डायलेसिस बन्द हुयी : श्रेया में हमें नयी श्रेया दिखी !!

क्या ये सही नहीं है किडनी और हृदय रोगों की चिकित्सा आयुष में बहुत ही उत्कृष्ट है, ऐसे रोगी जिनकी अंग्रेजी दवा खाते - खाते शरीर की जीवनीय शक्ति और व्याधिक्षमत्व शक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाती है ऐसे रोगियों को आयुष चिकित्सा बहुत ही परिणामोत्पादक, प्रभावशाली और जीवनदायिनी है, किन्तु लोगों में जागरूकता का आभाव है जन - जन को इसका प्रचार करना चाहिए आज अंग्रेजी इलाज की स्थिति यह है कि पहले एक गोली से इलाज शुरू होता है धीरे-धीरे वह हार किडनी लिवर का रोगी बन जाता है:और फिर कभी भी बन्द न होने वाली दवाओं का सिलसिला चलने लगता है। जबकि आयुष चिकित्सा में दवायें धीरे-धीरे घटते-घटते बिल्कुल बन्द हो जाती हैं। ऐसे में आप सभी का पावन कर्तव्य बनता है कि पीड़ित मानव का सही मार्गदर्शन करें और उन तक जानकारी पहुँचायें ताकि ऐसे पीड़ित मानव का कल्याण हो सके और लोग अंग्रेजी दवाओं के जाल से बच सकें डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
संस्थाध्यक्षआयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूटधाम (उ.प्र.) २१०२०५
Evidence based treatment (वैज्ञानिक प्रमाण युक्त चिकित्सा)

कु॰ श्रेया गुप्ता 

➡️    मैं दीपिका गुप्ता मेरी छोटी बहन श्रेया गुप्ता (१७ वर्ष), हम लोग यूसुफपुर मोहम्मदाबाद, गाजीपुर (उ.प्र.) से हैं। श्रेया १२वीं की छात्रा थी। उसे १३ अक्टूबर २०२० को सर्दी-जुकाम हुआ, १ हफ्ते बाद बुखार भी आने लगा तो हम लोग अपने यहाँ के सरकारी हॉस्पिटल में दिखाया, वहाँ पर इंजेक्शन लगे और अंग्रेजी दवायें चलीं, बस! यहीं से गड़बड़ी शुरू हो गयी, बीमारी की नींव पड़ गयी। इंजेक्शन, दवाओं से बुखार तो गया नहीं फिर जाँच करवाई तो बताया कि टायफायड है।

➡️    उसी समय से श्रेया को हर घण्टे २ से ५ मिनट तक के लिए झटके भी आने लगे, बेहोश भी हो जाती थी।

➡️    हम लोग बहुत परेशान हो गये और तुरन्त बीएचयू बनारस में दिखाया, वहाँ पर सारी जाँचें भी हुयीं तो किडनी की समस्या का पता चला।

➡️    ५ दिनों तक भर्ती रखा गया २ डायलेसिस कर दी गयीं। हालत बहुत खराब थी, कब न इमरजेन्सी की जरूरत पड़ जाये इसके लिए वहाँ से मेदान्ता लखनऊ के लिए रिफर कर दिया गया।

➡️    वहाँ पर फिर से जाँचें हुयीं और मेदान्ता में २० डायलेसिस हुयीं, २ यूनिट खून चढ़ाया गया।

➡️    १८ दिनों तक भर्ती भी रखा गया, १ हफ्ते में ३ डायलेसिस फिर धीरे-धीरे १ हफ्ते में २ डायलेसिस फिर १ डायलेसिस होने लगी।

➡️    बीएचयू व मेदान्ता दोनों में जिन्दगी भर डायलेसिस करवाते रहने या फिर किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गयी।

➡️    सच कहूँ तो मेरी बहन अपनी जिन्दगी से बिल्कुल घृणा करने लगी, उसे लगने लगा कि मैं कभी ठीक नहीं हो पाऊँगी।

➡️    तभी एक रोगी द्वारा आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकू के बारे में पता चला।

➡️    मैं १ जनवरी २०२१ को अपनी बहन को लेकर आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँची, मैंने रजिस्ट्रेशन करवाया और फिर नम्बर आने पर ओपीडी-२ में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होंने कुछ जाँचें करवायीं और कहा कि तीन सप्ताह तक भर्ती रखकर चिकित्सा करवायें आशा है कि आपकी बहन की डायलेसिस छूट जाएगी और वह बहुत जल्द स्वस्थ हो जायेगी।


आयुष ग्राम चिकित्सालय में भर्ती के समय की रिपोर्ट 


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    बहन की डायलेसिस छूटे इसके लिए कुछ भी करना पड़े मैं तैयार थी और मेरी बहन भी। मैं अपनी बहन को लेकर यहीं रही
, आज ३० दिन पूरे हो रहे हैं, आयुष ग्राम से तो २८ दिनों की चिकित्सा के बाद डिस्चार्ज कर रहे थे लेकिन मैंने ३ दिनों तक और अतिरिक्त रखा। यहाँ का पंचकर्म, दवाओं का सिस्टम समझाने का तरीका, अलग तरह का भोजन, रोगी को बहुत तेजी से स्वस्थ करता है। मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि डायलेसिस छूटेगी। मैंने देखा कि यहाँ दवाओं का बहुत विशाल भण्डार है। इतना बड़ा भण्डार तो मैंने किसी आयुर्वेद संस्थान में नहीं देखा।

आयुष ग्राम में भर्ती के बाद 8 जनवरी 2021 की रिपोर्ट 


➡️    मेरी बहन को इन ३० दिनों में बिल्कुल डायलेसिस की जरूरत नहीं पड़ी और वह अपने आपको बहुत स्वस्थ समझने लगी।

➡️    जैसे ही डायलेसिस  छूटी पहले एक सप्ताह  में सभी जाँचें बढ़ के आयीं फिर एक सप्ताह की चिकित्सा के बाद सभी जाँचें कम आती गयीं और धीरे-धीरे सारी अंग्रेजी दवायें भी बन्द करवा दी गयीं, और डायलेसिस की जरूरत बिल्कुल नहीं पड़ी ! उसका चेहरा बदल गया, सेहत अच्छी लगने लगी। वह जो अपनी जिन्दगी से हार मानने लगी थी वह आज अपने अन्दर एक नई जीनव जीने की आशा जागृत हुयी। हर हफ्ते जाँचें करवायी गयीं

आयुष ग्राम चिकित्सालय में बिना डायलेसिस के 30 दिन चिकित्सा के बाद की रिपोर्ट 

➡️    अब वह सभी से कहने लगी है कि मैं बहुत जल्दी पूर्ण स्वस्थ हो जाऊँगी और मैं अपनी अधूरी पढ़ाई भी पूरी करूँगी।

➡️    हम सब लोग उसके अन्दर एक नई श्रेया को देखकर जो अपने आपको बिल्कुल भूल से गयी थी बहुत खुश हैं।

➡️    हम लोग यहाँ के डॉक्टर्स व स्टॉफ को बहुत धन्यवाद देते हैं। जहाँ अंग्रेजी डॉक्टरों ने पूरी जिन्दगी डायलेसिस करवाने या फिर ट्रांसप्लाण्ट करवाने की बात कही थी वह आज बिना डायलेसिस पूर्ण स्वस्थ है। मेरी बात सब जगह पहुँचे मैं यही चाहती हूँ।

दीपिका गुप्ता

यूसुफपुर मोहम्मदाबाद, गाजीपुर (उ.प्र.)

डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।

इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
डॉ. अर्चना वाजपेयी

डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी. (मेडिसिन-आयु.) में हैं आप स्त्री – पुरुषों के जीर्ण, जटिल रोगों की चिकित्सा में विशेष कुशल हैं । मृदुभाषी, रोगी के प्रति करुणा रखकर चिकित्सा करना उनकी विशिष्ट शैली है । लेखन, अध्ययन, व्याख्यान, उनकी हॉबी है । आयुर्वेद संहिता ग्रंथों में उनकी विशेष रूचि है ।

आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित
   
आयुष ग्राम चिकित्सालय:चित्रकूट 
   मोब.न. 9919527646, 8601209999
 website: www.ayushgram.org



  डॉ मदन गोपाल वाजपेयी         आयुर्वेदाचार्यपी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी.साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद)एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत), एल-एल.बी. (B.U.)
 प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन 

डॉ परमानन्द वाजपेयी                                                एम.डी. (एस.&पी.मेडिसिन-आयु0)    
                             
डॉ अर्चना वाजपेयी                              एम.डी.(कायचिकित्सा-आयुर्वेद) 


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