केन्या (अफ्रीका) के पूर्व प्रधानमंत्री रैला अमोलो ओडिंगा की बेटी रोजमेरी ओडिंगा की बेटी की आँख की रोशनी भारत की धरती में वैदिक चिकित्सा ‘आयुर्वेद’ से वापस आयी वह भी केवल ३ सप्ताह में। आयुर्वेद का प्रभाव, वैज्ञानिकता देखकर बहुत उत्साहित हुये, ओडिंगा ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से आयुर्वेद को अपने देश में ले जाने का प्रस्ताव रखा, इस सुघटना से भारत के प्रत्येक आयुष चिकित्सक और आयुष चिकित्सा प्रेमी का ही नहीं वरन् भारत के जन-जन का सीना गर्व से इसलिए फूला समाया कि हमारे भारत भूमि में ऐसे महान् ऋषि, चिकित्सा वैज्ञानिक, साधक, शोधक और बोधक पूर्वज हुए जिन्होंने भारत में महान् चिकित्सा विज्ञान ‘आयुर्वेद’ का आविष्कार किया।
केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी ने २०१७ में ‘ओएनडी’ के कारण अपने आँखों की रोशनी खो दी थी, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, इजराइल और चीन में भी उपचार कराया, कोई भी इलाज सफल नहीं हो सका, अंत में वे केरल के श्री धरीयम् आयुर्वेदिक आई हॉस्पिटल में इलाज हेतु आये और ३ सप्ताह के इलाज से रोशनी लौट आयी। इससे यह तो सिद्ध हो गया न कि भारत की वैदिक चिकित्सा ‘आयुर्वेद’ उस महान्तम स्थिति में है जहाँ पर आज भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (एलोपैथी) नहीं पहुँच पायी।
चूँकि यह मामला एक देश के पूर्व प्रधान मंत्री की बेटी का था इसलिए खूब ‘हाई लाइट’ हुआ, ऐसे ही आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट द्वारा और इसके पूर्व दिव्य चिकित्सा भवन से लगातार किडनी, लीवर, हार्ट, रीढ़, मस्तिष्क, मनोरोग, अस्थिरोग, इंसुलिन निर्भरता आदि के ऐसे-ऐसे केस सफल किए जा रहे हैं जो या तो एलोपैथ चिकित्सा से खराब हुये या एलोपैथ चिकित्सा ने हाथ खड़े कर दिये। किन्तु सीमित संसाधनों के कारण ‘स्वान्त: सुखाय’ और ‘प्राणिनामार्तिनाशनम्’ की भावना के कारण सीमित समाज तक ही इनकी जानकारी पहुँच पा रही है।
आयुष ग्राम चिकित्सालय की आयुष कार्डियोलॉजी से ऐसे-ऐसे हार्ट रोगियों को जीवन मिला और मिल रहा है जिनका हार्ट ११³ ही काम कर रहा था, ऐसे लोग जो दो-दो बार स्टेंट डलवा चुके थे और हताश थे, उन्हें पुनर्जीवन मिला। इतना ही नहीं आयुष ग्राम चित्रकूट ने कोरोना काल में न जाने कितने लोगों को आईसीयू जाने से बचाया गया तो न जाने कितने लोगों को आईसीयू से निकाला। हर माह न जाने कितने लोगों को डायलेसिस में जाने से बचा लिया जाता है और न जाने कितने लोगों को डायलेसिस से उबार लिया जाता है। स्टेंट या एंजियोप्लास्टी कराये और पीड़ित हृदय रोगियों को पुनरुत्साह, निरामयता और सामान्य जीवन प्रदान किया जा रहा है।
केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी की आँखों की रोशनी वापस आने के समाचार से एक तथ्य तो निकल कर आ रहा है न कि जागरूकता, ज्ञान, प्रचार-प्रसार के अभाव में आयुर्वेदिक चिकित्सा जैसी चामत्कारिक, प्रभावशाली और वैदिक विधा का लाभ जन सामान्य तक नहीं पहुँच पा रहा, अत: ‘ओ-एन.डी.’ जैसी आँख की बीमारी से भारत में असंख्य लोग अन्धे ही बने रहते हैं। चूँकि केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री अतिविशिष्ट कोटि के व्यक्ति होने के कारण उन्हें वैदिक चिकित्सा आयुर्वेद के प्रभाव, समृद्धि की जानकारी हो गयी और उनकी बेटी फिर से देख सकी, यदि कोई सामान्य व्यक्ति होता तो वह जानकारी के अभाव में अपने को अंधा ही मानकर चुप बैठ गया होता। इसलिए सरकारों का और हम सबका कर्तव्य होना चाहिए कि वैदिक चिकित्सा ‘आयुर्वेद’ के बारे में खूब जागरूकता लायी जानी चाहिए, हर रोग में एलोपैथ चिकित्सा या एलोपैथ चिकित्सकों द्वारा दिए गये निर्णय को ही अंतिम नहीं मान लेना चाहिए। तुरन्त सर्जरी को स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए और न ही हताश होकर बैठ जाना चाहिए क्योंकि अभी भारत में भारत की ऋषि परम्परा, वैदिक परम्परा का उपहार वैदिक चिकित्सा विज्ञान ‘आयुष’ है न। उसका लाभ सभी को उठाना चाहिए।
चिकित्सा पल्लव मार्च 2022
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