Evidence based treatment (वैज्ञानिक प्रमाण युक्त चिकित्सा)
मैं श्याम सुन्दर पाण्डेय मेरी माँ श्रीमती विजयलक्ष्मी (45 वर्ष) हम सिद्धार्थ नगर (उ.प्र.) से हैं।
➡️ मेरी माँ को 10 साल पहले
सुगर की समस्या थी तभी से अंग्रेजी दवाएं लेने लगीं थीं। कुछ
दिनो बाद मेरी माँ के कमर व सभी जोड़ो में दर्द होने लगा, सियाटिका की समस्या हो गयी, घुटनों में दर्द लगातार
रहता था। मैंने सबसे पहले लखनऊ के लोहिया हॉस्पिटल में दिखाया, वहाँ पर एमआरआई हुयी, एमआरआई में एल-4 व एल-5 में समस्या बतायीं गयीं, अंग्रेजी दवायें चली, लेकीन
समस्यायें धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी अब डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए बोल दिया।
➡️ मैंने
लखनऊ के कई अच्छे हॉस्पिटलों में दिखाया। सभी जगहों पर अपनी - अपनी अंग्रेजी
दवायें चलीं और अन्त में ऑपरेशन के लिए बोल दिया जाता था कि ऑपरेशन के बिना कुछ भी
सम्भव नहीं है। फिर मैंने गोरखपुर में दिखाया और वहाँ भी ऑपरेशन के लिए ही बोला
गया।
➡️ अब आप ही बताइये कि जिस रीढ़ के ऑपरेशन में डॉक्टर एक प्रतिशत भी गारण्टी
लेने के लिए तैयार नहीं और यह लिखा लेते हैं कि यदि आपका मरीज अपंग हो जाए तो
हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं तो हम कैसे ऑपरेशन करा लें। खैर! मैं ऑपरेशन टालता गया।
➡️ तभी मुझे भगवान राम कि जन्मभूमि अयोध्या जी के एक व्यक्ति से भेंट हुयी। उन्होने एक रोगी सुधांशु सिंह के बारे बताया जो बहुत ही गम्भीर स्थिति में था, सभी न्यूरो के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। वह आयुष ग्राम चित्रकूट से ठीक हुआ। तो हमें आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला। मैं बिना देर किए अपनी गाड़ी में श्रीमती विजयलक्ष्मी को आयुषग्राम चित्रकूट लेकर पहुँचा वहाँ ओपीडी में रजिस्ट्रेशन हुआ और ओपीडी-2 में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया।
इतनी
समस्यायें थीं- जब मैं अपनी माँ को लेकर यहाँ आया था, उस समय
मेरी माँ झुक नहीं पाती थी, नीचे बैठ नहीं पाती थीं, चलने में समस्या होती थी, घुटनों मे दर्द लगातार
बना रहता था, कमर में दर्द होता था,
सुगर व ब्लडप्रेशर कि 2 साल से दवा ले रहीं थीं, पेन किलर
लेती थीं फिर भी दर्द में आराम नहीं होता था। सोचिए कि क्या दशा रही होगी।
आयुष ग्राम चित्रकूट में सर ने देखा और एमआरआई देखी और फिर
बड़े आत्मविस्वास से कहा कि कोई ऑपरेशान नहीं होने दूँगा। आप
इन्हे 1-1 माह के अन्तर से 2-2 सप्ताह यहाँ रखेँ, यहाँ
स्नेहन,स्वेदन,बस्तियाँ, कटि बस्तियाँ होंगी। हर माह 10% सुधार होगा लगातार और 6 से 8 माह लगातार
दवायें चलेंगी और आपकी माँ 90% ठीक हो जायेंगी। चलेंगी, घूमेंगी, बैठेंगी,दर्द नहीं
होगा।
➡️ मैंने 2 सप्ताह के लिए भर्ती कर दिया अस्पताल जैसा यहाँ का वातावरण नहीं है खुली,प्रक्रातिक, मनोरम वातावरण, चिकित्सा शुरू हुयी, इन 2 सप्ताह की चिकित्सा व थैरेपी से मेरी माँ को 40% का आराम मिल गया। डिस्चार्ज करते समय एक माह फिर अगलें माह 10 दिनों के लिए भर्ती करके चिकित्सा करवायी, इतने में मेरी माँ को 50% का आराम मिल गया, मेरी माँ को यहाँ आने के बाद कोई पेन कलर कि जरूरत नहीं पड़ी और झुकने भी लगीं, चलने भी लगीं, नीचे बैठकर योग प्राणायाम करने लगीं हैं, सुगर भी नार्मल चल रहा है, दर्द में सभी जगह बहुत आराम है, अभी हल्का घुटनों में दर्द रहता है। अब बताइये कि जिसे डॉक्टर ऑपरेशन कह रहे थे उसे आराम से आयुष ग्राम चित्रकूट से आराम मिला गया। इतनी अच्छी चिकित्सा है यहाँ की।
➡️ मेरे परिवार के सभी
लोग खुश है, जहां अंग्रेजी डॉक्टर बिना ऑपरेशन के खड़े न हो
पाने कि बात कर रहे थे, 10 सालों से परेशान था। वहीं मेरी
माँ आधा किलोमीटर चलने लगीं तो और क्या चाहिए?
➡️ मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी माँ ऑपरेशन से बच गयीं और सिर्फ चिकित्सा से ढाई माह में 50% से ज्यादा आराम मिल गया, मुझे पूर्ण विश्वास है कि वे 6 से 8 माह में पूर्ण: स्वस्थ हो जायेंगीं। मैंने यहाँ एक नहीं अनेक ऐसे रीढ़, किडनी, हार्ट के रोगी को देखा जो बिना ऑपरेशान ठीक हो रहें हैं। यहाँ कोई चमत्कार नहीं है, चिकित्सा पद्धति डॉक्टर वाजपेयी सर की। सर का एक चिकित्सा तरीका है। यहाँ की बनी दवाएं और नियम परहेज है। हम सब मिलकर इसका प्रचार करें सभी तक पहुँचाएं ताकि दूसरे पीड़ित मानव भी लाभ उठायें।
जय हिन्द!
श्याम
सुन्दर पाण्डेय
सोहना, सिद्धार्थ नगर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद)
0 टिप्पणियाँ