खराब होते अंग्रेजी अस्पतालों से केसों में ऐसे जीवन देती आयुष चिकित्सा!!
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श्री मोहनलाल गुप्ता जी |
मैं सर गंगाराम हास्पिटल दिखाने गया, वहाँ भी दवाइयाँ चलीं पर समस्यायें दूर नहीं हुयीं, सीढ़ियाँ चढ़ना मुश्किल रहता। अब लगा कि मौत सामने है क्योंकि डॉक्टर कहते थे कि यदि क्रिटनीन, यूरिया और बढ़ा तो डायलेसिस शुरू होगी। अब मुझे आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालयम्, चित्रकूट के बारे में पता चला, तो मैं और मेरी पत्नी तुरन्त आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालयम्, चित्रकूट आ गये। ओपीडी का दिन था, काफी भीड़ भी थी, मेरा रजिस्ट्रेशन करवाया गया, उसके बाद हिस्ट्री ली गयी और कुछ जाँचें करवायी गयीं, फिर डॉक्टर कक्ष में बुलाया गया, जब मैं आयुष ग्राम पहुँचा तो मेरा मेरा यूरिया, क्रिटनीन बढ़ा हुआ था और मुझे सीने में दर्द, नसों में ऐंठन, पैरों में दर्द, कमजोरी, पैरों में खुजली, पैरों में सूजन, हाथ-पैरों में ऐंठन आदि बहुत समस्यायें थी।
डॉ.साहब ने देखा, नाड़ी परीक्षण किया और जाँचें देखी और एलोपैथी की सारी दवायें देखीं और कहा कि आपने तो बहुत बीमारियाँ पाल रखी हैं, फिर बोले कि आप परेशान न हों हम आपको पूर्णत: स्वस्थ करेंगे और अंग्रेजी दवायें भी बन्द करेंगे। यह सब सुनकर मैं खुश हो गया और १ माह की दवायें लेकर घर चला गया।
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डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी द्वारा लिखित पुस्तक ''ह्रदय स्वास्थ्य पुस्तिका'' को घर बैठे प्राप्त करने के लिए संपर्क करें || मोब.न.- ९९१९५२७६४६, ८६०१२०९९९९ |
घर पर दवा चल रही थी, मुझे पहले ही माह से आराम मिलना शुरू हो गया। मेरा यहाँ २ साल इलाज चला मुझे बिल्कुल आराम हो गया अब मैंने बिना डॉक्टर से पूछे दवायें बन्द कर दीं और खान-पान, जीवनशैली भी बिगाड़ लिया। अब १ साल बाद एक दिन मुझे कुछ दिक्कत महसूस होने लगी तो दिल्ली चले गये, वहाँ फिर एम्स में दिखाया, अपोलो और मेदान्ता में भी दिखाया। मेन्दान्ता में जाँच की और कहा कि जो आपकी ‘बाईपास सर्जरी’ की थी उसमें फिर ब्लॉकेज हो गया है अब स्टेंट पड़ेगा, तो स्टेंट डाल दिया गया। ढेर सारी अंग्रेजी दवाइयाँ लिखी गयीं।
अब हुआ यह कि अंग्रेजी दवाइयाँ खाते-खाते क्रिटनीन बढ़ने लगा, पेशाब में फिर प्रोटीन की मात्रा अधिक होने लगी, पैरों में सूजन आ गयी, चलने में साँस फूलने लगी। फिर मैंने सोचा कि मैं आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट चला जाऊँ, जहाँ से मैं पहले भी ठीक हुआ था। मैं २४ अप्रैल २०१९ को पुन: आयुष ग्राम चिकित्सालयम्, चित्रकूट आया। मुझे यहाँ १५ दिन रखा गया, पंचकर्म किया गया फिर दवायें दी गयीं, अब मुझे ४ माह हो गये इलाज करवाते मैं अब पूर्णत: स्वस्थ्य हूँ और अब मैं आयुर्वेद के अलावा कहीं जा ही नहीं सकता।
अब एक बात बता रहा हूँ कि मेरे इलाज से मुझे दो लाभ हुये पहला तो मेरा जवान बेटा जिसे बार-बार फेंफड़े का इन्फेक्शन हो जाता था जिसके कारण उसका एक फेंफड़ा काट दिया गया था तब भी नहीं ठीक था, हर माह बुखार आता था तो बेटे को लेकर यहाँ भर्ती किया, पंचकर्म और चिकित्सा से मेरे बेटे की समस्या बिल्कुल मिट गयी।
मेरी पोती जिसके डिप्रेशन का इलाज अमेरिका में ६ साल से चल रहा था पर अभी तक ठीक नहीं हुयी बल्कि पागलपन के दौरे आते थे। उसे भी एक-एक माह के अन्तर में १० और १५ दिन यहाँ भर्ती किया, पंचकर्म हुआ, दवाइयाँ बहुत कम हुयीं और उसकी मानसिक स्थिति में आशातीत सुधार हुआ।
मैं और मेरा पूरा परिवार अब आयुर्वेद को मानता है हम तो समझ चुके कि आयुर्वेद चिकित्सा में जितनी ताकत है उतनी एलोपैथ में नहीं है। मेरे पास पैसे की भी कमी नहीं थी लेकिन भारत के बड़े-बड़े अस्पताल मुझे स्वस्थ नहीं कर सके और आयुष ग्राम चित्रकूट से हार्ट, किडनी की समस्या दूर हुयी। मैं सभी को कहता हूँ कि जब डॉक्टर ऑपरेशन की बात करें तो आयुष चिकित्सा ही अपनायें। इस समय मेरी किडनी की समस्या में भी आराम है, हार्ट में भी और मेरा शुगर भी नार्मल है। कोई अंग्रेजी दवायें नहीं चल रही और मुझे पूर्ण विश्वास है कि मुझे और कहीं नहीं जाना पड़ेगा।
मोहनलाल
सदर मोहाल गोपीगंज,
संतरविदास नगर (भदोही) उ.प्र.
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सन् २०१७ को आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालयम् की ओपीडी में सदर मोहाल गोपीगंज, संतरविदास नगर (भदोही) उ.प्र. श्री मोहनलाल गुप्ता उम्र ७० वर्ष, साथ में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता जी आये, रजिस्ट्रेशन हुआ। फिर अपना नम्बर आने पर आयुष ग्राम चिकित्सालयम् की ओपीडी में आये, उनकी केसहिस्ट्री लेना जब शुरू किया तो उन्होंने अपनी जो पीड़ादायक कहानी बतायी जिसे अंग्रेजी चिकित्सालयों के प्रति सन्न रह जाना पड़ता है।
केसहिस्ट्री के दौरान श्री गुप्ता ने बताया-
✔️ २५ साल से मुझे मधुमेह की समस्या है अंग्रेजी अस्पतालों में दिखाता रहा उनकी लगातार दवाइयाँ खाता आ रहा हूँ।
✔️ २०१० में मुझे रात में अचानक हार्ट अटैक आया, मुझे इलाहाबाद के सरस्वती हार्ट केयर सेण्टर ले गये, वहाँ जाँचें हुयीं तो डॉक्टरों ने मेरे कई ब्लॉकेज बताये। २ माह तक दवाइयाँ चलीं, फिर मैं मेदान्ता दिल्ली चला गया, वहाँ बाईपास सर्जरी हुयी।
✔️ बाईपास सर्जरी के १ साल बाद ही मुझे फिर तकलीफ होने लगी तो मैं अपोलो डॉ.पी.एन. रंजन को दिखाया वहाँ की दवाइयाँ तो चलीं पर मेरी साँस फूलाना कमजोरी, दुर्बलता, घबराहट, बेचैनी में आराम नहीं मिला तो मैं एम्स (दिल्ली) चला गया वहाँ डॉ.वी.एन. गोयल को दिखाया।
✔️ एम्स की दवाइयाँ चलती रहीं चलते-चलते अब किडनी में खराबी आ गयी, पेशाब में प्रोटीन जाने लगा, क्रिटनीन, यूरिया, यूरिक एसिड बढ़ने लगा, कभी शुगर अनियंत्रित हो जाना, कभी शुगर ‘अप’ तो कभी ‘डाउन’। कमजोरी बनी ही थी, अब जीवन से निराशा होने लगी।
✔️ अब मैं सर गंगाराम हास्पिटल गया, वहाँ भी दवाइयाँ चलीं पर समस्यायें दूर नहीं हुयीं, सीढ़ियाँ चढ़ना मुश्किल रहता। अब लगा कि मौत सामने है क्योंकि डॉक्टर कहते थे कि यदि क्रिटनीन, यूरिया और बढ़ा तो डायलेसिस शुरू होगी।
जब श्री गुप्ता जी पहली बार आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालयम्, चित्रकूट आये तो यूरिया, क्रिटनीन बढ़ा हुआ था, सीने में दर्द, नसों में ऐंठन, पैरों में दर्द, कमजोरी, पैरों में खुजली, पैरों में सूजन, हाथ-पैरों में ऐंठन थी।
श्री गुप्ता जी की हालत बहुत खराब थी, यहाँ आश्वस्त किया गया कि हमारा पूरा प्रयास होगा की आप स्वस्थ हों हलांकि केस बिगड़ा तो बहुत है।
दर्शन, स्पर्श (नाड़ी परीक्षण आदि) प्रश्नादि के माध्यम से यहाँ आयुष ग्राम में श्री मोहन लाल गुप्ता जी के रोग की सम्प्राप्ति का अध्ययन किया गया तो पाया कि यदि अंग्रेजी अस्पताल और डॉक्टर रोग के मूल कारण की ओर ध्यान देकर केवल उसी की चिकित्सा करते तो सेठ जी के शरीर की यह नौबत न होती। जबकि रोगी का शरीर सीधे-सीधे संकेत दे रहा था कि चयापचय विकृति हो गयी है, धात्वाग्नि मन्दता आ गयी है, आमनिर्मित हो रही है, ओजक्षय हो रहा है पर अंग्रेजी डॉक्टर केवल और केवल लक्षणों के आधार पर केवल दवा ही नहीं खिलाते रहे बल्कि हार्ट को छेदते रहे।
आयुष ग्राम चिकित्सालयम्, में जब रोग के मूलकारण की खोज की गयी तो सम्प्राप्ति इस प्रकार पायी गयी-
श्रमहीन जीवनशैली, कफवर्धक खान-पान का पर्याप्त सेवन ➡️ मन्दाग्नि (धात्वाग्नि मन्दता) ➡️ मेदोवृद्धि ➡️ स्रोतोरोध (मार्गावरोध) ➡️ वात प्रकोप ➡️ ओज:दुष्टि ➡️ ओजक्षय ➡️ प्रमेह ➡️ हृदय रोग, वृक्कामयता (वृक्कमृदूकता)
कफ प्रधान त्रिदोष, रस, रक्त, मांस, मेद, मज्जा, शुक्र, धातु, वसा, अम्बु, ओज, लसिका की दुष्टि, मेदवहस्रोतस, मूत्रवहस्रोतस में संग और अतिप्रवृत्ति प्रकार की दुष्टि, अग्नि-धात्वाग्निमन्दता, रोगोद्भव- आमाशय पक्वाशयोत्थ याप्य श्रेणी।
अब यहाँ एक प्रश्न खड़ा होता है कि जब मेदोवृद्धि है तो ‘रस’ धातु की क्या भूमिका है, यदि ‘रस’ धातु की भूमिका नहीं है तो हृदय विकृति कैसे हो गयी?
क्योंकि सुश्रुत कहते हैं कि-
‘‘दूषयित्वा रसं दोषा: हृदयं विगुणं गता:।। सु.उ.।।
तो स्पष्ट कर दें यहाँ पर शंका की बात ही नहीं है आचार्य सुश्रुत ने यह भी खोज की थी कि-
‘रसनिमित्तमेव स्थौल्यं काश्र्यं च।।’ सु.सू. १५/३७।।
यानी स्थूलता और कृशता में भी ‘रस’ धातु की भूमिका है।
‘आयुष ग्राम चिकित्सालयम्’ में उपर्युक्त निदान/सम्प्राप्ति के आधार पर निम्नांकित चिकित्सा व्यवस्था व्यवस्थित की गयी।
चिकित्सा व्यवस्था में यह ध्यान रखना था कि सेठ जी की किडनी फेल्योर से सम्बन्धित यूरिया, क्रिटनीन अब आगे बढ़ने न पाये, पुन: हार्ट अटैक न हो तथा ‘विकाराणामनुपत्तावुत्पन्नानां च शान्तये।’ के अनुसार यह ध्यान देना था कि नये विकार की उत्पत्ति न हो तथा उत्पन्न विकारों की शान्ति भी हो।
✔️ षट्पल घृत का ५ ग्राम सुबह चाटकर १ कप गरम पानी पियें।
✔️ चिरबिल्वादि क्वाथ १० मि.ली., रास्नासप्तक क्वाथ १० मि.ली. उबालकर ठण्डा किया पानी २० मि.ली. मिलाकर नाश्ता व भोजन के १ घण्टा पूर्व।
✔️ शारंगधर संहिता के मत से निर्मित पथ्यादि घनसत्व २० ग्राम, अर्जुनघन २० ग्राम, स्वर्ण वंग ३ ग्राम, मृगांक वटी ४ ग्राम, शृंग भस्म १० ग्राम, कस्तूर्यादि वटी २० गोली, चौंसठप्रहरी पिप्पली १० ग्राम, अभ्रक भस्म ५ ग्राम। सभी घोंटकर ६० मात्रा। १²२ उबालकर ठण्डा किया जल से।
✔️ रात में सोते वक्त- गोक्षुरादि गुग्गुल दो गोली, आरग्वध २ गोली गरम जल से।
पथ्य में-
✔️ सुबह नाश्ते में- २०० ग्राम नाशपाती, ४ काजू और १ कप ग्रीन टी।
✔️ १२ बजे जौ, चना गेंहूँ की रोटी, चौलाई, बथुआ की सब्जी, परवल, लौकी की सब्जी, १ कप गो तक्र, पका हुआ पानी, ठण्डा करके पीना है। रात का भोजन कम मात्रा में तथा सोने के २ घण्टा पूर्व।
४ सप्ताह बाद श्री मोहन लाल गुप्ता जी पुन: ‘फॉलो-अप’ में आये तो बताने लगे कि मुझे बहुत ही आराम है, उन्होंने कहा आज १० सालों से शरीर में भारीपन महसूस कर रहा था, डॉक्टरों को बता भी रहा था पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, अब शरीर में हल्कापन है, सीने के दर्द में बहुत कमी है, श्वास भी कम फूलती है। अब मैं धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ लेता हूँ।
यूरिया ८४ से घटकर ६४ हो गया, क्रिटनीन ३.२ से घटकर २.८ हो गया, यूरिक एसिड नार्मल हो गया।
इस प्रकार २ साल तक चिकित्सा हुयी और सेठ जी लगभग स्वस्थ हो गये। पर उन्होंने एकदम दवा बन्द कर दी।
जबकि आचार्य चरक निर्देश देते हैं कि -
‘‘वृद्धो याप्यानां श्रेष्ठतम:।।’’
च.सू. २५।।
बुढ़ापा और बुढ़ापे की बीमारियाँ ‘याप्य’ होती हैं यानी उसमें ‘सपोर्ट’ के लिए दवा कुछ न कुछ चलाते रहना चाहिए।
१ साल बाद एक दिन फिर कुछ दिक्कत महसूस होने लगती तो दिल्ली चले गये, वहाँ फिर एम्स में दिखाया, अपोलो और मेदान्ता में दिखाया। मेन्दान्ता में जाँच की और कहा कि जो आपकी ‘बाईपास सर्जरी’ की थी उसमें फिर ब्लॉकेज हो गया है अब स्टेंट पड़ेगा, तो स्टेंट डाल दिया गया। ढेर सारी अंग्रेजी दवाइयाँ लिखी गयीं।
अब हुआ यह कि दवाइयाँ खाते-खाते क्रिटनीन बढ़ने लगा, पेशाब में फिर प्रोटीन की मात्रा अधिक होने लगी, पैरों में सूजन आ गयी, चलने में साँस फूलने लगी। तो फिर भागे आयुष ग्राम चित्रकूट की ओर।
२४ अप्रैल २०१९ को पुन: वे आयुष ग्राम चिकित्सालयम्, चित्रकूट आये। ओपीडी रजिस्ट्रेशन नम्बर- ०४/३४९६ हुआ। पैरों में सूजन, कब्ज, साँस फूलना, भूख कम लगना, गहरी नींद न आना, पेशाब कम होना तथा यूरिया, क्रिटनीन, यूरिक एसिड बढ़ा था। १५ कदम चलना भी मुश्किल था।
श्री मोहनलाल गुप्ता को अन्तरंग विभाग में भर्ती किया गया उनकी निम्नांकित चिकित्सा व्यवस्था विहित की गयी। रोगी की सम्प्राप्ति पहले से ही निर्धारित थी ही।
✔️ माहेश्वर वटी २ ग्राम, टंकण भस्म ३ ग्राम, अष्टमूर्ति रस १ ग्राम, शिवा गुटिका ५ ग्राम, पुनर्नवादि क्वाथ घनसत्व १० ग्राम और गन्धर्वहस्तादि क्वाथ घनसत्व १० ग्राम। सभी घोंटकर २४ मात्रा। १²३ उबालकर ठण्डा किये पानी से हर ३ घण्टे में।
✔️ सुकुमार क्वाथ २ चम्मच, चिरबिल्व कषाय २ चम्मच उबालकर ठण्डा किये जल को समभाग मिलाकर दिन में ३ बार भोजन के ४५ मिनट पूर्व।
✔️ रात में सोते समय- बलापुनर्नवादि क्वाथ २ चम्मच बराबर जल मिलाकर।
✔️ पंचकर्म में- आमपाचन, लेखनवस्ति, हृदयवस्ति, चक्रवस्ति, वृक्कस्वेद और स्वेदन दिया जाता रहा।
✔️ पथ्य में- पेया, विलेपी क्रम से आहार दिया गया।
उपर्युक्त २ सप्ताह चिकित्सा से ही श्री मोहनलाल गुप्त फिर से दौड़ने लगे जो कि दिल्ली से ऐसे आये थे कि साँस फूल रही थी, यूरिया ८६.२ से घटकर ६१.०० एमजी/डीएल, क्रिटनीन ४.३ से घटकर १.७८ हो गया।
पंचकर्म और आयुष चिकित्सा का अप्रतिम प्रभाव देखकर मोहनलाल जी अपने बेटे को आयुष ग्राम चिकित्सा हेतु भेजा, उनका जवान बेटा हर माह फेंफड़ों के इन्फेक्शन की चिकित्सा हेतु दिल्ली एम्स जाता था, उसका १ फेंफड़ा निकाल भी दिया गया था पर इन्फेक्शन नहीं जा रहा था।
उनकी एक युवा पोती के पागलपन का इलाज अमेरिका में चल रहा था। थैलाभर दवायें खाती थीं पर उसका दौरा नहीं जा रहा था। उसे हर २ माह में १५-१५ दिन पंचकर्म के लिए रखा जा रहा है। अभी तक में बहुत सारी दवायें छूट चुकी हैं और जो परिणाम अमेरिका का मेडिकल साइंस नहीं दे पाया वह परिणाम आयुष से मिल रहा है।
इस लेख को लिखने का मात्र इतना उद्देश्य है कि आज मेडिकल सांइस के नाम पर मानव के शरीर की जो दुर्दशा हो रही है। जबकि भारत में ऐसी चमत्कारिक और प्रभावशाली आयुष चिकित्सा उपलब्ध है जिसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी जी भी अपने भाषणों में कह रहे हैं कि मेरी गाड़ी योग, प्राणायाम और आयुर्वेद। किन्तु सभी लाभ क्यों नहीं उठा पा रहे यह चिन्तनीय विषय है तथा भारत का १-१ मानव आयुष चिकित्सा से कैसे लाभ उठा सके इस पर सभी काम करना पड़ेगा।
श्री मोहन लाल जी ने अपने जो विचार व्यक्त किये वे इसी लेख के प्रारम्भ में प्रकाशित हैं।

डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
सदर मोहाल गोपीगंज,
संतरविदास नगर (भदोही) उ.प्र.
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सन् २०१७ को आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालयम् की ओपीडी में सदर मोहाल गोपीगंज, संतरविदास नगर (भदोही) उ.प्र. श्री मोहनलाल गुप्ता उम्र ७० वर्ष, साथ में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता जी आये, रजिस्ट्रेशन हुआ। फिर अपना नम्बर आने पर आयुष ग्राम चिकित्सालयम् की ओपीडी में आये, उनकी केसहिस्ट्री लेना जब शुरू किया तो उन्होंने अपनी जो पीड़ादायक कहानी बतायी जिसे अंग्रेजी चिकित्सालयों के प्रति सन्न रह जाना पड़ता है।
केसहिस्ट्री के दौरान श्री गुप्ता ने बताया-
✔️ २५ साल से मुझे मधुमेह की समस्या है अंग्रेजी अस्पतालों में दिखाता रहा उनकी लगातार दवाइयाँ खाता आ रहा हूँ।
✔️ २०१० में मुझे रात में अचानक हार्ट अटैक आया, मुझे इलाहाबाद के सरस्वती हार्ट केयर सेण्टर ले गये, वहाँ जाँचें हुयीं तो डॉक्टरों ने मेरे कई ब्लॉकेज बताये। २ माह तक दवाइयाँ चलीं, फिर मैं मेदान्ता दिल्ली चला गया, वहाँ बाईपास सर्जरी हुयी।
✔️ बाईपास सर्जरी के १ साल बाद ही मुझे फिर तकलीफ होने लगी तो मैं अपोलो डॉ.पी.एन. रंजन को दिखाया वहाँ की दवाइयाँ तो चलीं पर मेरी साँस फूलाना कमजोरी, दुर्बलता, घबराहट, बेचैनी में आराम नहीं मिला तो मैं एम्स (दिल्ली) चला गया वहाँ डॉ.वी.एन. गोयल को दिखाया।
✔️ एम्स की दवाइयाँ चलती रहीं चलते-चलते अब किडनी में खराबी आ गयी, पेशाब में प्रोटीन जाने लगा, क्रिटनीन, यूरिया, यूरिक एसिड बढ़ने लगा, कभी शुगर अनियंत्रित हो जाना, कभी शुगर ‘अप’ तो कभी ‘डाउन’। कमजोरी बनी ही थी, अब जीवन से निराशा होने लगी।
✔️ अब मैं सर गंगाराम हास्पिटल गया, वहाँ भी दवाइयाँ चलीं पर समस्यायें दूर नहीं हुयीं, सीढ़ियाँ चढ़ना मुश्किल रहता। अब लगा कि मौत सामने है क्योंकि डॉक्टर कहते थे कि यदि क्रिटनीन, यूरिया और बढ़ा तो डायलेसिस शुरू होगी।
जब श्री गुप्ता जी पहली बार आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालयम्, चित्रकूट आये तो यूरिया, क्रिटनीन बढ़ा हुआ था, सीने में दर्द, नसों में ऐंठन, पैरों में दर्द, कमजोरी, पैरों में खुजली, पैरों में सूजन, हाथ-पैरों में ऐंठन थी।
श्री गुप्ता जी की हालत बहुत खराब थी, यहाँ आश्वस्त किया गया कि हमारा पूरा प्रयास होगा की आप स्वस्थ हों हलांकि केस बिगड़ा तो बहुत है।
दर्शन, स्पर्श (नाड़ी परीक्षण आदि) प्रश्नादि के माध्यम से यहाँ आयुष ग्राम में श्री मोहन लाल गुप्ता जी के रोग की सम्प्राप्ति का अध्ययन किया गया तो पाया कि यदि अंग्रेजी अस्पताल और डॉक्टर रोग के मूल कारण की ओर ध्यान देकर केवल उसी की चिकित्सा करते तो सेठ जी के शरीर की यह नौबत न होती। जबकि रोगी का शरीर सीधे-सीधे संकेत दे रहा था कि चयापचय विकृति हो गयी है, धात्वाग्नि मन्दता आ गयी है, आमनिर्मित हो रही है, ओजक्षय हो रहा है पर अंग्रेजी डॉक्टर केवल और केवल लक्षणों के आधार पर केवल दवा ही नहीं खिलाते रहे बल्कि हार्ट को छेदते रहे।
आयुष ग्राम चिकित्सालयम्, में जब रोग के मूलकारण की खोज की गयी तो सम्प्राप्ति इस प्रकार पायी गयी-
श्रमहीन जीवनशैली, कफवर्धक खान-पान का पर्याप्त सेवन ➡️ मन्दाग्नि (धात्वाग्नि मन्दता) ➡️ मेदोवृद्धि ➡️ स्रोतोरोध (मार्गावरोध) ➡️ वात प्रकोप ➡️ ओज:दुष्टि ➡️ ओजक्षय ➡️ प्रमेह ➡️ हृदय रोग, वृक्कामयता (वृक्कमृदूकता)
कफ प्रधान त्रिदोष, रस, रक्त, मांस, मेद, मज्जा, शुक्र, धातु, वसा, अम्बु, ओज, लसिका की दुष्टि, मेदवहस्रोतस, मूत्रवहस्रोतस में संग और अतिप्रवृत्ति प्रकार की दुष्टि, अग्नि-धात्वाग्निमन्दता, रोगोद्भव- आमाशय पक्वाशयोत्थ याप्य श्रेणी।
अब यहाँ एक प्रश्न खड़ा होता है कि जब मेदोवृद्धि है तो ‘रस’ धातु की क्या भूमिका है, यदि ‘रस’ धातु की भूमिका नहीं है तो हृदय विकृति कैसे हो गयी?
क्योंकि सुश्रुत कहते हैं कि-
‘‘दूषयित्वा रसं दोषा: हृदयं विगुणं गता:।। सु.उ.।।
तो स्पष्ट कर दें यहाँ पर शंका की बात ही नहीं है आचार्य सुश्रुत ने यह भी खोज की थी कि-
‘रसनिमित्तमेव स्थौल्यं काश्र्यं च।।’ सु.सू. १५/३७।।
यानी स्थूलता और कृशता में भी ‘रस’ धातु की भूमिका है।
‘आयुष ग्राम चिकित्सालयम्’ में उपर्युक्त निदान/सम्प्राप्ति के आधार पर निम्नांकित चिकित्सा व्यवस्था व्यवस्थित की गयी।
चिकित्सा व्यवस्था में यह ध्यान रखना था कि सेठ जी की किडनी फेल्योर से सम्बन्धित यूरिया, क्रिटनीन अब आगे बढ़ने न पाये, पुन: हार्ट अटैक न हो तथा ‘विकाराणामनुपत्तावुत्पन्नानां च शान्तये।’ के अनुसार यह ध्यान देना था कि नये विकार की उत्पत्ति न हो तथा उत्पन्न विकारों की शान्ति भी हो।
✔️ षट्पल घृत का ५ ग्राम सुबह चाटकर १ कप गरम पानी पियें।
✔️ चिरबिल्वादि क्वाथ १० मि.ली., रास्नासप्तक क्वाथ १० मि.ली. उबालकर ठण्डा किया पानी २० मि.ली. मिलाकर नाश्ता व भोजन के १ घण्टा पूर्व।
✔️ शारंगधर संहिता के मत से निर्मित पथ्यादि घनसत्व २० ग्राम, अर्जुनघन २० ग्राम, स्वर्ण वंग ३ ग्राम, मृगांक वटी ४ ग्राम, शृंग भस्म १० ग्राम, कस्तूर्यादि वटी २० गोली, चौंसठप्रहरी पिप्पली १० ग्राम, अभ्रक भस्म ५ ग्राम। सभी घोंटकर ६० मात्रा। १²२ उबालकर ठण्डा किया जल से।
✔️ रात में सोते वक्त- गोक्षुरादि गुग्गुल दो गोली, आरग्वध २ गोली गरम जल से।
पथ्य में-
✔️ सुबह नाश्ते में- २०० ग्राम नाशपाती, ४ काजू और १ कप ग्रीन टी।
✔️ १२ बजे जौ, चना गेंहूँ की रोटी, चौलाई, बथुआ की सब्जी, परवल, लौकी की सब्जी, १ कप गो तक्र, पका हुआ पानी, ठण्डा करके पीना है। रात का भोजन कम मात्रा में तथा सोने के २ घण्टा पूर्व।
४ सप्ताह बाद श्री मोहन लाल गुप्ता जी पुन: ‘फॉलो-अप’ में आये तो बताने लगे कि मुझे बहुत ही आराम है, उन्होंने कहा आज १० सालों से शरीर में भारीपन महसूस कर रहा था, डॉक्टरों को बता भी रहा था पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, अब शरीर में हल्कापन है, सीने के दर्द में बहुत कमी है, श्वास भी कम फूलती है। अब मैं धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ लेता हूँ।
यूरिया ८४ से घटकर ६४ हो गया, क्रिटनीन ३.२ से घटकर २.८ हो गया, यूरिक एसिड नार्मल हो गया।
इस प्रकार २ साल तक चिकित्सा हुयी और सेठ जी लगभग स्वस्थ हो गये। पर उन्होंने एकदम दवा बन्द कर दी।
जबकि आचार्य चरक निर्देश देते हैं कि -
‘‘वृद्धो याप्यानां श्रेष्ठतम:।।’’
च.सू. २५।।
बुढ़ापा और बुढ़ापे की बीमारियाँ ‘याप्य’ होती हैं यानी उसमें ‘सपोर्ट’ के लिए दवा कुछ न कुछ चलाते रहना चाहिए।
१ साल बाद एक दिन फिर कुछ दिक्कत महसूस होने लगती तो दिल्ली चले गये, वहाँ फिर एम्स में दिखाया, अपोलो और मेदान्ता में दिखाया। मेन्दान्ता में जाँच की और कहा कि जो आपकी ‘बाईपास सर्जरी’ की थी उसमें फिर ब्लॉकेज हो गया है अब स्टेंट पड़ेगा, तो स्टेंट डाल दिया गया। ढेर सारी अंग्रेजी दवाइयाँ लिखी गयीं।
अब हुआ यह कि दवाइयाँ खाते-खाते क्रिटनीन बढ़ने लगा, पेशाब में फिर प्रोटीन की मात्रा अधिक होने लगी, पैरों में सूजन आ गयी, चलने में साँस फूलने लगी। तो फिर भागे आयुष ग्राम चित्रकूट की ओर।
२४ अप्रैल २०१९ को पुन: वे आयुष ग्राम चिकित्सालयम्, चित्रकूट आये। ओपीडी रजिस्ट्रेशन नम्बर- ०४/३४९६ हुआ। पैरों में सूजन, कब्ज, साँस फूलना, भूख कम लगना, गहरी नींद न आना, पेशाब कम होना तथा यूरिया, क्रिटनीन, यूरिक एसिड बढ़ा था। १५ कदम चलना भी मुश्किल था।
श्री मोहनलाल गुप्ता को अन्तरंग विभाग में भर्ती किया गया उनकी निम्नांकित चिकित्सा व्यवस्था विहित की गयी। रोगी की सम्प्राप्ति पहले से ही निर्धारित थी ही।
✔️ माहेश्वर वटी २ ग्राम, टंकण भस्म ३ ग्राम, अष्टमूर्ति रस १ ग्राम, शिवा गुटिका ५ ग्राम, पुनर्नवादि क्वाथ घनसत्व १० ग्राम और गन्धर्वहस्तादि क्वाथ घनसत्व १० ग्राम। सभी घोंटकर २४ मात्रा। १²३ उबालकर ठण्डा किये पानी से हर ३ घण्टे में।
✔️ सुकुमार क्वाथ २ चम्मच, चिरबिल्व कषाय २ चम्मच उबालकर ठण्डा किये जल को समभाग मिलाकर दिन में ३ बार भोजन के ४५ मिनट पूर्व।
✔️ रात में सोते समय- बलापुनर्नवादि क्वाथ २ चम्मच बराबर जल मिलाकर।
✔️ पंचकर्म में- आमपाचन, लेखनवस्ति, हृदयवस्ति, चक्रवस्ति, वृक्कस्वेद और स्वेदन दिया जाता रहा।
✔️ पथ्य में- पेया, विलेपी क्रम से आहार दिया गया।
उपर्युक्त २ सप्ताह चिकित्सा से ही श्री मोहनलाल गुप्त फिर से दौड़ने लगे जो कि दिल्ली से ऐसे आये थे कि साँस फूल रही थी, यूरिया ८६.२ से घटकर ६१.०० एमजी/डीएल, क्रिटनीन ४.३ से घटकर १.७८ हो गया।
पंचकर्म और आयुष चिकित्सा का अप्रतिम प्रभाव देखकर मोहनलाल जी अपने बेटे को आयुष ग्राम चिकित्सा हेतु भेजा, उनका जवान बेटा हर माह फेंफड़ों के इन्फेक्शन की चिकित्सा हेतु दिल्ली एम्स जाता था, उसका १ फेंफड़ा निकाल भी दिया गया था पर इन्फेक्शन नहीं जा रहा था।
उनकी एक युवा पोती के पागलपन का इलाज अमेरिका में चल रहा था। थैलाभर दवायें खाती थीं पर उसका दौरा नहीं जा रहा था। उसे हर २ माह में १५-१५ दिन पंचकर्म के लिए रखा जा रहा है। अभी तक में बहुत सारी दवायें छूट चुकी हैं और जो परिणाम अमेरिका का मेडिकल साइंस नहीं दे पाया वह परिणाम आयुष से मिल रहा है।
इस लेख को लिखने का मात्र इतना उद्देश्य है कि आज मेडिकल सांइस के नाम पर मानव के शरीर की जो दुर्दशा हो रही है। जबकि भारत में ऐसी चमत्कारिक और प्रभावशाली आयुष चिकित्सा उपलब्ध है जिसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी जी भी अपने भाषणों में कह रहे हैं कि मेरी गाड़ी योग, प्राणायाम और आयुर्वेद। किन्तु सभी लाभ क्यों नहीं उठा पा रहे यह चिन्तनीय विषय है तथा भारत का १-१ मानव आयुष चिकित्सा से कैसे लाभ उठा सके इस पर सभी काम करना पड़ेगा।
श्री मोहन लाल जी ने अपने जो विचार व्यक्त किये वे इसी लेख के प्रारम्भ में प्रकाशित हैं।
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुशरण करते हैं ।
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुशरण करते हैं ।
डॉ. अर्चना वाजपेयी
डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी. (मेडिसिन आयु.) में हैं आप स्त्री – पुरुषों के जीर्ण, जटिल रोगों की चिकित्सा में विशेष कुशल हैं । मृदुभाषी, रोगी के प्रति करुणा रखकर चिकित्सा करना उनकी विशिष्ट शैली है । लेखन, अध्ययन, व्याख्यान, उनकी हॉबी है । आयुर्वेद संहिता ग्रंथों में उनकी विशेष रूचि है ।
सरकार आयुष को बढ़ाये मानव का जीवन बचाये!!
सरकार को फिर से भारत में अंग्रेजी अस्पताल और अंग्रेजी मेडिकल कॉलेजों की जगह अच्छे और समृद्ध आयुष संस्थान खोलने चाहिए तथा उनसे पूरी क्षमता से कार्य लेना चाहिए। इससे भारत का मानव हार्ट के ऑपरेशन, छेड़छाड़ स्टेंट और डायलिसिस जैसी स्थितियों से बचकर और हार्ट को स्वस्थ रख सकेगा। क्योंकि हार्ट के रोगी पहले भी होते थे आज भी होते हैं और आगे भी होते रहेंगे। जिनका सर्वोच्च समाधान आयुष में है। आयुष ग्राम चित्रकूट एक ऐसा आयुष संस्थान है जहाँ ऐसे-ऐसे रस-रसायनों/ औषध कल्पों का निर्माण और संयोजन करके रखा गया है जो जीवनदान देते हैं। पंचकर्म की व्यवस्था एम.डी. डॉक्टरों के निर्देशन में हो रही है, पेया, विलेपी, यवागू आदि आहार कल्पों की भी पूरी उपलब्धता है इसलिये यहाँ के ऐसे चमत्कारिक परिणाम आते हैं।
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आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट
मोब.न. 9919527646, 8601209999
website: www.ayushgram.org
डॉ मदन गोपाल वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य, पी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी., साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद), एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत), एल-एल.बी. (B.U.)
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा) आयुर्वेद
डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
डॉ आर.एस. शुक्ल आयुर्वेदाचार्य
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