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कृष्ण मोहन जी साथ में उनकी भांजी शलिनी दीक्षित |
मैं कृष्ण
मोहन (41 वर्ष) 52 मस्जिद वाली गली,
गोविंद नगर सिधौल, सीतापुर (उ.प्र.) से हैं। इस समय लखीमपुर खीरी में हम पति-पत्नी सहायक
अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।
मुझे 1 साल से गैस की समस्या
बहुत ज्यादा रहने लगी, मल बदबूदार बहुत रहता था, भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो रहा था, कब्जियत रहती
थी। जुलाई माह में बायें हाथ में शून्यता आ गयी, मैंने
सीतापुर के डॉक्टर पंकज अवस्थी को दिखाया, वहाँ 15 दिनों तक दवायें
चलीं परन्तु कोई भी आराम नहीं मिला।
धीरे-धीरे समस्या बढ़ती जा रही थी, मेरे पूरे शरीर में शून्यता आ गयी, बायें हाथ में कम्पन होने लगा, बायां हाथ बिल्कुल काम नहीं करने लगा, उठने बैठने में समस्या होने लगी, पकड़कर चलना पड़ता था। अंग्रेजी दवायें पर दावायें चलती जा रही थी, उधर मैं अपंग होता जा रहा था।
अब मुझे लखनऊ में डॉक्टर तरुण के पास ले गये, वहाँ पर एमआरआई करवाई गयी, एमआरआई में डॉक्टर ने
बताया की गर्दन के पास की नसें दब गयीं हैं जिसमें पूरे शरीर में समस्या हो रही
हैं। लखनऊ में 15 दिनो तक अंग्रेजी
दवायें चली, हल्का आराम मिला लेकिन वहाँ पर ऑपरेशन के लिए बोल दिया गया पर
यह भी कह दिया की कोई गारण्टी नहीं की आप ऑपरेशन से आप ठीक हो जायें। मेरी पत्नी
और बच्चे सब परेशान थे, मेरी दशा और दिन पर मुझे अपंग होते
देखकर मेरी भांजी आचार्या शालिनी दीक्षित को पता चला तो उसने कहा की चित्रकूट में आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय है।
वे वहाँ रह चुकीं थीं, उन्होने बताया की
न्यूरो हार्ट, किडनी रोगों का बहुत ही अच्छा इलाज है। वह भी बिना
ऑपरेशन।
मैं अपनी भांजी शालिनी दीक्षित को लेकर पत्नी के साथ भगवान श्रीराम की तपोभूमि
चित्रकूट के आयुष ग्राम संस्थान पहुँचा,
रजिट्रेशन हुआ और फिर ओपीडी-2 में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होने मुझे देखा और जाँचें
देखकर कहा की मिश्रा जी आप बिल्कुल परेशान न हों , आपको कोई ऑपरेशन नहीं करवाना पड़ेगा और कहा
आपको 8 माह तक दवा करानी होगी औए एक-एक माह के अन्तर से आयुष ग्राम
में
रहना होगा, यहाँ कुछ थैरेपी,
अभ्यंग, बस्तियाँ, स्वदेन आदि होगीं। अच्छा परिणाम आयेगा। हर माह 10% आराम मिलते-मिलते
आप 95% ठीक हो जायेंगे। यह सुनकर हमारी खुशी का ठिकाना न रहा, एक आशा की किरण दिखायी दी। हम भर्ती हो गये, पूरा प्राकृतिक
वातावरण, साफ-स्वच्छ हवादार बड़ा कमरा मिला। प्रदूषण का नामोनिशान नहीं।
जब मुझे आयुष ग्राम लेकर आये उस समय मैं चल नही पता था, नीचे उठ बैठ नहीं पता था,
बायें हाथ में कम्पन था, बायां
हाथ बिल्कुल काम नहीं कर पा रह था, पेट की समस्या से
तो मैं एक साल से बहुत परेशान था ही।
मेरी कुछ जाँचे हुयीं, रोज़-रोज़ अलग अलग डॉक्टर आते, बड़ी सौम्यता से बातचीत
होती, इलाज लिखते, नर्से दवा और उपचार
देती । यही चलता रहा। न बोतल, न इंजेक्शन। रोज़-रोज़ मुझे लाभ होता जाता
और चौथे दिन मैं बिना सहारे के चलने लगा।
आज दो
सप्ताह बाद- अब तो मैं अपने आप से चलने लगा हूँ, अब कोई
सहारा नहीं लेना पड़ता। अभी बायें हाथ में कम्पन रहता है, बायाँ जो काम नहीं करता था अब उसमे पहले से ज्यादा आराम है। अब मैं अपने
से उठने बैठने लगा हूँ ।
मुझे यहाँ 2 सप्ताह रुकने के बाद बिल्कुल भी
अस्पताल जैसा नहीं लगा, ऐसा लगा मानो कहीं हम
घूमने आयें हों, इतना अच्छा यहाँ का वातावरण, साफ-सफाई, यहाँ पर सभी को बोलने का तरीका सबके प्रति अपनापन बहुत अच्छा लगता था।
सर ने कहा था की हर माह 10 से 15 प्रतिशत आराम मिलने की बात कही थी
पर मुझे
पेट की समस्या में 100% आराम और 30 प्रतिशत तक मैं बढ़िया हो
गया। मैं बिना सहारे चलने लगा, लोग कहते थे कि यह तो अपंग हो
जाएगा उससे मैं बच गया। मैं कहता हूँ कि यदि मेरे जैसे कोई पीड़ित हों तो अवश्य
बतायें।
मैं डॉक्टर वाजपेयी साहब
और आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूट
के पूरे
स्टॉफ का आभारी हूँ, यहाँ आकर
मैं ऑपरेशन से बच गया और अपंगता से बच गया। एक माह बाद 2 सप्ताह हेतु पुनः आऊँगा।
कृष्ण मोहन,
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
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