➡जब यूरिया ३५० से, क्रिटनीन १८+ मे भी ठीक होते आयुष ग्राम चित्रकूट से!!

जब यूरिया ३५० से, क्रिटनीन १८+मे भी ठीक होते आयुष ग्राम चित्रकूट से!!


                                 

चित्रकूट आयुष ग्राम ट्रस्ट के आयुष ग्राम चिकित्सालय में जीर्ण, जटिल रोगियों की भीड़ में हार्ट, किडनी फेल्योर, अस्थि रोग, रीढ़, पेट के रोज अनेकों रोगी आते हैं उन्हीं में से कई बार ऐसे कठिन रोगी आ जाते हैं जिनको चिकित्सा में लेने के पहले कई बार सोचना पड़ता है पर जब इनमें आश्चर्य जनक परिणाम आते हैं तो वैदिक चिकित्सा विज्ञान आविष्कारक आयुर्वेद ऋषियों को बार-बार नमन करने का भाव बनता है। 


२२ अक्टूबर सन् २०२१ को पसुआ, औरैय्या (उ.प्र.) से १६ वर्षीय प्रिन्स को उसकी माँ ज्योति सिंह लेकर आयीं।

यहाँ पी.आर. २५१/२८ पर ओपीडी रजिस्ट्रेशन हुआ। प्रिन्स की माँ ने बताया कि इसे केजीएमयू लखनऊ से लौटाकर लायी हूँ, सब जगह डायलेसिस के ही सहारे ही जिन्दा रहने की बात कही गयी है। ढाई साल पहले मेरे पति की भी मृत्यु हो गयी है, मैं किसके सहारे रहूँगी। लखनऊ की जाँच रिपोर्ट देखी तो यूरिया ३९५, क्रिटनीन १८.९, यूरिक एसिड १३.८, फास्फोरस ११.०५ था। 



हमने प्रिन्स की माँ को सांत्वना दी और कहा कि परेशान न हों, हम भर्ती कराते हैं यदि ७ दिन में कुछ उम्मीद बनी तो आगे ३-४ सप्ताह तक में काफी आशा रहेगी।

यहाँ जाँच करायी गयी तो हीमोग्लोबिन ७.५, यूरिया ३४३.३, क्रिटनीन १८.८, फास्फोरस १२.६, एल्कलाइन फास्फेट ९८० आया। पेशाब में प्रोटीन ३+ में था। रिपोर्ट देखकर हम भी गम्भीर हो गये, हमने डॉ. अर्चना वाजपेयी (एम.डी. काय चिकित्सा) को बुलाकर केस सौंप दिया और सब मार्ग दर्शन कर दिया। पंचकर्म में गो घृत परिषेक, नित्य (गो घृत परिषेक में प्रथम बार ७-८ किलो ग्राम गो घृत लगता है) शिरोधारा, बस्तियाँ प्रारम्भ हुयीं। औषधि में- अम्बरचिंतामणि रस, मुक्ता, प्रवाल, ताप्यादिलौह, स्वर्णकेशराभ्रक योग आदि प्रारम्भ हुये। पथ्य में- केवल यवागू तीनों समय। 



चूँकि महर्षि चरक सर्व प्रथम देवव्यापाश्रय चिकित्सा का ही गुरुतापूर्ण वर्णन करते हैं हमने अनेकों केस में देखा है कि देवव्यापाश्रय चिकित्सा का विशेष स्थान है। अत: हम और हमारा पूरा स्टाफ वैदिक चिकित्सा विज्ञान के प्रत्येक वाक्य को अंगीकार करता है। एतावता हमने प्रिन्स की माँ को बुलाकर कड़ाई से समझाया कि पहले तो आप रोना-धोना बन्द करें और प्रिन्स के कक्ष में गो घृत का अखण्ड ज्योति जले, आयुष ग्रामेश्वर महादेव मंदिर और धन्वन्तरि पीठ में नित्य (एक मंत्र बता दिया) उसका रुद्राक्षमाला से जप करें। 


प्रिन्स की माँ बड़ी श्रद्धा, भाव, नियम से ब्रह्म मुहूर्त और सायंकाल ५-६ हजार मंत्र एकाग्रता से जप, यज्ञ आदि करने लगी। गो माता, गुरु आदि पर श्रद्धान्वित हो गयीं। 

२४ अक्टूबर सन् २०२१ को जाँच करायी तो उत्साहवर्धक रिपोर्ट आयी। यूरिया ३४३.३ से घटकर ३३७, क्रिटनीन १८.८ से घटकर १७.९, फास्फोरस १२.६ से घटकर १०.९ आया। 




७ नवम्बर सन् २०२१ की रिपोर्ट- यूरिया ३३७ से घटकर २६२.९, क्रिटनीन १७.९ से घटकर १५.६, फास्फोरस १०.९ से घटकर ८.४ हो गया, जो किसी दैवी कृपा और चमत्कार से कम नहीं है।  अभी चिकित्सा जारी है रोगी भर्ती है। सभी रिपोर्ट आप अवलोकन करें।

यदि यह चिकित्सीय चमत्कार अच्छा लगे तो दूसरों को भी भेजें।





डॉ मदन गोपाल वाजपेयी         आयुर्वेदाचार्यपी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी.साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद)एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत), एल-एल.बी. (B.U.)
 प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन 

   डॉ अर्चना वाजपेयी    एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)

        डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी

डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।

इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।








एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ