बूढ़ी होती रीढ़ के ऑपरेशन से बच गये साजिद अहमद २ सप्ताह में!!



बूढ़ी होती रीढ़ के ऑपरेशन से बच गये साजिद अहमद २ सप्ताह में!!

                २६ जून २०२२ को प्रयागराज से इण्डियन बैंक के कर्मचारी फैक अहमद अपने १९ वर्षीय बेटे साजिद अहमद को लेकर आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट आये, रजिस्ट्रेशन के बाद जब वे ओपीडी में आये तो बड़ी पीड़ा, दु:ख के साथ बताया कि सर सीधे दिल्ली से लौटकर आ रहे हैं, इण्डियन स्पाइनल सेण्टर के डॉ. एच. एस. छाबड़ा को दिखाकर आये हैं। सन् २०२० से भटक रहे हैं, कहीं प्रयागराज, तो कहीं लखनऊ के डॉक्टर मजहर हुसैन तो कहीं दिल्ली के डॉक्टर छाबड़ा। जब तक पेन किलर खाते हैं तब तक आराम रहता है फिर वही हालत। अब तो डॉ. एच.एस. छाबड़ा ने ऑपरेशन के लिए स्पष्ट कह दिया है।

                आगे फैक अहमद ने बड़े ही दु:खी मन से कहा कि मेरा यह बेटा १९ साल का है। हम ऑपरेशन कराना नहीं चाहते, क्योंकि डॉक्टर साहब स्वयं कहते हैं कि ऑपरेशन के बाद कोई समस्या आ जाय या ठीक न हो यह भी हो सकता है। यह सुनकर मैं डर गया।

                फैक अहमद ने आगे कहा कि एक मुम्बई की रहने वाली महिला जिसका सम्बन्ध मेरे ससुराल में है वह आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट में बिना ऑपरेशन ठीक हुयी है, उसके घर वालों ने बताया है।

                रोगी की MRI of Dorso-Lumber Spine का अवलोकन किया जो इस प्रकार थी- Grade I anterolis thesis of L-5, over S-1, likely due to facet degeneration.

                प्रकृति परीक्षण किया गया तो भयंकर वात प्रकोप, कटि और पृष्ठ प्रदेश में स्थानसंश्रय था। वायु पित्त से आवृत्त था। क्योंकि रोगी ने प्रश्न परीक्षा में बताया कि जब वह गरम, खट्टा, कड़वा और नमकीन  सेवन करता है तो दर्द और रोग बढ़ जाता है। आचार्य चरक ने बताया कि-

लिंगं पित्तावृत्ते दाहस्तृष्णा शूलं भ्रम क्लम:।

कट्वम्ललवणोष्णैश्च विदाह: शीतकामिता।।

च.चि. २८/६२

                जब वायुपित्त से आवृत्त होती है तो जलन, प्यास, चक्कर आना, क्लम और शूल (दर्द) होता है। गृध्रसी के सापेक्ष निदान भी किया तो भी-

स्फिक्पूर्वा कटिपृष्ठोरुजानुजङ्घापदं क्रमात् ... ... वाताद्।।

च.चि. २८/५६

                इससे यह स्पष्ट है कि वात के असंतुलन के कारण ही कमर, पीठ, जानु, जंघा में पीड़ा है।

                एमआरआई की रिपोर्ट और वैदिक चिकित्सा के सिद्धान्तों के अनुसार जब रोग की सम्प्राप्ति निर्धारित की तो पाया कि-

                पक्वाशयगत वात प्रकोप " कटि सक्थि और अस्थि में विशेष स्थान संश्रय " विषमाग्नि " धात्वाग्नि वैषम्य " धातु का पोषण हानि उसी क्रम और परिणाम में मेरुदण्डास्थि का अपोषण और क्षरण " वात प्रकोप " शूल (दर्द), ग्लानि, अवसाद। यही एमआरआई का प्रदर्शन है।

                अरे! हम कैसे भूल जायें चरक के इस वाक्य को जिन्होंने हजारों वर्ष पहले यह अनुसंधान हमें दे दिया था कि निम्नांकित उपद्रव वातजन्य होते हैं।

संकोच: पर्वणां स्तम्भो भेदोऽस्थनां पर्वणामपि।

लोमहर्ष: प्रलापश्चपाणिपृष्ठशिरोग्रह:।

खाञ्ज्यपाङ्गुल्यकुब्जत्वं शोषोऽङ्गानामनिद्रता।।

च.चि. २८/२०-२१।।

                आचार्य चरक ने त्रिक्ग्रह और पृष्ठग्रह को भी ८० वात विकारों में ही बताया है। एवमेव गृध्रसी को भी वातविकार कहा है।

                उपर्युक्त निदान और अनुशीलनाआलोडन से यह तो स्पष्ट हो गया न कि साजिद अहमद की व्याधि वातज है, ऐसे में यदि वातादि दोषों का निर्हरण और संतुलन कर दिया जाय तो उसकी पीड़ा और रोग हटने लगेगा तथा वह ऑपरेशन से बच जायेगा।

                इसके लिए उन्हें आवासीय चिकित्सा की सलाह दी गयी और एलोपैथ में ऑपरेशन के अलावा अन्य कोई विकल्प था भी नहीं। अब वे २६ जून से दो सप्ताह के लिए आयुष ग्राम चित्रकूट में रह गये। चिकित्सा प्रारम्भ हुयी-

१. स्रोतोद्घाटनार्थ, आमपाचनार्थ और अग्निवर्धनार्थ पाचनीचूर्ण २ ग्राम, अश्वगन्धा चूर्ण ५०० मि.ग्रा. मिलाकर भोजन के पूर्व।

२. भूमि आँवला घनसत्व १० ग्राम, योगेश्वर रस, चिन्तामणि रस १-१ ग्राम कामदुधा रस मु.यु. ५ ग्राम, वातगजांकुश रस (निर्गुण्डी रस की ७ भावनायुक्त) १५०० मि.ग्रा., स्वर्णमाक्षिक भस्म ३ ग्राम, स्वर्णवंग २ ग्राम। सब मिलाकर १६ मात्रा। १*२ भोजनोत्तर ३० मिनट पश्चात्।

३. गन्धर्वहस्तादि टेब. १ गोली, एरण्डमूल चूर्ण २ ग्राम मिलाकर दिन में २ बार। दोपहर और रात में।

४. सुकुमार कषाय, रास्नादि कषाय १५-१५ मि.ली. बराबर मिलाकर समभाग जल में भोजन के ३० मिनट बाद।

५. रात में सोते समय- भल्लातकादि गुग्गुल १ ग्राम और अस्थिशृंखला चूर्ण ३ ग्राम मिलाकर गरम पानी से।

६. स्नेहपान गुग्गुलुतिक्तघृतम् से ३० जून २०२२ से।

७. पंचकर्म चिकित्सा में- स्नेहन, स्वेदन क्षीरतिक्त बस्ति, सुकुमार क्वाथ बस्ति, सैन्धवादि तैल बस्ति। कटिबस्ति सहचर तैल से।

आहार में- पेया, मण्ड, कृशरा, चणक, यव की मिश्रित रोटी, परवल की सब्जी, अदरक की चटनी।

                आयुर्वेद विशेषज्ञा डॉ. अर्चना वाजपेयी ही सम्पूर्ण आईपीडी व्यवस्था सम्हालती हैं जिसमें प्रतिदिन रोगी के रूम में जाकर चिकित्सा लिखना, निरीक्षण और पर्यवेक्षण आदि शामिल है।

                लगभग चौथे दिन साजिद अहमद ने कहा कि आज मुझे आराम है, किसी पेन किलर की आवश्यकता नहीं। पाँचवें दिन से वह ५-७ मिनट कुर्सी में बैठने लगा जो बिल्कुल नहीं बैठ पाता था।

                जब डिस्चार्ज हुआ साजिद २ सप्ताह बाद जब साजिद अहमद डिस्चार्ज हुआ तो १०-१० मिनट तक कुर्सी में बैठने लगा और बिना सहारे सीढ़ियों में चढ़ने-उतरने लगा, कमर दर्द में बहुत आराम था। उनके पिता ने कहा इतने भटकाव के बाद आज मुझे सुकून मिला। देश के जाने-माने डॉक्टरों ने कहा था कि इसका ऑपरेशन के अलावा कोई इलाज नहीं और वह भी कोई गारण्टी नहीं। उसने कहा कि मेरा वश चले तो दुनिया में मैं आयुर्वेद और आयुष ग्राम की चिकित्सा पद्धति को पहुँचा दूँ।

                ९ जुलाई २०२२ को वे डिस्चार्ज हुये थे और २२ जुलाई २०२२ को आयुष ग्राम चिकित्सालय की नर्स कु. शालू ने फोन पर हाल-चाल लिए तो बताया कि बेटा फैक अहमद बहुत खुश है। उनका वीडियो सुनने के लिए लिंक : http://youtu.be/09Y3UTFv8CU है। रोगी की अनुभूति पेज ९ में प्रकाशित है।

                हमें चिंतन करना चाहिए कि आचार्य चरक जैसा महान् चिकित्सा वैज्ञानिक डिण्डिम घोष कर कह रहा है कि-

अध्यात्मलोकोवाताद्यैर्लोकोवातरवीन्दुभि:।

पीड्यते धार्यते चैव विकृताविकृतैस्तथा।।

च.चि. २६/२९२

                कि जिस प्रकार वायु, सूर्य और चन्द्रमा के प्राकृत रूप में रहने पर बाह्य जगत सुखी और निरुपद्रव रहता है और इनके विकृत, असंतुलित और दोषपूर्ण कार्य करने से संसार में विकार और उपद्रव फैल जाता है। ऐसे ही यदि शरीरान्तर्गत वात, पित्त, कफ संतुलित रहें तो शरीर निरोग और निरुपद्रव रहता है और इनके विकृत होने से शरीर पीड़ित होने लगता है।

भटक रहा है मानव अज्ञानता से

                इतनी वैज्ञानिक, सरल और स्पष्ट वैदिक घोषणा होने के बावजूद भी भारत का मानव अपनी अज्ञानता, अविवेक के कारण दु:खी, पीड़ित रहे, भटकता रहे या रोग को जटिल करता रहे, अपने को छुरी के हवाले कर ऑपरेशन कराता रहे तो फिर उसका भोगमान ही माना जाय।

                हमें आशा है आप इस लेख से लाभ उठायेंगे तो ऐसे पीड़ित रोगियों को स्वस्थ और सुखी करने की ओर उन्मुख होंगे तथा भ्रम तोड़ेंगे कि रीढ़ का ऑपरेशन इलाज नहीं बल्कि सही, वैज्ञानिक तरीके से प्रयोग किया गया आयुर्वेद इलाज है।






आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी!

चिकित्सा पल्लव जुलाई 2022



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