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गंगोत्री देवी साथ में बेटी दीपा गुप्ता |
➡ मैं
दीपा गुप्ता मेरी माता जी श्रीमती गंगोत्री देवी (उम्र ६१ वर्ष) हम लोग धनगढ़ी, नेपाल के रहने वाले हैं।
➡ मेरी
माता जी को २०१२ में पेट में दर्द, गैस
बनना, उल्टी, बुखार, कमजोरी आदि इन सभी समस्याओं को लेकर
हमने पलिया कपूर क्लीनिक में दिखाया वहाँ पर अल्ट्रासाउण्ड करवाया तो गॉल ब्लैडर
स्टोन का पता चला तो हम लोग वहाँ से लेकर लखनऊ में डॉ.एच.एस. पहवा को दिखाया, उन्होंने देखा और अल्ट्रासाउण्ड देखा
तो तुरन्त बोले कि आपको ऑपरेशन करवाना पड़ेगा, ऑपरेशन
से गाल ब्लैडर की थैली हटा दी गयी। १ माह तक भर्ती रहे, अंग्रेजी दवायें चलीं तो आराम मिल गया
इसके बाद घर के लिये एक माह तक दवा दिया।
➡ फिर
सन् २०१८-१९ में गैस की समस्या, पेशाब
देर से आना, पेशाब में जलन होने लगी तो हम अपने
मम्मी जी को पलिया कपूर क्लीनिक में फिर दिखाया जिसको हम भगवान् जैसे मानते हैं।
अल्ट्रासाउण्ड करवाया तो गैस की समस्या बतायी गयी, दवायें चलीं लेकिन आराम नहीं मिला, कई सालों तक ऐसा चलता रहा, फिर
पेट में फोड़े हो गये थे उसका भी ऑपरेशन करवाया।
➡ इधर
५-६ महीने से काफी समस्यायें होने लगीं, हम
लोग तुरन्त पलिया कपूर के यहाँ ले गये, सीटी
स्केन करवाया वहाँ पर लीवर डैमेज निकला लेकिन उन्होंने हम लोगों से नहीं बताया और
४-५ महीने तक दवायें चलीं तो थोड़ा आराम मिला लेकिन लैट्रिंग से आंव पड़ने लगी और
ब्लड भी आने लगा, काफी समस्या होती रही दवा खाते रहे।
➡ अब
२ माह से अचानक उल्टी से ब्लड आने लगा, लैट्रिंग
से ब्लड आने लगा, मैं अपनी माता जी को नेपाल में धनगढ़ी में नोभा हॉस्पिटल में
दिखाया वहाँ के डॉक्टरों ने देखा, ब्लड की जाँचें करवायीं, रिपोर्ट आने पर बताया
कि हेमोग्लोबिन ५.० था और लीवर डैमेज, किडनी का पता चला तो डॉक्टर ने ३ दिन आईसीयू में रखा फिर
उन्होंने काठमाण्डू के लिये रिफर कर दिया और कहा कि आपको लिवर ट्रांसप्लाण्ट की
जरूरत है। कोई दूसरा उपाय नहीं है। हम लोग सोचने लगे कि कैसे हमारी मम्मी के साथ होगा घबराने
लगे।
➡ तभी
हमें एक अनजान व्यक्ति से मुलाकात हुयी, उन्होंने
आयुष ग्राम चित्रकूट के
बारे में पूरी जानकारी दी,
कहा कि आप वहाँ चले जायें, आपकी माता जी लिवर ट्रांसप्लाण्ट से बच
सकती हैं।
➡ हम
लोग ६ जून २०२१ को आयुष ग्राम सूरजकुण्ड
रोड, चित्रकूट पहुँचे, रजिस्ट्रेशन करवाया नम्बर आने पर
ओपीडी-१ में डॉ. महेन्द्र त्रिपाठी जी के पास बुलाया गया,
उस समय कुछ समस्या होती थीं-
➡ पेशाब में जल, कमजोरी, लैट्रिंग से खून आना आदि
समस्यायें थीं।
➡ आयुष ग्राम
चित्रकूट में सारी
समस्यायें पूछी और जाँचें करवायीं, रिपोर्ट आने पर २१ दिन के लिये भर्ती होने की सलाह दी, हम लोग
भर्ती हो गये, चिकित्सा शुरू हो गयी, १ सप्ताह से काफी आराम
मिलने लगा, जैसे-जैसे पंचकर्म हुआ वैसे मेरी माता जी ठीक होने लगीं वह भी
२० दिन में। यहाँ के डॉ. वाजपेयी जी ने भोजन में केवल दिनभर मठा और मूँग की दाल, पनीर आदि
लेने की सलाह दी। आप यह समझें कि यहाँ का पंचकर्म, दवा के
साथ-साथ खान-पान बहुत महत्वपूर्ण है।
➡ भूख लगने लगी, लैट्रिंग से खूना आना बन्द हो गया। हमें लगभग काफी बीमारियों
से राहत मिल गयी लिवर ट्रान्सप्लाण्ट की जरूरत ही नहीं पड़ी। मेरी मम्मी बिल्कुल
ठीक हैं। खाने में केवल यहाँ मूँग की दाल का पानी और मठ्ठा में रखा गया, अब
अंग्रेजी दवा भी सभी बन्द हैं।
➡ मैं बहुत खुश हूँ कि यदि
हम मम्मी को पहले आयुष ग्राम चित्रकूट लेकर आ जाते तो पेट के
ऑपरेशन व दूसरी बीमारियों से मुक्ति मिल जाती। मैं यहाँ के डॉक्टर व स्टॉफ से बहुत
खुश हूँ,
सभी का व्यवहार व अपनापन और यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा है।
दीपा गुप्ता मेरी माता जी श्रीमती
गंगोत्री देवी
धनगढ़ी, नेपाल
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
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