➡️ मैं फ़तेहपुर (उ.प्र.) से श्यामसुन्दर सिंह (उम्र 53), पेशे से किसान हूँ। मैं रोज़ सुबह 7-8 किलो मीटर टहलने जाता था, एक दिन डेढ़ माह पहले अचानक श्वास फूलने लगी और हल्की सूजन पूरे शरीर में आ गयी तो मैंने अपने से ही खून की जाँच बिन्दकी से कारवाई, वहाँ पर हेमोग्लोबिन 5.2, क्रिटनीन 9.5, के आस-पास था, वहीं से मुझे किडनी की समस्या का पता चला।
➡️ फिर मैं कानपुर में रामकली हॉस्पिटल में डॉक्टर अभिजीत सिंह के पास गया उन्होंने अल्ट्रा सोनोंग्राफी, एक्स-रे करवाया और जाँच आने के बाद उन्होंने तुरन्त रिजेन्सी कानपुर के लिए रिफर कर दिया। मैंने दूसरे दिन रिजेन्सी में डॉक्टर उमेश को दिखाया, उन्होंने यूएसजी, एक्स-रे देखि, खून की जाँच में हेमोग्लोबिन 5.2 था
➡️ उन्होंने तुरन्त 2 यूनिट खून डायलेसिस करवाते रहने की सलाह दीं और दवायें देकर घर भेज दिया। प्रकार 1 माह में 10 डायलेसिस हुयीं और हमेशा डायलेसिस करवाते रहने की सलाह दी और फिचुला बना दिया। खून बढ़ाने के लिए 1 माह में 1 इंजेक्शन लगता था।
➡️ अब मैं सोचने लगा कि पूरा जीवन आगे कैसे चलेगा? क्या डायलेसिस ही करवाना पड़ेगा। जिससे पूछें वही जवाब मिलता कि जीवन भर डायलेसिस करानी होगी या गुर्दे बदलाओ।
➡️ तभी मुझे आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला। मैं 4 दिसम्बर 2020 को आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँचा, वहाँ रजिस्ट्रेशन हुआ और नम्बर आने पर ओपीडी-2 में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होंने सारी जाँचें देखि और खून कि जाँच करवायी तो हेमोल्गोबिन 8.3, क्रिटनीन 7.5, यूरिया 91.4, सोडियम 129.3, फास्फोरस 5.6 आया। उन्होंने 21 दिनों के लिए भर्ती किया और चिकित्सा शुरू हो गयी। पंचकर्म चिकित्सा होती गयी, दवाइयाँ और यहाँ का परहेज खाना मिला। फिर बीच-बीच में जाँचे हुयीं और चिकित्सा चलती रही।
➡️ 23 दिसम्बर 2020
कि जाँच में हेमोग्लोबिन 7.1, क्रिटनीन
6.8, यूरिया 125.5 आया। इस
चिकित्सा से यह हो गया कि डायलेसिस की कोई जरूरत नहीं पड़ी। 21 दिनों की चिकित्सा के बाद 1 माह की दवा देकर
डिस्चार्ज किया गया।
➡️ मैं और मेरा पूरा परिवार बहुत खुश है कि मुझे डायलेसिस से छुटकारा मिल गया, मेरी सारी अंग्रेजी दवायें भी बन्द हो गयीं और डायलेसिस भी। मुझे 21 दिनों कि के बाद मेरे शरीर में नई स्फूर्ति आ गयी और आज मुझे लग रहा है कि मुझे यहाँ के बारे में पहले पता चल गया होता तो आज मेरी एक डायलेसिस नहीं हुयी होती, मैं डायलेसिस भी नहीं जनता। अभी एक बार और पंचकर्म हेतु रहना होना। और यूरिया क्रिटनीन घटेगी ऐसी पूरी आशा है।
श्यामसुन्दर सिंह
खिदिरपुर जाफराबाद (बिन्दकी), फ़तेहपुर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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