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अरुण प्रताप सिंह साथ में पत्नी और बच्ची !! |
➡️ मैं अरुण प्रताप सिंह, मेरी
बच्ची अदिति इस समय साढ़े तीन माह की है, हम
सतना (म.प्र.) से हैं। मैं एक
सामान्य परिवार से किसान हूँ।
➡️ यह मेरी पहली बच्ची अदिति नार्मल डिलेवरी से
हुयी, मेरी बच्ची का वजन ढाई किलो ग्राम
था, बच्ची के जन्म के दूसरे दिन उसे बुखार आने लगा, उसे डॉक्टरों ने
वेन्टीलेटर में रख दिया, वेन्टीलेटर में रखने के दूसरे दिन ही बच्ची को झटके
आने लगे,
१ माह के बाद यह कह कर डिस्चार्ज कर दिया कि
बच्ची कुपोषित है, इसका विकास नहीं हो पायेगा।
➡️ हम लोग बच्ची को घर ले आये, घर
में आने के बाद उसके शिर बढ़ने लगा, लेकिन
बाकी शारीरिक विकास बिल्कुल नहीं हो रहा था, बच्ची का वजन १ माह में
ढाई किलो ग्राम से घटकर ९०० ग्राम रह गया।
➡️ हम लोग बच्ची को लेकर नागपुर गये, वहाँ
पर सोनोग्राफी करवाई और एक्स-रे भी हुआ तो बताया गया कि बच्ची के सिर में पानी है, इसका
ऑपरेशन करना पड़ेगा, सिर का पानी एक पाइप के माध्यम से शरीर में लाना पड़ेगा, ऑपरेशन के
बाद भी कोई निश्चित नहीं है कि बच्ची ठीक हो पायेगी। मैंने मना
कर दिया और घर ले आया।
➡️ फिर मैं जबलपुर लेकर गया, वहाँ
भी जो नागपुर के डॉक्टर बोले थे वही बोला गया कि सिर
के ऑपरेशन करने के बाद भी बच्ची ठीक होती है या नहीं यह निश्चित नहीं है।
➡️ फिर मैं रीवा के डॉक्टर दिनेश पटेल को दिखाया, वहाँ
पर एमआरआई करवाई गयी, इन्होंने भी सिर के ऑपरेशन की ही
बात कही। अब हम लोग बच्ची को हतास होकर घर ले आये। बिल्कुल विश्वास ही खत्म हो गया था कि मेरी बच्ची कभी नार्मल
बच्चों की तरह हो भी पायेगी।
➡️ तभी मेरे एक रिश्तेदार जो अपना इलाज आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट में करा रहे थे वे यहाँ के बारे
में बताया। मैं एक आखिरी आशा से दिनांक १२ मार्च २०२१ को आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचा, वहाँ
पहुँचकर रजिस्ट्रेशन करवाया, उसके बाद
नम्बर आने पर ओपीडी-२ में डॉक्टर वाजपेयी जी के
पास बुलाया गया। उन्होंने देखा और कहा कि सिर में पानी तो है पर आप बिल्कुल परेशान न हों कोई ऑपरेशन की जरूरत नहीं होगी।
➡️ जब बच्ची को लेकर आयुष ग्राम ट्रस्ट चिकित्सालय आये
उस समय उसे झटके आ रहे थे, अच्छे से दूध भी नहीं पीती थी।
➡️ उसकी सिर की वृद्धि तो होती चली जा रही थी
लेकिन शारीरिक व मानसिक विकास बिल्कुल नहीं हो रहा था।
➡️ सिर में
पानी काफी था, जो
ऊपर से हाथ रखने पर महसूस हो रहा था। बच्ची का वजन उस समय १२०० ग्राम था।
➡️ सर ने देखा और सलाह दी कि ७ दिन यहाँ भर्ती कर
चिकित्सा करवाइये। मैं और मेरी पत्नी बच्ची को लेकर ७ दिनों तक भर्ती हो गया। आप
आश्चर्य करेंगे कि बच्ची को पहले ७ दिनों
में ही अन्तर आने लगा, झटके कम हो गये और दूध भी अच्छे से पीने लगी।
➡️ मुझे १ माह की दवायें दी गयीं और डिस्चार्ज कर
दिया गया। लेकिन थोड़ी सी झटके की समस्या होने लगी तो मैं फिर से १५ दिनों में ही
बच्ची को लेकर पहुँच गया, सर ने फिर देखा और २-३ दिनों के
लिए अपनी निगरानी में रखा, २-३ दिनों में मेरी बच्ची को लगभग
३० से ४० प्रतिशत आराम मिल गया।
➡️ आज ढाई माह पूरे होने वाले हैं दवायें चलते, आज
मेरी बच्ची को झटकों में काफी आराम है और मेरी बच्ची का इस समय शारीरिक व मानसिक
विकास दोनों हो रहा है, सिर का पानी जो छूने से महसूस होता था जो १०-१५ प्रतिशत ही रह
गया है, अब बच्ची एक्टिव भी है।
➡️ मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी बच्ची को पूरा नया
जीवन मिल गया। जहाँ मैंने अंग्रेजी डॉक्टरों के सभी जगह ऑपरेशन की बात सुनकर हार
मान ली थी वहीं आज आयुष ग्राम चित्रकूट में आकर मुझे एक नई आशा मिली। मैं
तो कहता हूँ कि यदि मेरी तरह कोई भी परेशान हो तो एक बार आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट अवश्य जायें। आयुष का बहुत बड़ा
संस्थान है और ऐसे ही असाध्य रोगी लाभ उठाते हैं।
अरुण प्रताप सिंह
डेगरहट (रामपुर), सतना (म.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
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