आयुष ग्राम चित्रकूट से पत्नी डायलेसिस से बच गयी, लखनऊ में तो ३५०००/- रोज खर्च हो रहा था!!

 

क्या ये सही नहीं है !!
किडनी और हृदय रोगों की चिकित्सा आयुष में बहुत ही उत्कृष्ट है, ऐसे रोगी जिनकी अंग्रेजी दवा खाते - खाते शरीर की जीवनीय शक्ति और व्याधिक्षमत्व शक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाती है ऐसे रोगियों को आयुष चिकित्सा बहुत ही परिणामोत्पादक, प्रभावशाली और जीवनदायिनी है, किन्तु लोगों में जागरूकता का आभाव है जन - जन को इसका प्रचार करना चाहिए। आज अंग्रेजी इलाज की स्थिति यह है कि पहले एक गोली से इलाज शुरू होता है धीरे-धीरे वह हार्टकिडनीलिवर का रोगी बन जाता है और फिरकभी भी बन्द न होने वाली दवाओं का सिलसिला चलने लगता है। जबकि आयुष चिकित्सा में दवायें धीरे-धीरे घटते-घटते बिल्कुल बन्द हो जाती हैं। ऐसे में आप सभी का पावन कर्तव्य बनता है कि पीड़ित मानव का सही मार्गदर्शन करें और उन तक जानकारी पहुँचायें, ताकि ऐसे पीड़ित मानव का कल्याण हो सके और लोग अंग्रेजी दवाओं के जाल से बच सकें 

डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
संस्थाध्यक्षआयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूटधाम (उ.प्र.) २१०२०५

    Evidence based treatment (वैज्ञानिक प्रमाण युक्त चिकित्सा)

                 

   आयुष ग्राम चित्रकूट से पत्नी डायलेसिस से बच गयी, लखनऊ में तो ३५०००/- रोज खर्च हो रहा था!!     

मेरा नाम राजू केशरवानी, मेरी पत्नी मैना देवी (उम्र ४७) हम लोग नेवादा समोगर तह.- नैनी, प्रयागराज (उ.प्र.)से  हैं।



                                      


मेरी पत्नी को २ माह पहले पेट में दर्द उठा, हम लोग अस्पताल ले गये तो बताया कि सिस्ट है पर ऑपरेशन करवाना पड़ा, जिससे पित्ताशय ही निकाल कर दिया गया। फिर कुछ दिनों बाद एक दिन अचानक पेशाब रुक गयी घबराकर हम लोग प्रयागराज के फिनिक्स हॉस्पिटल ले गये, वहाँ पर तुरन्त जाँचें हुयीं जाँच में बताया कि किडनी फेल  हो गयी, तुरन्त १ डायलेसिस भी कर दी जिससे कुछ तो आराम मिला लेकिन मैना देवी की हालत खराब है यह कहकर उन्हें लखनऊ रिफर कर दिया।



हम लोग लखनऊ लेकर भागे, वहाँ पर फिर जाँचें हुयीं और ८ दिनों तक भर्ती रखा, ८ दिनों में ३ डायलेसिस हुयीं, २ यूनिट खून भी चढ़ाया गया लेकिन कुछ भी आराम नहीं मिला और हालत खराब होती जा रही थी और रोज ३५००० हजार रुपये खर्च हो रहे थे, कुछ जाँचें बाहर से करवाई जिसका पैसा अलग से देना पड़ा।

मैं परेशान हो गया कि मैं अपनी पत्नी का इलाज कैसे करवा पाऊँगा, हालत में कोई सुधार नहीं था, आठ दिन में साढ़े तीन लग गये। उल्टियाँ हो रही थीं, कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी, श्वास फूल  रही थी। 

इन सभी समस्याओं के चलते मैं लखनऊ से लेकर घर आ गया, तभी मुझे मेरे दामाद श्री प्रदीप केशरवानी जो अपना इलाज पहले से ही आयुष ग्राम ट्रस्ट  चित्रकूट  के ‘आयुष ग्राम चिकित्सालय’ में करवा रहे थे के द्वारा चित्रकूट   के आयुष ग्राम ट्रस्ट का पता चला। 

हम लोग १६ सितम्बर २०२१ को आयुष ग्राम ट्रस्ट सूरजकुण्ड रोड, चित्रकूट  आ गये। उस समय बहुत ज्यादा हालत खराब थी, अपने आप से पानी तक नहीं पी पाती थीं, कमजोरी, भूख नहीं लग रही थी, पूरे शरीर में सूजन थी, श्वास बहुत फूल रही थी, कुछ भी खाने पर उल्टियाँ हो रही थीं और १ हफ्ते में २ डायलेसिस करवाने की सलाह दी गयी थी। इतना बड़ा आयुर्वेद संस्थान हमने पहली बार देखा था, एकदम शांत, पवित्र, मनोरम जगह, जहाँ पहुँचते ही शांति मिल जाती है। 

इन सभी समस्याओं व जाँचों को सर ने देखा और उन्हें भर्ती कराया गया, तुरन्त आयुर्वेद चिकित्सा शुरू हुयी, मैं मैना देवी की १४ सितम्बर २०२१ को डायलेसिस करवाकर आया था तो फिर १७ सितम्बर २०२१ की जाँच में यूरिया १४०.८, क्रिटनीन ८.०, सीआरपी ४६.४, एलब्यूमिन (±±±), हेमोग्लोबिन ८.४ आया। 

चिकित्सा और पंचकर्म शुरू हुआ, ५-६ दिन में शारीरिक आराम मिलने लगा, जाँचों में यूरिया, क्रिटनीन पहले तो बढ़कर (१६०.१, ११.०, फास्फोरस ६.५, हेमोग्लोबिन ६.०) आया। लेकिन सर ने समझाया कि डायलेसिस बन्द कराने से यह तो बढ़ जाता ही है आप परेशान न हों।

आज इलाज कराते १ माह पूरे हो रहे हैं इस समय मेरी पत्नी को बहुत आराम है। 

पेशाब व मल त्याग में जो १५ दिनों से लखनऊ में नहीं हुयी थी वहीं यहाँ आने के दूसरे दिन से आराम मिल गया। भूख भी अच्छी लगने लगी, जहाँ वह १५ दिनों से उल्टियों से परेशान थी। जहाँ अपने आप से पानी तक नहीं पी पा रही थीं, चलना तो दूर आज वहीं वह अपने आप से तीन मंजिला उतरकर नीचे चली जाती हैं। 

आज १७ अक्टूबर २०२१ (१ माह उपचार के बाद) की जाँच में हेमोग्लोबिन ७.२, यूरिया १६०.१ से घटकर ११५.९, क्रिटनीन ११.० से घटकर ९.३, फास्फोरस ५.२ आ गया। सभी अंग्रेजी दवायें पहले दिन से ही बन्द करा दी गयी थीं। 


१ माह में न तो डायलेसिस की जरूरत पड़ी और न डायलेसिस होने के बाद भी। इतना अच्छा परिणाम देखकर हमारे परिवार के सभी लोग बहुत खुश हैं, मैं आयुष ग्राम ट्रस्ट के सभी डॉक्टर्स, कार्यकत्र्ताओं को धन्यवाद देता हूँ। मेरी पत्नी को एक नया जीवनदान मिला दिया। 

- राजू केशरवानी, नेवादा समागोर, तह.- नैनी, प्रयागराज (उ.प्र.)

  डॉ मदन गोपाल वाजपेयी         आयुर्वेदाचार्यपी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी.साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद)एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत), एल-एल.बी. (B.U.)
 प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन 

डॉ परमानन्द वाजपेयी                              एम.डी. (एस.&पी.मेडिसिन-आयु0)    
                             

डॉ अर्चना वाजपेयी            एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)     



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