गठिया से अपंग हो गयी थी, जिन्दगी से हार गयी थी पर 2 माह में चलने लगी आयुष ग्राम चित्रकूट से !!

क्या ये सही नहीं है !!
किडनी और हृदय रोगों की चिकित्सा आयुष में बहुत ही उत्कृष्ट है, ऐसे रोगी जिनकी अंग्रेजी दवा खाते - खाते शरीर की जीवनीय शक्ति और व्याधिक्षमत्व शक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाती है ऐसे रोगियों को आयुष चिकित्सा बहुत ही परिणामोत्पादक, प्रभावशाली और जीवनदायिनी है, किन्तु लोगों में जागरूकता का आभाव है जन - जन को इसका प्रचार करना चाहिए। आज अंग्रेजी इलाज की स्थिति यह है कि पहले एक गोली से इलाज शुरू होता है धीरे-धीरे वह हार्टकिडनीलिवर का रोगी बन जाता है और फिरकभी भी बन्द न होने वाली दवाओं का सिलसिला चलने लगता है। जबकि आयुष चिकित्सा में दवायें धीरे-धीरे घटते-घटते बिल्कुल बन्द हो जाती हैं। ऐसे में आप सभी का पावन कर्तव्य बनता है कि पीड़ित मानव का सही मार्गदर्शन करें और उन तक जानकारी पहुँचायें, ताकि ऐसे पीड़ित मानव का कल्याण हो सके और लोग अंग्रेजी दवाओं के जाल से बच सकें 

डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
संस्थाध्यक्षआयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूटधाम (उ.प्र.) २१०२०५
Evidence based treatment (वैज्ञानिक प्रमाण युक्त चिकित्सा)

➡️    मैं नीलम सोनी (42 वर्ष), पति श्री पवन सोनी, वार्ड नं.-38, तुलसी गौशाला चौक, सतना (म.प्र.) से हूँ। मेरा पति श्री पवन सोनी बिजनेस करतें हैं। मुझे 18 साल पहले जोडों मेंदर्द होने लगा था, चलने में आवाज आने लगी थीं। मैंने ऐसे ही दर्द की दवायें लेकर खाती रहती थी, पर धीरे-धीरे पूरे शरीर में जकड़न होने लगी, अब मैं दिन में 2-3 बार पेन किलर होने लगी। मैंने सबसे पहले प्रयागराज में दिखाया, वहाँ जाँचे हुयीं डॉक्टर ने गठिया की समस्या बतायी, दवाएं चलीं लेकिन कोई आराम नहीं मिला।

➡️  फिर मैंने व नागपूर में दिखाया वहाँ भी गठिया की ही समस्या बतायी, काफी दिनों तक दवाएं चलीं लेकिन कोई आराम नहीं मिला, पेन किलर 2-3 बार लेनी ही पड़ती थी और धीरे-धीरे मैं अपंग होने लगा।

दवाएं खाते-खाते मुझे 10-12 साल पहले ज्वाइन्डिस की भी समस्या हो गयी थी, उसके लिए पहले प्रयागराज में 1 हफ्ते भर्ती रही फिर नागपूर में 1 माह भर्ती रही, दवाएं चलीं आराम मिल गया।फिर मैंने गठिया के लिए ऐसे ही एक वैघ जी से आयुर्वेदिक दवायें भी खायीं कोई लाभ नहीं हुआ। घरेलू दवायें मैं 18 सालों से चल ही रही थी, जो जैसा बताता था वैसे ही करती थी।

➡️ अब दवायें खाते-खाते मुझे 2 साल से सुगर व ब्लडप्रेशर की समस्या हो गयीं, इसकी भी अंग्रेजी दवायें चलीं। मार्च 2020 से मुझे बहुत समस्यायें होने लगीं –

प्रयागराज हॉस्पिटल की रिपोर्ट 

➡️ पूरे शरीर में जकड़ाहट सी हो गयी।                                           

➡️ सभी जोड़ों में दर्द व सूजन आ गयी थी, धोखे से छू जाने में दर्द होता था।

➡️ मेरा चलना-फिरना बिल्कुल बंद हो गया, अपने आप से से  करवट तक नहीं ले पाने लगीं, मैं अपने से एक सीधी भी नहीं चढ़ पाती थी। शुगर व ब्लडप्रेशर की कई और भी सारी दवाएं पेन किलर दवाएं ले रहीं थी।

➡️  मैं बहुत परेशान हो गयी थी, मैं अपनी जिन्दगी से हर मान ली थी, मुझे सभी-पैथी से सभी प्रकार की दवायें खाकर परेशान हो गयी।

➡️ फिर उसी समय मेरे पति को किसी व्यक्ति के द्वारा आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला। मैं 11 अक्टूबर 2020 को आयुष ग्राम चित्रकूट अपनी माँ के साथ आयी, रजिस्ट्रेशन हुआ फिर ओपीडी-2 में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होंने देखा और कुछ जाँचे करवायीं, जाँच में गठिया की ही समस्या बतायी।

➡️  उस समय भी बिल्कुल चल नहीं पा रहीं थी। उन्होंने कहा आप बिल्कुल परेशान न हो, रोग तो 18 साल से पुराना है ही लेकिन मैं आप को चलाऊँगा, यह कहकर 2 सप्ताह बरती रहकर चिकित्सा करवाने की सलाह दी, मैं आयुष ग्राम चित्रकूट में भर्ती हो गयी चिकित्सा शुरू हुयी, मेरी इन 15 दिनों में सिर्फ शुगर की अंग्रेजी दवायें छोडकर सारी दवायें बंद हो गयीं थी और 10 से 20% तक गठिया में आराम भी मिल गया था, फिर 2 सप्ताह बाद डेढ़ माह की दवायें देकर घर भेज दिया, फिर पुन: 3 जनवरी 2020 को 2 सप्ताह के लिए भर्ती होकर चिकित्सा करवायी, इन 2 सप्ताह में 50% आराम मिल गया।

आयुष ग्राम में भर्ती होने के 2 सप्ताह बाद की रिपोर्ट 
➡️  इस समय मैं काफी चल पाने लगी हूँ, तीन मंजिल की सीढ़ियाँ भी उतरकर नीचे आने-जाने लगी हूँ। अपना नित्यकर्म कर पाने लगी शुगर व ब्लडप्रेशर की दवायें भी बंद हो गयी।
➡️  सभी जोड़ो के दर्द में काफी आराम है, अब उठ-बैठ पाने लगी हूँ। बिना पेन किलर के भी दर्द में आराम है।

➡️  मैं बहुत खुश हूँ कि मैं जीवन से हर गयी थी पर मेरी 18 साल की बीमारी सभी आयुर्वेद, घरेलू दवायें, अंग्रेजी दवायें खा-खाकर परेशान हो गयी, यहाँ पर सिर्फ 2 माह में ही 50% से ज्यादा आराम मिल गया। मैं और मेरा पूरा परिवार बहुत खुश है। व पूरे अस्पताल परिवार को धन्यवाद देती हूँ जो 18 साल की बीमारी को 2 माह में सिर्फ आयुर्वेद चिकित्सा से मुझे 50% आराम मिल गया। अब मैं बहुत जल्द पहले जैसे काम कर पाऊँगी, मैं पूर्ण स्वस्थ हो जाऊँगी। एस विश्वास है।

➡️ मैंने देखा कि चित्रकूट सूरजकुण्ड रोड में आयुष ग्राम ऐसा आयुष चिकित्सा संस्थान है जो पूर्ण वैज्ञानिक तरीके से आयुष चिकित्सा होती है डॉक्टरों, नर्सें, फर्मासिस्ट का स्टॉफ है। सम्पूर्ण चिकित्सा कि व्यवस्था है अत: गठिया, रीढ़, हार्ट, किडनी के रोगी यहाँ से नया जीवन पते हैं बस, रोगी यहाँ कि पूरी सलाह माने तो मेरी तरह ही लोगों को जिन्दगी मिलती है।

नीलम सोनी पत्नी श्री पवन सोनी

वार्ड नं॰-38, कल्लू बर्तन वाले के पास, तुलसी गौशाला चौक, सतना (म॰प्र॰)  

डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।

इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
डॉ. अर्चना वाजपेयी

डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी. (मेडिसिन-आयु.) में हैं आप स्त्री – पुरुषों के जीर्ण, जटिल रोगों की चिकित्सा में विशेष कुशल हैं । मृदुभाषी, रोगी के प्रति करुणा रखकर चिकित्सा करना उनकी विशिष्ट शैली है । लेखन, अध्ययन, व्याख्यान, उनकी हॉबी है । आयुर्वेद संहिता ग्रंथों में उनकी विशेष रूचि है ।

आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित
   
आयुष ग्राम चिकित्सालय:चित्रकूट 
   मोब.न. 9919527646, 8601209999
 website: www.ayushgram.org



  डॉ मदन गोपाल वाजपेयी         आयुर्वेदाचार्यपी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी.साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद)एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत), एल-एल.बी. (B.U.)
 प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन 

डॉ परमानन्द वाजपेयी                                                एम.डी. (एस.&पी.मेडिसिन-आयु0)    
                             
डॉ अर्चना वाजपेयी                              एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद) 

                 

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