मैं रमाकान्त पाण्डेय (उम्र ६२) सरायदीना बरगाँव, प्रयागराज (उ.प्र.) का रहने वाला हूँ। मुझे सन् २०११ से मधुमेह की समस्या थी तभी से अंग्रेजी दवा लेने लगा, फिर हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हुयी तो उसकी भी अंग्रेजी दवा लेता रहता था। अभी २ साल पहले शुगर ज्यादा बढ़ जाने पर इंसुलिन भी चलने लगी। पोस्टेट का इलाज होम्योपैथ से चल ही रहा था।
फिर २५ दिसम्बर २०२० को अचानक पेशाब रुक गयी और पैरों में सूजन आ गयी तो मेरे लड़के ने मुझे स्वरूपरानी हॉस्पिटल, प्रयागराज ले गये, वहाँ पर अल्ट्रासाउण्ड व खून की कुछ जाँचें हुयीं, जाँच आने के बाद डॉक्टर ने बताया कि किडनी खराब हो गयी है और यूरिया, क्रिटनीन बहुत ज्यादा है तुरन्त डायलेसिस करनी पड़ेगी।
९ जनवरी २०२१ की जाँच में- यूरिया २५८.१२, क्रिटनीन ११.३६, सोडियम १३२.८ आया।
स्वरूपरानी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और लगातार ३ डायलेसिस हुयीं और हर हफ्ते २ डायलेसिस होती रही।
मुझे डायलेसिस करवाने के पहले बहुत तेज बुखार आ जाता था फिर जब बुखार उतर जाता तो डायलेसिस की जाती थी, मैं तंग आ गया था, हर हफ्ते में २ बार डायलेसिस करवाते-करवाते मैंने पूरी आशा ही छोड़ दी थी कि कभी मेरी डायलेसिस बन्द भी होगी।
इस प्रकार मेरी टोटल डायलेसिस ४१ हो गयीं, फिर स्वरूपरानी हॉस्पिटल से मुझे पीजीआई लखनऊ को रिफर कर दिया गया, मैं लखनऊ में भर्ती हो गया और १ डायलेसिस की गयी और उन्होंने कहा कि पूरी जिन्दगी हफ्ते में २ डायलेसिस होंगी और अंग्रेजी दवायें चलती रहेंगी।
तभी मुझे डायलेसिस सेण्टर में एक व्यक्ति मिले जो अपने लड़के का इलाज करवा चुके हैं उसकी भी डायलेसिस हो रही थी, अब वह पूर्णत: स्वस्थ है। उनके द्वारा मुझे चित्रकूट आयुष ग्राम ट्रस्ट के आयुष ग्राम चिकित्सालय के बारे में पता चला। मैं अपने लड़कों के साथ ११ अगस्त को आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचा, इतना बड़ा आयुर्वेद का संस्थान मैंने देखा ही नहीं था। वहाँ पर मेरा ओपीडी में रजिस्ट्रेशन हुआ मेरा रजिस्ट्रेशन नम्बर- आर.ए. ७८९/३९ था फिर नम्बर आने पर मुझे ओपीडी में बुलाया गया और जाँचें करवायी गयीं, जाँच आने पर मुझे २ सप्ताह भर्ती रखा, रहने की सलाह दी गयी। पंचकर्म हुआ, खान-पान बदला गया, दवायें चलीं।
हम बहुत खुश हुये मुझे २ सप्ताह में कोई समस्या नहीं हुयी, मेरी निराशा आशा में बदल गयी, क्योंकि न तो कोई डायलेसिस की जरूरत पड़ी और न ही अंग्रेजी दवाओं की। २ सप्ताह बाद १ माह की दवायें लिखकर मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया।
आज मुझे बिना डायलेसिस के ४५ दिन हो गये हैं और मैं बिना डायलेसिस के पूर्ण स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ। जहाँ पर इतने बड़े और अच्छे-अच्छे हॉस्पिटलों में बिना डायलेसिस के जीवित न रहने की बात कही थी और पूरी जिन्दगी डायलेसिस के सहारे ही रहने की बात कही थी वहीं आज मैं बिना डायलेसिस के पूर्ण स्वस्थ हूँ।
२६ सितम्बर २०२१ की जाँच में- हेमोग्लोबिन १०.६, यूरिया १४७.७, क्रिटनीन ५.२, यूरिक एसिड ५.९, सोडियम १३५.८, फास्फोरस ४.८ आया।
मुझे डायलेसिस से बचाकर एक नया जीवनदान मिल गया है। मुझे डायलेसिस से बहुत डर लगता था, डायलेसिस से अच्छा तो मर जाना अच्छा है। मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी डायलेसिस छूट गयी और अंग्रेजी दवायें भी बन्द हो गयी हैं। हम कितने प्रसन्न हैं आपसे बता नहीं सकते। आयुर्वेद चिकित्सा कितनी चामत्कारिक है इसका प्रमाण आयुष ग्राम जैसे बड़े संस्थान में देखा जा सकता है।
- रमाकान्त पाण्डेय ग्राम- सरायदीना बरगाँव, थाना/तह.- सोरॉव, प्रयागराज (उ.प्र.)
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)
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