आयुर्वेद में ऐसी प्रबन्धित (Handle) होती इमरजेन्सी-



बी. पी.220/120 एच.बी. 9.9 प्लेटलेट 51000, तब भी आयुर्वेद

   अचानक किसी प्रौढ़व्यक्ति का ब्लडप्रेशर 220/120 mm Hg हो जाय, आँखों के सामने अँधेरा छा जाय, साँस फूल जायतो घर वाले क्या करेंगे? किसी नर्सिंग होम में खून की जाँच होगी, हेमोग्लोबिन 9.9 प्लेटलेटस काउण्ड 51000, आरबीसी 3.81, पीसीटी 0.032% हो, साँस फूल रही हो सोचें कि ऐसे में नर्सिंग होम में कितना आडम्बर फैलाया जायेगा? किस तरह से डरवाया जायेगा, फिर कितने का बिल थमाया जायेगा, यह स्वयं चिंतन किया जा सकता है।

    28 अप्रैल 2022 दिन शुक्रवार आयुष ग्राम (ट्रस्ट) के मैनेजर श्री बाल्मीकी जी जिन्हें चाचा जी कहते हैं। किसी कार्यवश कर्वी गये । गाड़ी में बैठने पर उनकी साँस फूलने लगी, फिर उन्होंने कहा कि मुझे आँखों के आगे अँधेरा छा रहा है । ड्राइवर उन्हें कर्वी में ही डॉ. सीताराम गुप्ता जी के चिकित्सालय ले गये। वहाँ रक्तचाप चेक किया तो बहुत बढ़ा हुआ बताया।

     ड्राइवर श्री बाल्मीकि जी को लौटाकर आयुष ग्राम ले आये। रात्रि कालीन ड्यूटी में तैनात पैरामेडिकल स्टॉफ ने हमें सूचना दी कि चाचा जी का ब्लडप्रेशर 220/120 है। हम तुरन्त चिकित्सालय पहुँचे। देखा तो चाचा जी की साँस फूल रही थी, चेहरा एकदम सफेद था। हमने तुरन्त ए.सी. रूम (प्राइवेट वार्ड में) लिटाने का निर्देश दिया और तत्काल- जवाहर मोहरा (रत्नप्रधान, स्वर्णयुक्त) 300 मि.ग्रा. खमीरगावजवाँ के साथ दिला दिया। इस औषधीय मात्रा से कम से कम यह तो निश्चित हो गया कि अब न तो हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर होगा, न ब्रेन हेमरेज।

      हमारा हजारों बार का अनुभव है कि यदि सही ढंग से निर्मित रत्नप्रधान, स्वर्णयुक्त जवाहरमोहरा रोग, रोगी, बल, वय, सत्म्य, असात्म्य के अनुसार मात्रा में दे दिया जाय तो किसी भी अनहोनी से बचा लेता है। दिल के दौरे के समय एलोपैथ में सार्विट्रेट (नाइट्रोग्लिसरीन) गोली गीभ में रखवाते हैं। इसका प्रयोग करते-करते चक्कर आना, आलस्य, मितली और निस्तब्धता तक होने लगती है। पर रत्नप्रधान जवाहरमोहरा प्रयोग से एक नई चेतना, ऊर्जा मिलती है।

    दूसरे दिन शनिवार को रक्त परीक्षण कराया तो हेमोग्लोबिन 9.9,प्लेटलेट काउण्ट 51000 मात्र, आरबीसी 3.81।

   इन्हें पूर्ण विश्राम कराया गया और निम्नांकित चिकित्सा दी गयी-

1. 1.   3 अंजीर रात में पानी में भिगोकर सुबह चबाकर वही पानी पीना था।

2. 2 .  दोपहर में रोटी, सब्जी, आँवला की चटनी। नमक बन्द।

3. 3 .  तीन बजे 150-200 ग्राम पपीता और रात में फिर सुपाच्य भोजन।  

पंचकर्म में-  शिरोधारा, सुकुमार कषाय से निरूह बस्ति।

औषधि व्यवस्था पत्र-  व्यानवायु, अपानवायु और प्राणवायु शामक (जिसका शमन स्रोतोरोध हटाकर और धातुक्षय निवारण करके ही संभव था) रक्त परीक्षण से स्पष्ट था कि धातुक्षय है और अग्नि व्यापार क्रम विकृत है तभी तो हेमोग्लोबिन 9.9, आरबीसी 3.81 और प्लेटलेट काउण्ट 51000 हो गया।

   विश्व के प्रथम सर्जन जो सूत्र देते हैं उसे सदैव ध्यान रखना चाहिए-                                                  

प्राणापान समानस्तु सर्वतः पवनैस्त्रिभिः।

ध्मायते पाल्यते चापि स्वां स्वां गतिमवस्थितः।।   

सु.सू. 35/28 । । 

     इन सब सिद्धांतों के अनुसार जवाहरमोहरा रत्नप्रधान 250 मि.ग्रा. अकीकपिष्टी 250 मि.ग्रा., तापी नं.-1 (स्वनिर्मित) 250 मि.ग्रा. जिसमें स्वर्णमाक्षिक, लौह, अभ्रक, रौप्य, शिलाजीत, मण्डू और त्रिफला, त्रिकटु, गिलोय की 7 भावनायें देकर आयुष ग्राम में बनवाते हैं। ब्रह्मी शंखपुष्पी, सर्पगन्धा, अश्रगन्धा, रुद्राक्ष चूर्ण का मिश्रण 1 ग्राम मिलाकर । दिन में 2 बार।

      उपर्युक्त चिकित्सा से रक्तचाप 220/120 से घटकर 170/100 , दूसरे दिन 150/100 तीसरे दिन 130/90 आ गया। बुधवार 4 मई 2022 को जब पुनः परीक्षण कराया तो आश्चर्यजनक रिपोर्ट आयी- हेमोग्लोबिन 11.99, आरबेसी 4.44 10A12/L प्लेटलेट काउण्ट 16210 9/L हो गये चेहरे में एक अलग तेज दिखने लगा। 15 दिन लगातार चिकित्सा करके दवाइयाँ बन्द कर दी गयीं केवल खान-पान का परहेज रखा गया। दिनाँक 29.5.2022 की नवीनतम रेपोर्ट में हेमोग्लोबिन 12.3g/dl आरबीसी 4.1210A/12/L और प्लेटलेट 18610A9/L काउण्ट हो गया ।

       हम चाहते हैं कि आयुर्वेद हित में और भारत के मानव को सही चिकित्सा दीर्घायुकारक चिकित्सा, हानिरहित चिकित्सा और सस्ती चिकित्सा प्राप्त हो, लोक कल्याण हो, ऐसे लेखों का सबसे साझा करें और तेजी से साझा करें।





आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी!

चिकित्सा पल्लव जून 2022

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