क्या ये सही नहीं है !!किडनी और हृदय रोगों की चिकित्सा आयुष में बहुत ही उत्कृष्ट है, ऐसे रोगी जिनकी अंग्रेजी दवा खाते - खाते शरीर की जीवनीय शक्ति और व्याधिक्षमत्व शक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाती है ऐसे रोगियों को आयुष चिकित्सा बहुत ही परिणामोत्पादक, प्रभावशाली और जीवनदायिनी है, किन्तु लोगों में जागरूकता का आभाव है जन - जन को इसका प्रचार करना चाहिए। आज अंग्रेजी इलाज की स्थिति यह है कि पहले एक गोली से इलाज शुरू होता है धीरे-धीरे वह हार्ट, किडनी, लिवर का रोगी बन जाता है और फिर, कभी भी बन्द न होने वाली दवाओं का सिलसिला चलने लगता है। जबकि आयुष चिकित्सा में दवायें धीरे-धीरे घटते-घटते बिल्कुल बन्द हो जाती हैं। ऐसे में आप सभी का पावन कर्तव्य बनता है कि पीड़ित मानव का सही मार्गदर्शन करें और उन तक जानकारी पहुँचायें, ताकि ऐसे पीड़ित मानव का कल्याण हो सके और लोग अंग्रेजी दवाओं के जाल से बच सकें ।
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयीसंस्थाध्यक्ष, आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूटधाम (उ.प्र.) २१०२०५ Evidence based treatment (वैज्ञानिक प्रमाण युक्त चिकित्सा)
डॉ. सुनील श्रीवास्तव जी ने बताया सही रास्ता !!
➡ मैं
कु॰ लक्ष्मी मेरी माता जी श्रीमती सम्पत देवी (उम्र ५१ वर्ष) हम लोग बाँदा जिले के
बदौसा से हैं।
➡ मेरी
माँ को अप्रैल २०१७ में अचानक से कमर से लेकर पैर तक बहुत तेजी से दर्द हुआ, तो मैं अपने माता जी को शिवरामपुर के
एक प्राइवेट अस्पताल में दिखाया, वहाँ
के डॉक्टर ने पेन किलर दवायें दी और इंजेक्शन लगाये तो आराम मिल गया, वहाँ का १ माह तक इलाज चला।
➡ फिर
इसके बाद हम लोग मेडिकल कॉलेज, बाँदा
में दिखाये तो वहाँ के डॉक्टरों ने भी दर्द की दवायें दीं और कहा कि आपका यह रोग
कभी भी ठीक नहीं होगा, हमेशा के लिए पेन किलर की दवा खानी
पड़ेगी। हम लोग वहाँ से दवा लेकर चले आये।
➡ इसके
बाद हम बाँदा के एक प्रसिद्ध एलोपैथिक डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने ५-६ माह तक
दवायें चलायीं।
➡ फिर
जबलपुर में डॉक्टर जामदार को दिखाया जो हड्डी विशेषज्ञ हैं, उन्होंने कहा मैं गारण्टी से ठीक कर
दूँगा, तो अंग्रेजी दवा दिया और इंजेक्शन
लगाया और ३ सप्ताह के लिए दवा दिया, थोड़ा
आराम मिला लेकिन फिर जब दूसरी बार गये तो उन्होंने कहा कि आपको ऑपरेशन करवाना
पड़ेगा और घुटनों में इंजेक्शन लगाये, हम
लोग ऑपरेशन नहीं करवाये और वहाँ से चले आये।
➡ तभी
हम लोग माता जी को बेड़ी पुलिया में डॉक्टर गौड़ जो बाँदा से आते हैं उनको दिखाया तो
उन्होंने मलहम और १० दिन की दवा दी थोड़ा आराम हुआ, २ माह तक दवायें चलीं।
➡ २०२०
में डॉक्टर करन राजपूत को दिखाया, उन्होंने
सीआरपी की जाँच करवायी और अंग्रेजी दवायें दीं, १४
माह तक दवायें चलीं। अंग्रेजी दवा खाने से पूरे शरीर में जलन व दर्द रहता था।
➡ फिर
लॉक डाउन में अचानक से पूरे शरीर में दर्द होने लगा, तभी हमने नार्मल जाँच करवायी तो पता चला कि किडनी खराब हो गयी, इसके बाद हम अतर्रा के सरकारी हॉस्पिटल
में दिखाया तो उन्होंने कहा कि आप इलाहाबाद ले जाइये।
➡ तभी
हमारी बदौसा के ही पुराने डॉक्टर बच्ची के बेटे डॉक्टर सुनील श्रीवास्तव हैं वे
अतर्रा में डॉक्टर हैं, उनसे मुलाकात हुयी, उन्होंने आयुष ग्राम (ट्रस्ट)
चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पूरी जानकारी दी और कहा कि आप इलाहाबाद जाने के पहले
आयुष ग्राम चित्रकूट में दिखा लें क्योंकि नर्सिंग होम्स, एलोपैथ अस्पतालों का बहुत आडम्बर है। वे आपको धीरे-धीरे डायलेसिस तक
पहुँचा देंगे।
➡ अब
हम लोग १८ मई २०२१ को आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचे, वहाँ रजिस्ट्रेशन करवाया, नम्बर
आने पर ओपीडी-१
में डॉ. त्रिपाठी जी के
पास बुलाया गया। उस समय माता जी को काफी समस्यायें हो रही थीं-
➡ उस समय कमर में दर्द, पूरे शरीर में जलन, कमजोरी, घबराहट, बेचैनी, भूख न लगना आदि समस्यायें थीं।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में भर्ती होने के समय की रिपोर्ट
➡ आयुष ग्राम चित्रकूट में डॉ. महेन्द्र त्रिपाठी जी ने सारी
समस्याँयें पूछीं और जाँचें करवायीं। जाँच रिपोर्ट आने पर उन्होंने १५ दिन के लिये
भर्ती होने की सलाह दी, हम लोग भर्ती हो गये, पंचकर्म चिकित्सा शुरू हो गयी, ५-६ दिन में काफी आराम मिलने लगा। यहाँ
की चिकित्सा में न कोई इंजेक्शन, न कोई चीर-फाड़। केवल आयुर्वेदीय पद्धति से ही चिकित्सा है।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में भर्ती होने के एक सप्ताह बाद की रिपोर्ट
➡ एक सप्ताह बाद जब जाँच हुयी तो यूरिक
एसिड ११.४ से घटकर ७.६, क्रिटनीन
२.४ से घटकर २.०, यूरिया ६७.४ से घटकर ४९.६ आ गया।
रिपोर्ट देखकर हम बहुत खुश हुये। पंचकर्म होता गया, सिंकाई, मालिश, बस्ति आदि।
➡ कमजोरी, घबराहट, कमर व पूरे शरीर का दर्द में काफी आराम
मिल गया और अंग्रेजी दवायें भी बन्द हो गयीं। दूसरे सप्ताह जाँच करायी तो यूरिया
७०.८, क्रिटनीन १.४ आ गया।
हम और हमारा पूरा परिवार बहुत खुश है
और आयुष ग्राम
ट्रस्ट चित्रकूट के पूरे स्टॉफ को धन्यवाद देता है और
डॉ. सुनील श्रीवास्तव जी के बहुत आभारी हैं जिन्होंने सही रास्ता बताया और हम आयुष ग्राम चिकित्सालय चित्रकूट पहुँचे जिसके कारण मेरी माता जी को
नया जीवन मिल गया।
लक्ष्मी देवी
बरछा (बदौसा), बाँदा (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)
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