अब इसकी जरूरत है !!

 


अब इसकी जरूरत है !!

                देश की आजादी के 75 साल पूरे हुये, सब जगह समीक्षा हो रही है कि हमने क्या खोया, क्या पाया। निश्चित् रूप से हमने हर क्षेत्र में तरक्की की पर चिकित्सा, स्वास्थ्य, संस्कार, संस्कृति क्षेत्र में वैसी उपलब्धियाँ नहीं अर्जित कर पाये जैसी होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि हम उसे ही नहीं सहेज पाये और न सहेज पा रहे हैं जो हमारा था। न उस विज्ञान को, न उस संस्कार को। उसका खामियाजा भी हमें ही भोगना पड़ रहा है। तभी तो मिशिगन यूनिवर्सिटी से निजी प्रवास पर आये सोशियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. एरिक गेडेस ने ७ अगस्त २०२२ को कहा कि मेरे देश की नकल कर भारत ने अपने संयुक्त परिवार, संस्कार व समाज की खुशहाली खो दी, अपने बड़े बुजुर्गों की उपेक्षा की और ग्रहण किया अकेलापन और नशा। डॉ. एरिक ने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता कि भारत की अपनी इतनी सुन्दर, इतनी महान् संस्कृति में क्या कमी नजर आती है और विदेशी संस्कृति में क्या अच्छाई समझ में आती है भारत के लोगों को। तो वे पश्चिम की नकल कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय खान-पान, भारतीय पहनावा, जीवनशैली, तीज-त्योहार के पीछे मेडिकल लॉजिक है इसे छोड़कर हमारी नकल करने में भारतीयों को आखिर हासिल क्या हो रहा है। मेरे देश की नकल कर भारतीयों को मिला नशा, लालच और अकेलापन। डॉ. एरिक ने कहा कि विदेशी संस्कृति का रास्ता आकर्षक हो सकता है पर पतन और अशान्ति कारक भी है।

                अब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर चर्चा कर लेते हैं तो वैज्ञानिक शोधों से भी यह प्रमाणित हो चुका है कि खुद बीमार न करें तो ३०० साल तक आपका दिल स्वस्थ रहता है तथा किडनी २०० साल तक। किन्तु आज नवयुवकों के हार्ट फेल हो रहे हैं तथा किशोरों की किडनी फेल्योर। जबकि हमारी वैदिक चिकित्सा में ऐसी प्रभावशाली चिकित्सा व्यवस्था है कि एक मरते हार्ट को जीवन मिल जाता है और किडनी फेल्योर के अंतिम अवस्था के व्यक्ति का भी कुछ जीवन बढ़ जाता है।

                कल्याण मुम्बई के वरिष्ठ डॉ. हैं, डॉक्टर बहनवाल, उन्हें हार्ट की समस्या हुयी, एलोपैथिक चिकित्सा लेते रहे, हालत बिगड़ती गयी, अंत में इनके मित्र डॉक्टर एंजियोप्लास्टी, ओपेन सर्जरी की ओर ले जाने लगे। तब इन्होंने अपनी भारतीय चिकित्सा की ओर रुख किया। आयुष ग्राम चित्रकूट की आयुष कार्डियोलॉजी में सम्पर्क  साधा और चिकित्सा शुरू की गयी। 4 माह की चिकित्सा के बाद डॉ. बहनवाल ने लिखा कि मुझे आयुष ग्राम चित्रकूट की चिकित्सा से बहुत फायदा हुआ। मैं पहले ५ मिनट चलता था तो छाती में खिंचाव और दर्द होता था और साँस फूलती थी, अब 30 मिनट अराम से चलने लगा हूँ कोई तकलीफ नहीं होती। अरे भाई! ओजरक्षक, ओजवर्धक चिकित्सा के बिना हृदय के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कहीं कल्पना की जा सकती है? बिल्कुल नहीं।

                अब जरूरत है कि हम देश की आजादी के 75वीं वर्षगाँठ में अमृत महोत्सव वर्ष में संकल्प लें कि हम अपने संस्कार, खान-पान, जीवनशैली, व्यवहार, तीज-त्योहार, पहनावा और अपनी वैदिक चिकित्सा पद्धति को सहेजें तथा उठायें। लार्ड मैकाले की दूषित शिक्षा प्रणाली के कारण विदेशी कल्चर भले ही आकर्षक हो पर उसका परिणाम पतनसमझकर उससे विमुख हों और दूसरों को भी विमुख करायें, तभी आजादी के अमृत महोत्सव का सही मायने निकलेगा और हम तथा हमारे सुखी, शांत आनन्दित, प्रफूल्लित और समृद्धिवान् हो सकेंगे। अकाट्य है।









आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी!

चिकित्सा पल्लव अगस्त 2022



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