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शुभम वर्मा साथ में पिता छकौड़ी लाल वर्मा |
➡️ मैं शुभम्
मेरे पिता जी श्री छकौड़ी लाल वर्मा (उम्र ६२), हम
लोग कृपालु वार्ड नं.-१६, सतना
(म.प्र.) से हैं।
➡️ मेरे पिता जी पीएचई
(जलकल विभाग) से ३० जून २०२० को रिटायर्ड हुए
थे। पिता जी को १० साल से सुगर की समस्या थी, तभी
से अंग्रेजी दवायें चलती थीं।
➡️ ३ साल पहले अचानक खाँसी, बुखार
आने लगा, मैंने स्थानीय डॉक्टरों से इलाज
करवाया लेकिन कोई आराम नहीं मिल पा रहा था तो उन्होंने खून जाँच करवाने की सलाह
दी।
➡️ मैं सतना ले गया, वहाँ
जाँचें करवायी तो उसमें किडनी की समस्या का पता चला, बीच-बीच में सुगर लेबल
४०० से ५०० तक बढ़ने लगा तो डॉक्टर तीन बार (१०,१२,१० यूनिट) इंसुलिन
लगावने लगे, इंसुलिन लेने के बाद भी १ घण्टे तो ठीक रहता, फिर से सुगर लेबल बढ़ने
लगता।
➡️ फिर मैंने नागपुर के डॉक्टर शिवनारायण आचार्य
जी के पास ले गया, उन्होंने जाँचें करवायीं, जाँच में- क्रिटनीन बढ़ा
था इसलिए उन्होंने कहा कि ज्यादा समस्या हो रही है, वहाँ पर २० दिनों के लिए
भर्ती रखा गया। १ माह की दवा लेकर घर ले आये, ६
माह तक इलाज चलता रहा लेकिन ६ माह बाद किटनीन बढ़कर ९ हो गया और तब उन्होंने तुरन्त
डायलेसिस के लिए बोल दिया।
➡️ फिर मैं
डायलेसिस न करवाने के कारण नागपुर के किंग्सवें
हॉस्पिटल में ले गया, वहाँ
पर भी जाँचें देखकर डायलेसिस के लिए बोला गया। लेकिन सुगर लेबल बिल्कुल कण्ट्रोल नहीं हो पा रहा था ६०० से
७०० तक पहुँच जाता था और वहाँ के डॉक्टर ने जो दवायें दीं थीं उससे पूरे
शरीर में दर्द होने लगा, वे
कराहने लगे। २५-३० दिनों तक भर्ती रखा लेकिन कोई आराम नहीं मिला।
➡️ फिर मैं
नागपुर के डॉ. शिवनारायण आचार्य जी के पास पिता जी को ले गया, वहाँ
पर १ सप्ताह तक भर्ती रखकर चिकित्सा हुयी, ७
दिनों बाद क्रिटनीन बढ़कर १४ हो गया।
➡️ अब मेरे पिता जी बिल्कुल अचेत अवस्था में हो गये, उनकी
याददाश्त चली गयी, खाना-पीना, चलना-फिरना, बोलना, टट्टी-पेशाब सब बन्द हो गया। २० दिनों तक टट्टी-पेशाब बिल्कुल
नहीं हुयी। दर्द तो पूरे शरीर में इतना था कि न तो लेटे रहते थे, न बैठे।
बस! दर्द से खूब चिल्लाते रहते थे।
➡️ इन सभी समस्याओं के लिए डॉक्टर ने कहा हर हफ्ते ३ डायलेसिस करवाते रहो और
अपने पिता जी को घर ले जाकर सेवा करो।
➡️ मैं डायलेसिस नहीं करवाना चाहता था, इसके लिए
मेडीटीना हॉस्पिटल नागपुर गया, वहाँ पर ३ डायलेसिस हुयीं और खून के १० इंजेक्शन लगवाते रहे।
फिर मैं वहीं के एक डॉक्टर से सीधे पूछा कि क्या डायलेसिस के अलावा कोई उपाय नहीं
है तो उन्होंने कहा कि मैं यह तो नहीं कह सकता कि यह कितने दिन चल सकेंगे, हो सकता है १० दिन या १ माह बस।
➡️ मेडीटीना में कहा गया कि इतना ज्यादा दर्द है
तो मेरे पापा को कैंसर
है उन्होंने सारी जाँचें करवायीं और कैंसर
के लिए दवायें व इंजेक्शन भी मँगवा लिए लेकिन जाँच में कैंसर
की सारी रिपोर्टें नार्मल आयीं। मैं किस कदर परेशान था आप समझ सकते हैं, तभी
मेरी भेंट मेरे मित्र से हो गयी जो अपना इलाज आयुष
ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट में
करवाकर पूर्ण स्वस्थ हैं, उसकी भी हालत बिल्कुल मेरे पापा के
ही तरह थी के द्वारा आयुष ग्राम ट्रस्ट चिकित्सालय, चित्रकूट के
बारे में पता चला।
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आयुष ग्राम चिकित्सालय में भर्ती होने के समय की रिपोर्ट |
➡️ मैं अपने पिता जी को लेकर आयुष
ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट पहुँचा, वहाँ
रजिस्ट्रेशन हुआ और फिर नम्बर आने पर डॉक्टर वाजपेयी जी की ओपीडी में भेजा
गया। उस समय मेरे पापा कराह रहे थे, चिल्ला
रहे थे, शरीर में घोर दर्द था, टट्टी-पेशाब
रुकी थी। स्ट्रेचर में लेटे हुये थे, डॉक्टर
वाजपेयी जी ने उन्हें देखा तो उन्होंने कहा मैं ७२ घण्टे भर्ती रखकर देखूँगा अगर
कोई आराम मिलता है तो ठीक नहीं तो डायलेसिस करवानी पड़ेगी। उन्होंने
भर्ती किया और २४ घण्टे में ही मेरे पापा को आराम मिलने लगा, टट्टी-पेशाब
होने लगा, दर्द
में आराम मिल गया। लेकिन पेशाब अच्छी तरह से न होने के कारण
डायलेसिस के लिए भेज दिया गया। मैंने पिता जी की २ डायलेसिस करवायी और फिर आयुष
ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट लेकर
आ गया। यहाँ फिर से २० दिनों तक भर्ती रखकर चिकित्सा
करवायी। भर्ती के समय क्रिटनीन 9 था जाते समय 6.1 हो गया। वे चलने लगे। भूख लगने लगी।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में चिकित्सा के बाद की रिपोर्ट
मैं बहुत खुश हूँ कि हम सभी लोगों ने उम्मीद ही
छोड़ दी थी, वहीं आज आयुष
चिकित्सालय की चिकित्सा व दवाओं से बिना डायलेसिस व बिना
चीर-फाड़ के मेरे पिता जी आज हम सभी लोगों के बीच स्वस्थ हैं, बाते
करते हैं और आराम से खाते-पीते हैं। सभी जाँचें भी धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं। मेरे
पिता जी को आज नई जिन्दगी मिल गयी है, मैं
पूरे स्टॉफ व सर को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ जिन्होंने मेरे पिता जी को एक नया
जीवनदान दे दिया।
आयुष ग्राम चिकित्सालय, उत्तर
भारत का सबसे बड़ा आयुष अस्पताल है इतने
समर्पित, मेहनती डॉक्टर, नर्सिंग
स्टाफ, अस्पताल की साफ-सफाई, व्यवस्था
और सबसे बड़ी बात शान्ति का वातावरण देखकर हम बहुत प्रसन्न हैं। यहाँ का आध्यात्मिक
वातावरण यहाँ की शान्ति है। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में
लोक कल्याण का बहुत बड़ा काम हो रहा है। मैं तो सभी को कहता हूँ कि ऐसे पीड़ित मानव
यहाँ पहुँचकर जीवनदान पायें।
शुभम वर्मा पुत्र श्री छकौड़ी लाल वर्मा,
कृपालपुर वार्ड नम्बर-१६, सतना (म.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
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