और पंचकर्म बहुत ही नियमबद्ध तरीके से कराया गया। आप विश्वास करें कि जहाँ मैं रीढ़ के दर्द से कराहता रहता था, हार्ट की कमी से सांस पूâलती थी वहाँ मुझे १५ दिनों में लगभग ८०³ आराम मिला। मेरी सारी अंग्रेजी दवायें बन्द हो गयीं, गर्दन से लेकर पैर वाले दर्द में काफी आराम है। कमर व गर्दन की जकड़ाहट बहुत कम है। मेरी पत्नी को भी बहुत आराम है वह बिना सहारे के चलने लगी है।
अन्त में आप सभी से यही कहूँगा कि यदि मेरी जैसी किसी को बीमारी है तो एलोपैथी में उलझने के बजाय किसी सक्षम योग्य आयुर्वेद हॉस्पिटल की शरण लें बहुत लाभ होगा।
- लाल देव सिंह, कालाकांकर रोड, शीतलमऊ, प्रतापगढ़ (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)
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