सावधान! मल्टी विटामिन्स से भी घातक रोग होते हैं !!



सावधान! मल्टी विटामिन्स से भी घातक रोग होते हैं !!

                अगर आप यह मानते हैं कि विटामिन्स से कोई हानि नहीं होती और बिना चिकित्सीय सलाह के लम्बे समय से मल्टीविटामिन्स का सेवन कर रहे हैं तो अब आपको सावधान हो जाना चाहिये। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में अभी हाल में ही प्रकाशित एक शोध से यह सामने आया है कि मल्टी विटामिन्स की गोलियाँ किसी तरह का फायदा नहीं पहुँचाती हैं बल्कि इनके लम्बे समय तक सेवन करने से शरीर में एक जहर बढ़ता है जिसके फलस्वरूप सिर दर्द, चक्कर आना, सुस्ती, अधिक नींद आना, शरीर दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं जो अन्तत: किसी न किसी गम्भीर रोग का कारण बनते हैं।

                यह प्राय: देखा जाता है कि लोग बिना किसी जरूरत के फूड सप्लीमेण्ट के रूप में विटामिन की गोलियाँ खाते रहते हैं। यहाँ तक कि बहुत से डॉक्टर भी कमीशनखोरी के चलते लोगों को कमजोरी दूर करने के नाम पर बिना किसी जरूरत के विटामिन्स की गोलियाँ खाने की सलाह दे देते हैं। यही कारण है कि आज २०२२ में भारत में मल्टी विटामिन्स का बाजार ३५० करोड़ रुपये हो चुका है और एक सर्वेक्षण के अनुसार २०३० तक यह १००० करोड़ का हो सकता है।

                जबकि वैश्विक स्तर पर मल्टीविटामिन्स का यह बाजार २०२१ में १८.२४ बिलियन डालर का था जो २०२२ में बढ़कर १९.९८ बिलियन डालर हो गया है। २०२६ तक इस २७.३३ बिलियन डालर तक पहुँचने की सम्भावना है।

                जरा विचार कीजिए कि इस लम्बे चौड़े कारोबार का क्या उपयोग है? औषधियों का प्रयोग व्यक्ति को रोग से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है न कि उनको रोगी बनाने के लिए। क्या यह कारोबार लोगों का शोषण करने भर के लिए है? दु:ख की बात तो यह है कि धन्धों में कारोबारियों के साथ-साथ धरती पर भगवान माना जाने वाला चिकित्सक वर्ग भी शामिल है।

                आज चिकित्सा वैज्ञानिक स्वयं बता रहे हैं कि विटामिन्स न तो कैंसर का रोकथाम करने में सक्षम हैं न ही व्यक्ति को कोई और फायदा पहुँचाते हैं। यह निष्कर्ष अमेरिका के वैज्ञानिकों ने विटामिन ए,बी, सी, डी, ई और के पर शोध करके प्राप्त किये हैं। अभी तक आम लोगों और चिकित्सकों के बीच की यही धारणा थी कि विटामिन ए कैंसर से बचाव करता है। इस शोध में पता चला है कि विटामिन ए कैंसर से किसी तरह से बचाव नहीं करता है। इसी प्रकार विटामिन ई के सेवन से हार्ट अटैक का जोखिम कम नहीं होता बल्कि उल्टा बढ़ जाता है। विटामिन्स डी का ज्यादा सेवन करने पर पथरी बननी शुरू हो जाती है बल्कि हार्ट की आटर्रीज में कैल्शियम जमना शुरू हो जाता है जो अन्तत: हार्ट अटैक का कारण बनता है। इसी प्रकार विटामिन १२ से भी न तो कैंसर से बचाव होता है न ही बुढ़ापा रुकता है।

                वास्तव में किसी न किसी रोग में किसी न किसी विटामिन की कमी हो ही जाती है। टी.बी., किडनी फेल्योर, जठरांत्र सम्बन्धी रोग जैसे गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगियों को विटामिन्स की कमी दूर करने के लिए औषधि के रूप में ही सेवन कराया जाना चाहिये। यदि विटामिन की गोलियों के बजाय उसकी पूर्ति फलों व सब्जियों के माध्यम से की जाय तो बेहतर हो सकता है।



                इसी प्रकार बी-१२ नामक विटामिन, जिसका प्रमुख स्रोत पेय जल है, उसे आरओ नामक शुद्धिकरण की तकनीकि का प्रयोग कर समाप्त कर दिया जाता है और उसकी आपूर्ति गोलियों और इंजेक्शन के माध्यम से की जाती है। अब तो वैज्ञानिक प्रयोगों से यह साबित भी हो चुका है कि आरओ तकनीकि स्वास्थ्यप्रद एवं हानिकारक तत्वों में भेद नहीं करती, बल्कि पानी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले अनेक खनिजों और पौष्टिक तत्वों को भी नष्ट कर देती है।

                इसके विपरीत, हमारे देश का स्वास्थ्य विज्ञान आयुर्वेद स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को प्रकृति एवं मौसम के अनुरूप, स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाले फलों, सब्जियों और अनाजों का सेवन करने की सलाह देता आ रहा है जिनमें विटामिन्स सहित सभी प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रकृति एवं मौसम के अनुकूल फल, सब्जियों एवं अनाजों का सेवन करता है तथा उनको पचाने के लिए उपयुक्त शारीरिक श्रम या योग प्राणायाम करता है तो वह न केवल बहुत से रोगों का शिकार होने से बचा रहता है, बल्कि स्वस्थ और दीर्घायु भी होता है।

                यह एक स्थापित तथ्य है कि रोग हमारे गलत खान-पान और विकृत जीवनशैली के कारण ही होते हैं जबकि रसायनों से युक्त विटामिन्स की गोलियाँ हानि पहुँचाने के अलावा और कुछ नहीं करतीं।






आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी!

चिकित्सा पल्लव जुलाई 2022


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