चमत्कारिक जड़ी-बूटी रहस्य-
पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट की ऐसे सॉर्बीट्रेट कम हुयी पत्ता अजवायन से!!
आपके घर में या घर के आस-पास एक पौधा लगा होगा जिसे सुन्दरता/शोभा के लिए लगाया होगा, उसके पत्तों में अजवायन जैसी सुगन्ध आती है।
लोगों से पूछिए कि इस पौधे का काम क्या है, तो लोग कह देंगे कि अरे, यह तो अजवायन की गन्ध वाला पौधा है, या कह देंगे कि इसके पत्तों की पकौड़ी/भजिया बनाकर खा लेते हैं कभी-कभी।
इतनी उपयोगी, घरेलू, सरल और सहज औषधि। किन्तु दुर्भाग्य है कि इसका उपयोग इतना ही जानते हैं कि इसके पत्तों की पकौड़ी/भजिया बनाकर खा लेते हैं।
जबकि यह इतना चामत्कारिक, प्रभावशाली, उपयोगी पौधा है कि आप सोच नहीं सकते। पिछले महीने पटना उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने ऑन लाइन चिकित्सा परामर्श के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। उन्हें छाती में भयंकर दर्द होता था, वे २४ घण्टे में सॉर्बीट्रेट की ४-५ गोली तक खा लेते थे। २ साल पहले वे एंजियोप्लास्टी भी करवा चुके थे। अब डॉक्टर उन्हें ओपेन हार्ट सर्जरी की सलाह दे रहे थे, पर वकील साहब और उनके परिवारीजन सहमत नहीं थे।
उन्होंने आयुष ग्राम चित्रकूट की शरण ली, वे चाहते थे कि छाती के दर्द में थोड़ा कमी आए तो फिर हम चित्रकूट लेकर पहुँचें। ऑन लाइन चिकित्सा परामर्श के दौरान हमने कहा कि आपके घर में ‘शो’ के लिए अजवायन पत्ता लगा है क्या? उनकी पत्नी ने कहा कि हाँ! यह तो कई सालों से लगा है। हमने कहा कि काम बन गया, आप इसके पत्ते का रस सुबह १० मि.ली. पिला दें फिर १-१ घण्टे के अन्तर से ५-५ मि.ली. ६ बार दे दें और जवाहर मोहरा रत्न युक्त (कालेड़ा कम्पनी) का १-१ गोली दिन में २ बार दे दें। समझें कि चमत्कार होगा।
बस! क्या था कि उन्हें सच में चामत्कारिक लाभ हुआ। तीसरे दिन से सोर्बीट्रेट की १ गोली से ही काम चलने लगा, वे चौथे दिन यानी रविवार की ओपीडी में अपनी गाड़ी से चित्रकूट आये।
हमने चिकित्सा की और वे पूरी तरह से बाईपास सर्जरी से बच गये। हमने ‘पत्ता अजवायन’ इसलिए बताया कि उन्हें दिल के दर्द के साथ-साथ दस्त की भी शिकायत थी। यदि उन्हें ग्रहणी विकार (एक तरह की दस्त की बीमारी) न होती तो हम पत्ता अजवायन न बताते क्योंकि पत्ता अजवायन के सेवन से ‘मल का संग्रह’ हो जाता और रोग बढ़ जाता। इस आचार्यों ने ‘मलसंग्राहिणी परम्’ बताया है।
इसका औषधीय पादप का आदि निवास स्थान मलक्का, द्वीपसमूह है पर अब तो भारत में सर्वत्र मिल जाता है।
इसका वानस्पतिक नाम कोलियस अम्बोइनिकस (Coleus amboinicus) है। इसे विभिन्न प्रादेशिक भाषाओं में निम्नांकित नामों से जाना जाता है-
संस्कृत- पर्णयवानी
हिन्दी- पत्ता अजवायन
बंगला- पाथरचूर
मराठी-पान ओवा
गुजराती- ओवापान
तमिल- कर्पूरवल्ली
अंग्रेजी- कण्ट्री बोरेज (Country borage)
इसका गुण- लघु, रुक्ष, रस-कटु, तिक्त, विपाक- कटु, वीर्य- उष्ण होता है।
यह गरम और तीक्ष्ण होने से कफ वात शामक है। इसमें वेदनास्थापन (Analagesic) का अद्भुत गुण है। इसके अलावा यह मादक भी है और आक्षेपहर (Anti Convulants) है। यह भोजन में रुचि लाती है, भूख जगाती है तथा पाचन भी करती है। यकृत के कार्य को बढ़ाती है तथा मल को बाँधती है और कृमिघ्न (Antiworm) है। यह पथरी को तोड़ती है, पेशाब को भी लाती है। यह हृदय की दुर्बलता में बहुत ही लाभदायक है।
विसूचिका (कॉलरा) में इसके पत्ते का रस अचूक कार्य करता है। संजीवनी वटी के साथ या अकेले ही इसके पत्तों का रस ५-५ मि.ली. हर १ घण्टे में सेवन कराने से विसूचिका के दस्त रुक जाते हैं।
आचार्य चरक ने सूत्रस्थान ४/१५, ४/२७ चिकित्सा स्थान १२/९९, १४/११४, १८/१८२, सुश्रुत सूत्र ४६/१२१ में एक द्रव्य गण्डीर का उल्लेख किया है। किन्तु यह द्रव्य संदिग्ध बना रहा। अभी कुछ वर्षों पूर्व यह निर्णीत हुआ कि Coleus forskohlii जिसे पत्थरचूर, पाषणभेद कहते हैं उसको गण्डीर माना जा सकता है। किन्तु हमारा कहना है कि पत्ता अजवायन या पर्णयवानी को गण्डीर नहीं माना जा सकता क्योंकि इसके मूल में forskohlii नहीं पाया गया।
पर्णयवानी (पत्ता अजवायन) के कुछ घरेलू प्रयोग-
भूख की कमी में- पत्ता अजवायन के ५ पत्ते और ५ दाने कालीमिर्च भोजन के पूर्व चबाकर फिर हल्का सुपाच्य भोजन करते रहने से कुछ दिन में भूख खुलने लगती तथा वायु का अनुलोमन होता है।
पेट फूलने में- पत्ता अजवायन के ५ पत्ते, भुनी हींग १२५ मि.ग्रा. और अदरक २५० मि.ग्रा. भोजन के पूर्व चबाकर थोड़ा पानी पीने से धीरे-धीरे पेट फूलने की समस्या मिट जाती है।
पेट के कीड़ों में- पत्ता अजवायन २ से ५ पत्ते सुबह खाली पेट चबाने से पेट के कीड़ों की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। ७ दिन प्रयोग करना है।
जलोदर में- पत्ता अजवायन के पत्तों की लुग्दी बनाकर एरण्ड तेल में थोड़ा फ्राई कर जलोदर में लेप करने से लाभ मिलता है।
यकृत् की दुर्बलता में- यकृत् की दुर्बलता में पत्ता अजवायन बहुत ही लाभप्रद है। भोजन के बाद ४-५ पत्ते और अदरक २५० मि.ग्रा. चबाकर थोड़ा पानी पीने से धीरे-धीरे यकृत् की दुर्बलता मिटने लग जाती है। मावा, मैदा, तैलीय चीजें, मांस, अण्डे और गरिष्ठ चीजों का सेवन न करें।
पुरानी खाँसी में- पुरानी खाँसी में अजवायन पत्ता के ५ मि.ली. रस को शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बहुत लाभ मिलता है।
पथरी में- पत्ता अजवायन के ५ पत्ते और खाने का सोड़ा २ चुटकी मिलाकर सेवन करते रहने से ४ मि.मी.तक की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। पालक, टमाटर का सेवन न करें।
कान के दर्द में- पत्ता अजवायन का रस ५ बूँद थोड़ा गुनगुना कर कान में डालने से कान का दर्द मिटता है।
पेट दर्द में- पत्ता अजवायन रस ८ मि.ली., खाने का सोड़ा २५० मि.ग्रा. और भुनी हींग २५० मि.ग्रा. मिलाकर पिला देने से पेट का दर्द मिट जाता है।
कोरोना से नाक की गन्ध शक्ति मिट जाने पर- २० जुलाई २०२२ की ओपीडी में दिल्ली के एक रोगी चित्रकूट आये, कोरोना के कारण उनके नाक की घ्राण शक्ति चली गयी थी जो वापस आ गयी। हमने उन्हें २ माह पूर्व पत्ता अजवायन के पत्तों का रस २-२ बूँद रोज सुबह नाक में डालने की सलाह दी थी।
इस प्रकार यह बहुत ही गुणकारी औषधीय पादप है।
चिकित्सा पल्लव जुलाई 2022
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