Evidence based treatment (वैज्ञानिक प्रमाण युक्त चिकित्सा)
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श्रीमती जयदेवी दीक्षित साथ में उनका बेटा आशुतोष दीक्षित |
✒️ मैं आशुतोष दीक्षित मेरी माँ
श्रीमती जयदेवी दीक्षित (६८ वर्ष), हम २६२, नई ग्वाल मण्डी, सीतापुर (उ.प्र.) के
रहने वाले हैं, मैं
एग्रीकल्चरिस्ट हूँ, मैं
एक सांइस का विद्यार्थी रहा हूँ।
✒️ मेरी माँ को १० साल पहले मधुमेह की समस्या हो
गयी थी तभी से अंग्रेजी दवायें लेने लगीं थीं, एक
वर्ष से ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टरों ने इंसुलिन लेने की सलाह दी। ब्लडप्रेशर
की भी अंग्रेजी दवा ले रहीं थीं। डॉक्टर दवा
पर दवा बढ़ाते गये पर रोग के मूल कारण और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर कोई ध्यान
नहीं दिया।
✒️ अभी २९ दिसम्बर २०२० की रात में हल्का अटैक
पड़ा, मैंने केजीएमयू हॉस्पिटल लखनऊ में
दिखाया, वहाँ पर एंजियोग्राफी व
एंजियोप्लास्टी तत्काल करवाने की सलाह दी गयी लेकिन मैं कुछ दवायें लेकर घर आ गया।
✒️ तभी मुझे
मेरे यहाँ के एक सरकारी डॉक्टर सम्पूर्णानन्द वैश्य हैं जो बिसवां के रहने वाले
हैं उनका और मेरे पिता जी का सम्पर्क है उनके द्वारा आयुष ग्राम ट्रस्ट
चिकित्सालय, चित्रकूट के
बारे में पता चला।
✒️ उन्होंने बताया कि आप यहाँ जायें निश्चित रूप
से न तो एंजियोप्लास्टी की जरूरत पड़ेगी, न
बहुत आडम्बर की। शांत और सेवाभावी अस्पताल है। आयुर्वेदिक
वैज्ञानिक चिकित्सा है, बहुत
ही योग्य डॉक्टर हैं और जितनी दवाइयाँ यहाँ पर उतनी शायद उत्तर भारत के किसी भी
आयुष अस्पताल में नहीं हैं।
✒️ मैं १० जनवरी २०२१ को अपनी पत्नी व माँ को
लेकर आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचा।
वहाँ रजिस्ट्रेशन हुआ और फिर ओपीडी-२ में डॉक्टर वाजपेयी जी
के पास बुलाया गया। जब मैं उनके पास लेकर पहुँचा उस समय मेरी माँ
को कई समस्यायें थीं-
✒️ २ सीढ़ियाँ
चढ़ने में साँस फूल
रही थी, आयुष ग्राम चिकित्सालय चित्रकूट में मेरी माँ को २ लोग पकड़कर
लेकर आये थे।
✒️ कमजोरी, थकान
व सीने में दर्द बना ही रहता था, भूख
कम लगती थी।
✒️ सुगर व ब्लडप्रेशर
की दवायें लेती ही थीं, अंग्रेजी
दवायें लेने के बाद भी ब्लड सुगर लेबल ३८५ से ४०० के
ऊपर चला जाता था, ब्लडप्रेशर
की दवा लेने के बाद भी १८० से २०० तक पहुँच जाता था।
✒️ डॉक्टर वाजपेयी जी ने देखा, नाड़ी
परीक्षण किया, सारी पुरानी जाँचें देखीं फिर कहा कि
आप बिल्कुल परेशान न हों, कोई
एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही अब अटैक आयेगा।
उन्होंने २ सप्ताह के लिए भर्ती रहने की सलाह दी। चिकित्सा शुरू हुयी, एक
विशेष तैल से हृदय में लेप टाइप से किया जाता, खान-पान
बदला गया।
✒️ ११वें दिनों
में ही सारी अंग्रेजी दवायें बन्द हो गयीं, सिर्फ सुगर
की दवा १ टाइम ले रही हैं। इस समय मेरी माँ को बहुत आराम है।
✒️ इस समय मेरी माँ १०० सीढ़ियाँ लगातार चढ़ सकती
हैं, अभी ५० सीढ़ियाँ उतरकर चढ़ जाती हैं
कोई समस्या नहीं होती। वह भी दो हफ्ते में।
✒️ मेरी माँ बहुत खुश है, एक
और बात लिखूँ कि मेरी पत्नी जो झाइयों से परेशान थी, भूख
नहीं लगती थी, बार-बार सर्दी-जुकाम हो जाता था, वह
भी यहाँ के शुद्ध, स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण और सादे
खान-पान और योग-प्राणायाम से बिल्कुल स्वस्थ हो गयीं, उनके
चेहरे में एक अलग सी कान्ति आ गयी, भूख
भी अच्छी लगने लगी।
हम सब लोग डॉ. वाजपेयी सर व आयुष
ग्राम ट्रस्ट के पूरे स्टॉफ को धन्यवाद देते हैं कि यहाँ की चिकित्सा से २ सप्ताह
में ही मेरी माँ को पूर्ण आराम मिल गया।
अब मैं आप सभी से यही कहना चाहता हूँ कि मेरी
बात सब जगह पहुँचायें जिससे दूसरे पीड़ित लोग भी लाभ उठायें। मैं यह कहता हूँ कि ऐसे अस्पताल सब जगह खुलने
चाहिए इससे तमाम लोग हार्ट के चीर-फाड़, स्टेंट
आदि से बच जायेंगे। मैं विज्ञान का छात्र होने के नाते यह जरूर
कहूँगा कि ऐसे अस्पताल का हार्ट रोगी लाभ जरूर उठायें।
आशुतोष दीक्षित मेरी माँ श्रीमती
जयदेवी दीक्षित
२६२, नयी ग्वाल मण्डी, सीतापुर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
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