10 लाख तक खर्च होते गये लड़का अपंग हो गया 2 हफ्ते में ऐसे चलकर गया आयुष ग्राम चिकित्सालय से!!


10 लाख तक खर्च होते गये लड़का अपंग हो गया 2 हफ्ते में ऐसे चलकर गया आयुष ग्राम चिकित्सालय से!!

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भारत की ऋषि परम्परा से पोषित, ऊर्जित और आविष्कृत वैदिक चिकित्सा आयुर्वेद इतनी समृद्ध है, ऐसी चामत्कारिक है कि यदि रोगी अपनी इम्युनिटी नष्ट होने के पहले पहुँच जाय तो ऐसे लाभ मिलते हैं जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट में रोज ऐसे चुनौतीपूर्ण केस आते हैं और जब पूरे शास्त्रीय विधि से चिकित्सा की जाती है तो संतोषजनक परिणाम तथा पीड़ित मानव को सुखी देखकर बहुत ही प्रसन्नता होती है। हमें कृतज्ञ होना चाहिए अपने ऋषियों के और उनके ज्ञान-विज्ञान के तथा उसका खूब प्रचर-प्रसार कर मानव कल्याण करना चाहिए।

24 दिसम्बर 2021 को पूर्वान्ह 10.46.15 पर आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट की ओपीडी में अरसद पुत्र फैयाज  उम्र 14, पता- ढकवा बाजार सोनपुर (पट्टी), प्रतापगढ़ (उ.प्र.) का ए.आर. 140/30 पर रजिस्ट्रेशन हुआ।

इस किशोर रोगी को उनके माता-पिता ओपीडी में टाँगकर लाये, लड़का कराह रहा था। केसहिस्ट्री क्रम में उसके पिता पैâयाज और माँ ने बताया कि हम 7-8 साल से दु:खी हैं, लखनऊ पीजीआई, सुल्तानपुर, प्रयागराज, बनारस, जौनपुर आदि जगहों में इलाज कराते रहे पर लाभ नहीं मिला और हमारा बेटा अपंग हो गया, आज हम इस गोद में लेकर जा रहे हैं सब जगह इलाज कराने। 

एलोपैथिक दवा का जब तक प्रभाव रहता था तब तक ही दर्द में कुछ राहत फिर दर्द। एलोपैथ में वैâल्सियम, विटाामिन डी, फोलीट्रेक्स, स्टेरॉयड (कोर्टिकोस्टेरॉयड) सब दिए जा चुके थे। *अरसद का हेमोग्लोबिन 8.2 था, सीबीसी में तमाम विकृति थी। सीआरपी भी बढ़ा था।


आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट में जब आयुर्वेदोक्त प्रकृति परीक्षण किया गया तो प्रकृति वातपित्तज, विकृति रस, रक्त, अस्थि, मज्जा। आहारशक्ति, व्यायामशक्ति, नींद, पुरीष अवर। मूत्र सदाह। शाखागत रोगाश्रय। धात्वाग्नियों की मन्दता, वात प्रधान पित्त और कफ का असंतुलन। संधिस्थानों में शोथ भयंकर शूल। 

वाग्भट बताते हैं-

*उष्णोऽल्पबलत्वेन धातुमाद्यमपाचितम्*।

*दुष्टमामाशमगतं रसमामं प्रचक्षते*।।

अ.हृ.सू. १३/२५।।

*आमेन तेन सम्पृक्ता दोषा दूष्याश्च दूषिता:।*

*सामा इत्युपदिश्यन्ते ये च रोगास्तदुद्भवा*:।।

अ.हृ.सू. १३/२७।।

आयुर्वेदीय दृष्टि से आयुष ग्राम चित्रकूट में ‘अरसद’ में आमवात का निदान हुआ। जिसकी सम्प्राप्ति इस प्रकार थी-

*मिथ्याहार विहार का सेवन* ¨ अग्नि पर प्रहार फलत: ¨ अग्निमांद्य ¨ आमदोष *(Auto antigen)* की उत्पत्ति ¨ आम ± वातदोष की विकृति, आम एवं वातदोष का श्लेष्मस्थान जैसे संधि, हृदय, आमाशय में स्थानसंश्रय जिससे सार्वदैहिक लक्षणों (भारीपन, जकड़ाहट, शोथ, शूल की उत्पत्ति)।

रोगी अरसद को भर्ती किया गया। यहाँ चिकित्सा सूत्र वही अपनाया गया जो आचार्य चक्रपाणिदत्त ने २५/१ में बताया है-

*लंघनं स्वेदनं तित्तंâ दीपनानि कटूनि*।

*विरेचनं स्नेहपानं बस्तयश्चाममारुते*।।

*सैन्धवाद्येनानुवास्य क्षारबस्ति* *प्रशस्यते*।।

ध्यान रखने की बात है कि यदि अल्पदोष हो तो आर्ष चिकित्सा के वैज्ञानिक महर्षि चरक ‘लंघन’ की चिकित्सा का निर्देश देते हैं, दोष मध्यम हो तो लंघन-पाचन जब दोषाधिक्य हो तो दोषावसेचन (संशोधन) होना चाहिए। इसके साथ-साथ रसायन चिकित्सा (नैमित्तिक रसायन) और पथ्य, आहार-विहार। तदनुसार निम्नांकित चिकित्सा व्यवस्था विहित की गयी-

1. *शुण्ठीधान्यकघृत* (भा.प्र.) 5-5 ग्राम दिन में 3 बार नाश्ता व भोजन के पूर्व गरम जल से।

२. *शुण्ठी, सहचर, गोक्षुरघन, अश्वगन्धाघन* का मिश्रण 2-2 ग्राम दिन में 3 बार। नाश्ता व भोजन के 30 मिनट बाद।

3. *नयोपायम कषाय* (सहस्रयोग) २ चम्मच गन्धर्वहस्तादि कषाय (सहस्रयोग) २ चम्मच पानी, ४ चम्मच मिलाकर सुबह-शाम।

4. *कुटकी, कालमेघ, नागरमोथा, चिरायताघन* का मिश्रण १ ग्राम १²२।

5. *चिकित्सालय में निर्मित योगेश्वर रस 125 मि.ग्रा., वृहतवातेश्वर रस* 125 मि.ग्रा. (केशरयुक्त) दिन में २ बार गरम पानी से।

6. *गुरु रसायन* 500 मि.ग्रा.।

*डॉ. अर्चना वाजपेयी, एम.डी. (कायचिकित्सा)* प्रतिदिन राउण्ड में जाकर पंचकर्म प्रेस्क्राइब करतीं डॉ. चौबे जी के निरीक्षण में पंचकर्म किया जाता। पंचकर्म में स्वेदन, स्थानीय स्वेदन पिप्पल्यादि तैल का अनुवासन, पाचनामृत कषाय से निरूहण आदि किया जाता रहा। 

*तीसरे दिन का परिणाम- बिना किसी एलोपैथिक पेन किलर के रोगी अरसद तीसरे दिन अपने से खड़ा होने लगा और चलने लगा*। क्षुधा जागृत हो गयी तो भोजन में- अष्टगुणमण्ड दिन में ३ बार। कुछ दिन बाद चना, गेंहूँ, जौ की रोटी, सब्जी, तुरई दिया जाता रहा। 

2 सप्ताह बाद डिस्चार्ज किया गया उस दिन माता-पिता कितना प्रसन्न थे कि जिस बच्चे को टाँगकर लाये थे और टाँगे-टाँगे घूम रहे थे वह बच्चा आयुष ग्राम चित्रकूट से चलकर नहीं दौड़कर गया। ऐसी है प्रभावशाली, चामत्कारिक हमारे देश की वैदिक चिकित्सा। पर दुर्भाग्य है लोग समय पर पहुँच नहीं पाते और न पहुँचा पाते। जबकि समय आ गया है कि जन-जन तक अपने देश के गौरवपूर्ण चिकित्सा, शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान को पहुँचायें तभी कल्याण होगा अन्यथा लोग मर रहे हैं, धन सम्पत्ति बर्बाद हो रही है।

     असरद के पिता ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किये-

*बेटे को गोद में लाये थे चित्रवूâट चलाकर लिए जा रहे हैं !*!

➡️ मैं आफताब आलम हम प्रतापगढ़ (उ.प्र.)  ढकवा बाजार, सोनपुरा से हैं। मेरी एक छोटी सी चूड़ियों की दूकान है, मेरे दो बेटे हैं, अरशद मेरा बड़ा बेटा है।  

➡️ मेरे बेटे अरसद को ८ साल पहले एक दिन पत्थर में गिर जाने के बाद से सीने में दर्द शुरू हो गया था, हमने गाँव के डॉ. को दिखाया, उन्होंने अंग्रेजी दवायें व कुछ इंजेक्शन दिये। 

फिर कुछ दिनों बाद मेरे बेटे को झटके जैसे आने लगे, हाथ-पैर अकड़ जाते थे, अपने आप से रोटियाँ तक तोड़कर नहीं खा पाने लगा तो पहले बनारस, जौनपुर, लखनऊ, सुल्तानपुर, इलाहाबाद में एलोपैथिक इलाज चला लेकिन कहीं से कुछ आराम नहीं मिल पाया। 

➡️हमने लखनऊ पीजीआई में प्रो. अतुल अग्रवाल जी को भी दिखाया उन्होंने कहा कि दिमाग की नस में सूजन है, 6 माह तक लागतार इलाज चला लेकिन कोई आराम नहीं मिला। 

➡️ फिर मैंने सुल्तानपुर के जसलोक हॉस्पिटल में दिखाया, वहाँ पर तो 6 दिन में ही मेरे बच्चे का चलन-फिरना बन्द हो गया, पूरे शरीर में दर्द, भूख बिल्कुल नहीं लगने लगी। 

➡️ फिर मैंने इलाहाबाद में डॉ. पंकज गुप्ता (न्यूरोसर्जन) को दिखाया, उन्होंने 10 दिनों तक भर्ती रखा लेकिन कोई आराम न मिला।

➡️ मेरा बेटा अंग्रेजी दवायें खाते-खाते तंग आ गया, अब तो कुछ भी खाता उल्टी हो जाती थी, पेशाब में बहुत ज्यादा जलन उस दौरान बहुत रोता था। *गोद में उठा-उठा कर ले जाना पड़ता था*, पूरे शरीर में दर्द, हाथों-पैरों में अकड़न, हाथ-पैरों को हाथ से छूने से चिल्लाता था। 

➡️ उसी समय मुझे चित्रवूâटधाम के आयुष ग्राम चिकित्सालय का पता चला मैं अपने एक मित्र को कुछ साल पहले लाया था। 24 दिसम्बर 2821 को हम आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँचे, यहाँ पर ओपीडी नं.-2 में देखा गया, कुछ जाँचें हुयीं, सर ने 2 सप्ताह के लिए भर्ती कर चिकित्सा करने को कहा, *मैंने भर्ती कर दिया और बच्चे की सभी अंग्रेजी दवायें व इंजेक्शन तुरन्त ही बन्द करवा दिये गये*। आयुर्वेद चिकित्सा व पंचकर्म थैरेपी शुरू हुयी, मेरे बेटे को तीसरे दिन से ही आराम मिलने लगा, *वहाँ अपने आप से खड़ा हो गया और चल पाने लगा*। 

➡️ *२ सप्ताह में मेरा बेटा दौड़ने लगा, सीढ़ियाँ चढ़-उतर लेता है, भूख तो बहुत अच्छी लगने लगी, सीने का दर्द मिट गया, पेशाब की जलन मिट गयी।*

*मेरे बेटे के इलाज में 8 सालों में 9-10 लाख रुपये लग गये, मैं कर्जे में डूब चुका हूँ लेकिन यहाँ पर 2 सप्ताह में कम से कम खर्च में इतना अच्छा परिणाम आया जय हो आयुर्वेद की*। यहाँ के बारे में मुझे पहले पता चल जाता तो मैं इस कर्ज से बच जाता और मेरा बेटा तकलीफ न पाता। मैं चाहता हूँ कि मेरी बात आपके माध्यम से सब तक पहुँचे। 

- *आफताब आलम, ढकवा बाजार, सोनपुरा, थाना- आसपुर देवसरा, तह.- पट्टी, प्रतापगढ़ (उ.प्र.)*

आज सही चिकित्सा, उचित चिकित्सा न मिलने के कारण मानवता कराह रही है। निश्चित रूप से आधुनिक चिकित्सा ने बहुत तरक्की की है, सरकार ने भी इसे बढ़ाया और बढ़ा भी रही है। लोग बीमार होने पर पहले अब एलोपैथ में ही जाने लगे पर एलोपैथी लोगों को कंगाल भी कर रही है। 

अरसद के पिता पैâयाज कर्जा में डूब गये, छोटी सी बीमारी में 9-10 लाख खर्च हो गये। रोग की सही पहचान नहीं कर पाए, सही चिकित्सा नहीं दे पाये। सबसे बड़ी विडम्बना यह भी है कि एलोपैथ अस्पतालों की ओर लगातार सम्पर्वâ कर रोगियों को अपने यहाँ अस्पतालों में भेजने का अनुरोध, लालच दिया जाता है पर आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। आयुर्वेद धीरे-धीरे काम करता है यह भ्रम निकाल देना चाहिए। आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रवूâट के आयुष ग्राम चिकित्सालय की स्थापना वृहद् रूप में इसी उद्देश्य से की गयी है और लोग लाभ भी उठा रहे हैं, ऑपरेशन से बच रहे हैं, डायलेसिस, किडनी बदलवाने, हार्ट के बाईपास से बच रहे हैं। 

उपर्युक्त चिकित्सा से पहले वात का अनुलोमन/निर्हरण किया गया, शास्त्र कहता है कि- ‘वातस्यानुजयेत पूर्वम्’ अग्निमांद्यता का निवारण किया, आम का पाचन होने लगा। ध्यान रखने योग्य तथ्य है कि आम और आमविष दो अवस्थायें होती हैं। असरद की व्याधि आम विष बल्कि आमरसज है। इससे रोग की सम्प्राप्ति का विघटन होने लगा। परिणामत: शूल (दर्द) शोथ, स्तब्धता (अकड़न) मिटने लगी। क्योंकि जो ‘वायु’ रोगी में ट्रान्सपोर्टेशन का कार्य कर रहा था उसका सही मार्ग में कर दिया गया। रोग के कारण जो धातुक्षय हुआ था निर्बलता बढ़ी थी उसे नैमित्त्कि रसायन ने समाप्त किया। परिणामत: हेमोग्लोबिन 8.2 से 9.9 हो गया वह भी 1 सप्ताह में। यानी इतना हेमोग्लोबिन तभी बढ़ता जब 3 बोतल (यूनिट) खून चढ़ाया जाता वह भी इतनी जल्दी बढ़ता यह कोई जरूरी नहीं। 24 दिसम्बर 2021 अरशद के डब्ल्यूबीसी 13.72, न्यूट्रोफिल्स नं. 10.25 यानी हाई थे, लिम्फो 19., आरबीसी 361 यानी कम थे। 2 जनवरी 2022 को डब्ल्यूबीसी 9.87, न्यूट्रोफिल्स नं. 9.87, आरबीसी 5.62 यानी  सामान्य हो गये। यह है हमारी वैदिक चिकित्सा। इसके चमत्कार प्रभावशालिता, निर्दोषता, वैज्ञानिकता और सर्वांगिता के कारण ही हमने ऋषिमार्ग में चलते हुए अपना सर्वस्व इस ऋषि प्रदत्त ज्ञान के लिए समर्पित कर दिया है। लगभग इसी मार्ग में गमन करते ३२ साल बीत गये। परमात्मा प्रभु श्रीराम इस लोक कल्याण के मार्ग में चलते-चलते अंतिम निर्वाह कर दें यही प्रार्थना है आप सभी की शुभकामनाओं का आकांछी। 

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*आयुष ग्राम चिकित्सालय* 

*(सुपर स्पेशयलिटी आयुर्वेदिक हॉस्पिटल*)


➡️ *संपूर्ण पंचकर्म थैरपी की सुविधा*

➡️ *जटिल से जटिल रोगों का कम अवधि में इलाज*

➡️ *पेशेंट के रुकने के लिए आराम दायक एवं इकोफ्रेंडली कमरे*

➡️ *20 एकड़ में फैला विशाल परिसर एवं वैदिक वातावरण*

सूरजकुंड रोड (पुरवा मार्ग तरौंहा   मार्ग )

चित्रकूट धाम (उ. प्र.) 210205

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