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श्यामू साथ में उसकी माँ मंजू देवी |
➡️ मैं मंजू सिंह बेटा श्यामू (13 वर्ष) कक्षा 8 का छात्र है। हम बहुत गरीब परिवार से हैं, रहने वाले रुना कला थाना- गाजीपुर, फ़तेहपुर (उ.प्र.) से हैं। मेरा बेटा बहनों में सबसे छोटा है, घर में सबका लाड़ला है, जो माँगता था खाने को वही दिया जाता था, दुकान की चीजें बहुत खाता था।
➡️ 1 माह पहले स्कूल में
बुखार आ जाने से स्कूल से घर आ गया, गाँव के डॉक्टर
को दिखाया, दवायें चलीं, इंजेक्शन लगे, बुखार तो कम हो गया लेकिन गले में छाले पड गये।।
➡️ अब हम लोग
गाजीपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में ले गये, 4 दिनों तक अंग्रेजी दवायें चलीं, इंजेक्शन व बोतल
चढ़ाई गयीं लेकिन कोई आराम नहीं मिला तो
हम लोग फ़तेहपुर के नर्सिंग होम में गये, वहाँ पर जाँचें हुयीं, जांच में किडनी में इंन्फेक्शन बताया गया, वहाँ पर सभी अंग्रेजी दवायें चलीं, 4-5 दिनों तक
भर्ती रखा गया लेकिन कोई आराम नहीं हुआ।
➡️ फिर हम लोग कानपुर के अंजन हॉस्पिटल (प्राइवेट) ले गये, यहाँ पर जाँचें देखीं और भर्ती किया गया, मेरे बेटे के पेट में दर्द बहुत हो रहा था, सूजन
पूरे शरीर में थी, गले में
छालों के कारण कुछ खा-पी नहीं पा रहा था, कानपुर के गले के
डॉक्टर ने देखा तो कुछ आराम मिल गया लेकिन और भी समस्यायें बढ़ती जा रहीं थीं।
➡️ यहाँ 4 दिनों तक ऐसे ही
भर्ती रखा लेकिन बाद में आईसीयू में भर्ती करने के लिए बोलने लगे तो हम लोग उसे घर ले आये।
➡️ फिर उसी समय मेरे गाँव के
एक व्यक्ति सुधाकर विश्वकर्मा जो 4 साल पहले आयुष ग्राम चित्रकूट
में
बहुत ही गंभीर अवस्था में लाये गये,
किडनी फेल थी डॉक्टर डायलेसिस की बात कह रहे थे, यहाँ रहकर
इलाज कराये थे और वह आज
भी पूर्ण स्वस्थ हैं उनके द्वारा आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला।
➡️ हम लोग 23 दिसम्बर 2020 को
अपने बेटे को लेकर सुधाकर जी के साथ आयुष ग्राम चित्रकूट आये, रजिस्ट्रेशन हुआ, फिर नम्बर आने पर डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होंने सारी समस्यायें पूछीं और कुछ जाँचें करवाईं जाँच में किडनी में सूजन बतायी, पेशाब में प्रोटीन आ रहा था, पित्ताशय, आंतों में
भी सूजन थी। हम लोग तो अनपढ़ हैं हम लोगों को इन सब का ज्ञान बिल्कुल नहीं था।
➡️ उन्होंने कहा की 2 सप्ताह
के लिए भर्ती कर चिकित्सा करवानी पड़ेगी, हमने अपने बेटे
को 2 सप्ताह के लिए भर्ती किया गया।
➡️ मेरा बेटे भर्ती होने से डर गया था क्योंकि जहाँ - जहाँ भर्ती हुआ था सभी
जगह रोज़ - रोज़ इंजेक्शन, से परेशान हो गया था, उसे लग रहा यहाँ भी यही सब
होगा लेकिन सब ने मेरे बेटे को समझाया यहाँ पर कुछ ऐसा नहीं होता है।
➡️ 2 सप्ताह भर्ती कर चिकित्सा करवायी गयी, जब हम बेटे को लेकर आये उस समय उसके पेट में दर्द बना रहता था, गला बहुत सूखता था, पानी पीने से उसके नाक से निकलने लगता था, पूरे शरीर में सूजन थी, अपने आप से करवट नहीं ले पा रहा था।
➡️ 2 सप्ताह भर्ती करके चिकित्सा हुयी, पंचकर्म हुआ, आयुर्वेद दवायें दी जातीं, नर्सें और डॉक्टर आते, समय-समय दवायें देते, रोगी को देखते, रोगी के हिसाब का खाना भी यहीं से मिलता, 2 सप्ताह में बेटा बहुत स्वस्थ हो गया, सिर्फ कमजोरी है और गले में पानी पीने से थोड़ी समस्या होती है और सूजन तो बिल्कुल खत्म हो गयी, पेटे के दर्द में पूर्ण आराम हो गया।
➡️ मैं बहुत खुश और दु:खी भी
हूँ। खुश इसलिए हूँ की मेरे बेटे ठीक हो गया। दुखी इसलिए हूँ की अंग्रेजी
अस्पतालों में लूट गया।
➡️ मेरा बेटा रोज़ - रोज़ के इंजेक्शन, बोतलों से बच गया, इन सभी के कारण वह अन्य हॉस्पिटल से उसे लगा कि कहीं भी जाएंगे तो यही सब होगा लेकिन चित्रकूट में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे मेरा बेटा बहुत खुश है।
मंजू सिंह
रुना काला गाजीपुर, फ़तेहपुर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)
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