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कु॰ श्रेया गुप्ता |
➡️ मैं दीपिका गुप्ता मेरी
छोटी बहन श्रेया गुप्ता (१७ वर्ष), हम लोग यूसुफपुर मोहम्मदाबाद, गाजीपुर (उ.प्र.) से
हैं।
श्रेया १२वीं की छात्रा थी। उसे १३ अक्टूबर २०२० को सर्दी-जुकाम हुआ, १ हफ्ते बाद बुखार भी आने लगा तो हम
लोग अपने यहाँ के सरकारी
हॉस्पिटल में दिखाया, वहाँ
पर इंजेक्शन लगे और अंग्रेजी दवायें चलीं, बस! यहीं से गड़बड़ी शुरू हो गयी, बीमारी की नींव पड़ गयी। इंजेक्शन, दवाओं से बुखार तो गया नहीं फिर जाँच
करवाई तो बताया कि टायफायड है।
➡️ उसी समय से श्रेया को हर
घण्टे २ से ५ मिनट तक के लिए झटके भी आने लगे, बेहोश भी हो जाती थी।
➡️ हम लोग बहुत परेशान हो गये और तुरन्त बीएचयू बनारस में दिखाया, वहाँ पर
सारी जाँचें भी हुयीं तो किडनी की समस्या का पता चला।
➡️ ५ दिनों तक भर्ती रखा गया २ डायलेसिस कर
दी गयीं। हालत बहुत खराब थी, कब न इमरजेन्सी की जरूरत पड़ जाये इसके लिए वहाँ से मेदान्ता लखनऊ के
लिए रिफर कर दिया गया।
➡️ वहाँ पर फिर से जाँचें हुयीं और मेदान्ता में २० डायलेसिस
हुयीं, २ यूनिट खून चढ़ाया गया।
➡️ १८ दिनों तक भर्ती भी
रखा गया,
१ हफ्ते में ३ डायलेसिस फिर धीरे-धीरे १ हफ्ते में २ डायलेसिस फिर
१ डायलेसिस होने लगी।
➡️ बीएचयू व मेदान्ता दोनों
में जिन्दगी भर डायलेसिस करवाते रहने या फिर किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गयी।
➡️ सच कहूँ तो मेरी
बहन अपनी जिन्दगी से बिल्कुल घृणा करने लगी, उसे लगने
लगा कि मैं कभी ठीक नहीं हो पाऊँगी।
➡️ तभी
एक रोगी द्वारा आयुष
ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला।
➡️ मैं
१ जनवरी २०२१ को अपनी बहन को लेकर आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँची, मैंने रजिस्ट्रेशन करवाया और फिर नम्बर
आने पर ओपीडी-२ में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होंने कुछ जाँचें
करवायीं और
कहा कि तीन सप्ताह तक भर्ती रखकर चिकित्सा करवायें आशा है कि आपकी बहन की डायलेसिस
छूट जाएगी और वह बहुत जल्द स्वस्थ हो जायेगी।
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आयुष ग्राम चिकित्सालय में भर्ती के समय की रिपोर्ट |
➡️ बहन
की डायलेसिस छूटे इसके लिए कुछ भी करना पड़े मैं तैयार थी और मेरी बहन भी। मैं अपनी
बहन को लेकर यहीं रही, आज ३० दिन पूरे हो रहे हैं, आयुष ग्राम से तो २८ दिनों की चिकित्सा के बाद
डिस्चार्ज कर रहे थे लेकिन मैंने ३ दिनों तक और अतिरिक्त रखा। यहाँ का पंचकर्म, दवाओं का सिस्टम समझाने का तरीका, अलग तरह का भोजन, रोगी को बहुत तेजी से स्वस्थ करता है। मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि डायलेसिस
छूटेगी। मैंने देखा कि यहाँ दवाओं का बहुत विशाल भण्डार है। इतना बड़ा भण्डार तो
मैंने किसी आयुर्वेद संस्थान में नहीं देखा।
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आयुष ग्राम में भर्ती के बाद 8 जनवरी 2021 की रिपोर्ट |
➡️ मेरी बहन को इन ३० दिनों में बिल्कुल डायलेसिस की जरूरत नहीं
पड़ी और वह अपने आपको बहुत स्वस्थ समझने लगी।
➡️ जैसे ही डायलेसिस छूटी पहले एक सप्ताह में सभी जाँचें बढ़ के आयीं फिर एक सप्ताह की चिकित्सा के बाद सभी जाँचें कम आती गयीं और धीरे-धीरे सारी अंग्रेजी दवायें भी बन्द करवा दी गयीं, और डायलेसिस की जरूरत बिल्कुल नहीं पड़ी ! उसका चेहरा बदल गया, सेहत अच्छी लगने लगी। वह जो अपनी जिन्दगी से हार मानने लगी थी वह आज अपने अन्दर एक नई जीनव जीने की आशा जागृत हुयी। हर हफ्ते जाँचें करवायी गयीं,
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आयुष ग्राम चिकित्सालय में बिना डायलेसिस के 30 दिन चिकित्सा के बाद की रिपोर्ट |
➡️ अब वह सभी से कहने
लगी है कि मैं बहुत जल्दी पूर्ण स्वस्थ हो जाऊँगी और मैं अपनी अधूरी पढ़ाई भी पूरी
करूँगी।
➡️ हम सब लोग उसके अन्दर एक नई श्रेया को देखकर जो अपने आपको
बिल्कुल भूल से गयी थी बहुत खुश हैं।
➡️ हम लोग यहाँ के डॉक्टर्स व स्टॉफ को बहुत धन्यवाद देते हैं। जहाँ अंग्रेजी डॉक्टरों ने पूरी जिन्दगी डायलेसिस करवाने या फिर ट्रांसप्लाण्ट करवाने की बात कही थी वह आज बिना डायलेसिस पूर्ण स्वस्थ है। मेरी बात सब जगह पहुँचे मैं यही चाहती हूँ।
दीपिका गुप्ता
यूसुफपुर मोहम्मदाबाद, गाजीपुर (उ.प्र.)
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