➡मेरी पत्नी को भी डायलेसिस से बचा लिया आयुष ग्राम चित्रकूटधाम ने।
➡२८ जनवरी २०१३ को डिलेवरी होनी थी। ब्लड की जाँच कराया गया तो हेपेटाइटिस (बी) की समस्या पता चली, कमला नेहरू हॉस्पिटल प्रयागराज में सिजेरियन डिलेवरी से बच्ची हुयी, कुछ दवायें चलीं, फिर हेपेटाइटिस (बी) का इलाज प्रयागराज में डॉ. मनीषा जी ने किया और कहा कि आप डेढ़ साल तक दवायें खाइये ठीक हो जायेंगी, इसके बाद रिपोर्ट नार्मल आ गयी, ५-६ साल कोई समस्या नहीं हुयी।
➡फिर २९ दिसम्बर २०२० को दूसरी प्रेंगनेंसी हुयी उसी समय से कमजोरी, चक्कर आना, भूख न लगना, पैरों में जलन व दर्द रहना, उल्टी होना आदि समस्यायें थीं। इसके बाद ७वें महीनें में जाँच करवाया तो हेपेटाइटिस (बी) फिर पॉजिटिव हो गया था फिर वही अंग्रेजी दवायें चलीं।
➡१९ सितम्बर २०२१ को प्रतापपुर सेवरी पटेल हॉस्पिटल में सिजेरियन डिलीवरी से दूसरी बच्ची हुयी, जिससे हेमोग्लोबिन कम हो गया, तो डॉक्टर ने कहा कि आपको ब्लड चढ़वाना पड़ेगा और १ यूनिट ब्लड चढ़वाया। इसके बाद थोड़ा आराम मिला लेकिन २४ सितम्बर २०२१ को फिर से १ यूनिट खून चढ़वाया गया। खून चढ़वाने के १ घण्टे के बाद अचानक से बोलना बन्द हो गया, आवाज बिल्कुल भी नहीं निकल रही थी, और शरीर बिल्कुल शून्य हो गया था।
➡इसके बाद २५ सितम्बर २०२१ को पुन: खून की जाँच हुयी, सीटी स्केन करवायी, अब बताया गया कि किडनी खराब हो गयी। डॉक्टर ने कहा कि डायलेसिस होगी। हम तैयार नहीं हुये। वहाँ से डिस्चार्ज होकर घर वापस आ गये।
➡२ अक्टूबर २०२१ को प्रयागराज में डॉ. लाल पैथोलॉजी में हमने जाँच करवायी, तो क्रिटनीन ५.२ था। सभी जगह डायलेसिस करने की बात करने लगे।
➡फिर मुझे एक दिन एक परिचित से मुलाकात हुयी, उनकी माता जी का इलाज आयुष ग्राम ट्रस्ट के आयुष ग्राम चिकित्सालय में चल रहा था और बहुत आराम था बिना डायलेसिस के।
➡हम ६ अक्टूबर २०२१ को अपनी पत्नी को लेकर आयुष ग्राम चित्रकूट लेकर पहुँचे। जब हम यहाँ पर आये थे तो उसे चक्कर, वैएन्टीथेटर लगा था, चल नहीं पाती थी, ब्लीडिंग हो रही थी, कमजोरी आदि समस्यायें थीं।
➡मुझे सम्बन्धित ओपीडी नम्बर-५ में ले जाया गया वहाँ पर डॉ. अर्चना वाजपेयी जी एम.डी. (काय चिकित्सा) ने देखा और सारी जाँचें करवायी। यूरिया १४०.२, क्रिटनीन ७.९, यूरिक एसिड ८.१, फास्फोरस ७.८ आया। रिपोर्ट आने पर ओपीडी-२ में डॉक्टर साहब के पास भेजा गया, उन्होंने मुस्कुराकर कहा आप परेशान न हों आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक हो जायेंगी। आपको ३ सप्ताह तक यहाँ रहना होगा। हम भर्ती हो गये, पंचकर्म और दवायें शुरु हुयीं। पहले दिन से ही आराम मिलने लगा, पंचकर्म चिकित्सा व पथ्यापथ्य का पालन किया गया।
➡१३ अक्टूबर २०२१ की जाँच में- यूरिया १२६.५, क्रिटनीन ६.१, यूरिक एसिड ७.६, फास्फोरस ६.९ आया। बहुत खुशी मिली। इसी प्रकार घटते-घटते यूरिन में प्रोटीन +++ में आया। २७ अक्टूबर को यूरिया ४९.९, क्रिटनीन १.८ और फास्फोरस ५.२ आया।
➡उनकी ब्लीडिंग बन्द हो गयी, भूख भी अच्छी लगने लगी, चलने-फिरने लगीं वनथेटर निकाल दिया गया, पेशाब भी होने लगी, किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती। अब उन्हें ९०³ आराम है।
➡मेरी पत्नी डायलेसिस से बच गयी, हम उम्मीद लेकर आये थे हमारी उम्मीदें पूरी हो गयी। मैं यहाँ के सभी डॉक्टरों और इस हॉस्पिटल के कर्मचारियों को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ जिन्होंने मेरी पत्नी को नया जीवन दिया।
➡- नीरज कुमार गौड़ स्थान- वृन्दावन (नीवीबारी), जिला- प्रयागराज (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
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