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वंश नाहर साथ में उसकी माँ |
मेरा
बेटा वंश नाहर (उम्र १३) छाबी तालाब, बाँदा
(उ.प्र.) से हूँ। मेरे बेटे वंश नाहर को जनवरी
माह में सर्दी-जुकाम व सीने में दर्द बहुत तेज हुआ, मैं
उसे बाँदा के सरकारी अस्पताल ले गया, ५
दिनों की अंग्रेजी दवायें लीं, मुझे कोई भी
आराम नहीं मिला तो फिर मुझे दोबारा सरकारी अस्पताल ले जाया गया, वहाँ
पर एक्स-रे करवाया, उसमें सब नार्मल बताया गया, फिर
मैं उसे लेकर कानपुर के मरियम हॉस्पिटल में डॉ.जे.एस. नायर को दिखाया, उन्होंने
जाँचें करवायीं, जाँच में विटामिन डी की कमी बतायी, १५
दिनों तक दवायें चलीं, उसी बीच से
मुझे झटके आने लगे और सीने में दर्द असहनीय होने लगा, फिर
मैं उसे कानपुर ले गया वहाँ पर फिर से कई जाँचें हुयीं, ब्लड
जाँचें, सी.टी. स्केन भी करवाई, तो
वहाँ भी कुछ दिनों की दवायें चलीं कोई आराम न मिलने पर
वहाँ से न्यूरोसर्जन डॉ. निर्मल पाण्डेय के यहाँ रिफर कर दिया गया, वहाँ
पर ३-४ माह इलाज चला, झटकों में तो कमी आई लेकिन सीने के
असहनीय दर्द में कोई आराम नहीं मिला। फिर मुझे मेरे फूफा जी डॉ. मधुकर कटियार (कानपुर)
के पास ले गये, वहाँ पर भी १ माह इलाज चला लेकिन
कोई आराम नहीं मिला।
फिर मैं बेटे को गोपीपंसारी के पास दवा लेने के
लिए गया तो उन्होंने कहा कि कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह से लेने को कहा और आयुष
ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट
में डॉक्टर वाजपेयी जी के
पास दिखाने की सलाह दी। मैं बेटे की माँ और
बेट वंश नाहर को लेकर ०८.१०.२०२० को आयुष ग्राम
चित्रकूट
दिखाने पहुँचे, वहाँ पर डॉक्टर वाजपेयी जी ने देखा, उन्होंने
सारी रिपोर्ट्स देखीं और १ माह की दवायें लिखीं व परहेज बताया।
उस समय मेरे बेटे को झटके बहुत आ रहे थे, पूरे
शरीर में असहनीय दर्द हो रहा था, पढ़ाई बिल्कुल
बन्द हो गयी थी, खेल भी नहीं पा रहा था, अंग्रेजी
दवायें लेने पर भी वह बहुत परेशान था। आयुष ग्राम
(ट्रस्ट) चित्रकूट से
१ माह की दवायें देकर घर भेज दिया गया। जैसे-जैसे बेटे को दवायें खिलाता गया
वैसे-वैसे आराम मिलता गया। १ माह की दवायें करने पर उसे काफी आराम मिल गया, अगले
माह फिर दिखाकर दवायें ले गये। मेरे बेटे को दर्द में काफी आराम मिल गया था।
आज हमें २ माह हो गये और इस समय मेरे बेटे को
झटके दौरों में ९० % आराम मिल गया है, मुझे
दर्द कभी-कभी होने लगता है पर उतना ज्यादा नहीं रहता, झटके
कभी-कभी १ माह में हल्के से आ जाते जो अब ज्यादा पता भी नहीं चल पाता, पेशाब
की जगह दर्द होता था, वहाँ भी पूरी तरह ठीक है।
इस समय मेरे बेटे की सारी अंग्रेजी
दवायें बन्द हैं, बिना
अंग्रेजी दवाओं के स्वस्थ हो गया जो अभी १० %
समस्या लग रही है, वह
भी बहुत जल्द समाप्त हो जायेगी, मुझे
पूर्ण विश्वास है, हम
सब बहुत खुश हैं जो हम बच्चे को बाहर खेलने बिल्कुल नहीं जाने देते थे, अब
वह खूब खेलता है, पढ़ाई
भी कर रहा है। मैं अब समझ गया कि मेरे बेटे की बीमारी अंग्रेजी डॉक्टरों के इलाज
से बढ़ी, जैसे-जैसे अंग्रेजी दवायें करते
गये वैसे बीमारी बढ़ती गयी। यदि हम शुरु में ही आयुष ग्राम चित्रकूट आ
जाते तो मेरे बेटे की बीमारी न बढ़ती, पढ़ाई
का नुकसान न होता और हम परेशान न होते।
वंश नाहर पुत्र श्री रामगोपाल नाहर
छाबी तलाब, बाँदा (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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