किडनी फेल्योर से ग्रस्त मेरे बेटे को आयुष ग्राम! चित्रकूट से जीवनदान!


मेरे बेटे का जन्म ऑपरेशन से हुआ था, जन्म से बूँद-बूँद पेशाब टपकती रहती थी, हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया। 




५ अप्रैल २०२१ से बुखार आने लगा, मैं दुकान से अपने आप से एण्टीबायोटिक खिलाता रहता था, फिर १५ अप्रैल को बुखार आया, हम लोग १८ अप्रैल २०२१ को कानपुर में एमआरआई करवाई, एमआरआई में डॉ. पुनीत दीक्षित ने बताया कि दाहिने तरफ पैरालाइसिस का अटैक आया है जिससे लेफ्ट साइड का कोई भी अंग काम नहीं कर रहा था, डॉ. पुनीत दीक्षित ने रिजेन्सी के लिए रिफर कर दिया, रिजेन्सी में आईसीयू में भर्ती किया गया,

 उसी समय खून की जाँच करवाई गयी तो जाँच आने के बाद क्रिटनीन ८.८ और और ब्लडप्रेशर १९०/१०० आया तो उन्होंने कहा कि बच्चे को वेण्टीलेटर में डालना पड़ेगा, फिर अगर ४-५ घण्टे में परिणाम आया तो ठीक है नहीं तो बच्चे को कुछ भी हो सकता है लेकिन कुछ सुधार आया तो २ दिनों तक भर्ती रखा और उसके बाद तुरन्त डायलेसिस के लिए बोल दिया गया, फिर मैंने मेदान्ता गुड़गाँव में भी सलाह ली, जब तक मैं अन्दर आया तब तक रिजेन्सी में १ डायलेसिस कर दी और ब्रेन सर्जरी के लिए भी बोल दिया गया, क्योंकि बच्चा कुछ भी बोल नहीं रहा था, हाथ-पैरों में झुनझुनाहट हो रही थी।






फिर जाँच के लिए गंगाराम हॉस्पिटल ले गये, गंगाराम हॉस्पिटल में १९ दिनों तक भर्ती रखा गया, वहाँ डॉ. प्रवीण कुमार जी ने १९ दिनों तक भर्ती रखने पर खूब स्टीरॉयड दीं, ब्लडप्रेशर की एलोपैथिक दवायें चलीं, एक्ससाइज भी करवाई, पैरालायसिस में तो आराम मिला पर स्टीरॉयड लेने के बाद पूरे शरीर व चेहरे में बाल ही बाल हो गये और किडनी की समस्या के चलते मैं बहुत परेशान रहता था। 

फिर तभी मुझे कानपुर में एक व्यक्ति के द्वारा आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट  के ‘आयुष ग्राम चिकित्सालय’ के बारे में पता चला कि यह उत्तर भारत का बहुत बड़ा आयुर्वेद हॉस्पिटल है और बहुत सुविधायें हैं, भर्ती की अच्छी व्यवस्था भी है।

हम लोग १९ सितम्बर २०२१ को अपने बच्चे को लेकर आयुष ग्राम ट्रस्ट सूरजकुण्ड रोड, चित्रकूट  पहुँचे।  वहाँ सभी परीक्षण हुये, डॉ. साहब ने कहा कि आप परेशान न हों आपका बच्चा स्वस्थ हो जाएगा। १ माह की चिकित्सा दी गयी, पथ्यापथ्य के पालन का निर्देश मिला। हमने सभी बतों पर ध्यान दिया और जैसा कहा था वैस ही किया। भगवान् की कृपा देखिए कि जहाँ इस रोग में सालों दवायें चलती हैं, बहुत परेशानी होती है वहीं मेरे बच्चे को ८० प्रतिशत आराम मिल गया। 








शरीर के बाल पहले से बहुत कम हो गये, भूख भी अच्छी लगने लगी, बच्चे का ब्लडप्रेशर ज्यादा रहता था, वह अब सामान्य हो गया है, पेशाब जो बूँद-बूँद टपकती ही रहती थी अब वह ठीक है, सिर्फ  रात में बिस्तर गीला कर देता है, पेट साफ होने लगा है। 

हम लोग बहुत खुश हैं कि एक माह में ही बच्चे को इतना अच्छा परिणाम आया जिसकी हमें उम्मीद ही नहीं थी।


                                                - योगेश भाटिया, कृष्णा नगर, जी.टी. रोड, मकान नम्बर- ४/६२, कानपुर (उ.प्र.)


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