और क्या सबूत चाहिए कि चीनी जहर है!!




                अभी कुछ दिन पूर्व समाचार पत्रों में छपा था कि चीनी खाने से आधे घण्टे के भीतर एक मधुमक्खी पालक किसान की आधे घण्टे के भीतर १५-२० लाख मधुमक्खियाँ मर गयीं। इससे स्पष्ट रूप से साबित होता है कि चीनी एक जहरीला खाद्य पदार्थ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का तो यहाँ तक कहना है कि हम अपने भोजन रूप में चीनी, मैदा, फेद नमक और वनस्पति या रिफाण्ड तैल के रूप में रोज जहर ही तो खा रहे हैं। इन विशेषज्ञों ने तो चीनी को तम्बाकू  जितना घातक माना है क्योंकि दोनों का ही सेवन करने पर हमारे शरीर में डोपामाइन नामक रसायन का निर्माण होता है। चीनी का सेवन इतना नुकसानदायक है कि यह एक मादक द्रव्य की तरह काम करता है। यही कारण है कि जिन्हें मिठाई की लत लग जाती है वे बिना मिठाई खाये रह नहीं पाते।

                एक सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत में चीनी की वार्षिक खपत १९ किलो प्रति व्यक्ति है। भले ही विदेशों में यह आँकड़ा और भी अधिक है, तभी तो वहाँ पर दूषित जीवनशैली के कारण होने वाले रोगों से ग्रस्त रोगियों की संख्या भी बहुत अधिक है। चीनी के जहरीला होने का मुख्य कारण इसकी सल्फिटेशन नामक एक शोधन प्रक्रिया है। इसके लिए सल्फर डाईआक्साईड और फास्फोटिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रक्रिया सस्ती होती है इसलिए दुनियाँ भर में इसी तकनीकि का व्यापक प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में शोधन के दौरान प्रयुक्त सल्फर के अंश चीनी में घुल-मिल जाते हैं जिससे कैंसर, सूजन, इंसुलिन प्रतिरोध जैसे रोग पनपने लगते हैं। इसके अतिरिक्त चीनी के अधिक सेवन के कारण श्वास ऊतक और श्वसन तंत्र के रोग और एलर्जी जैसी समस्यायें भी विकसित होने लगती हैं। चीनी का सेवन मोटापा तो बढ़ाता ही है साथ ही बुढ़ापा भी जल्दी लाता है। और तो और, यह चिड़चिड़ापन तथा क्रोध भी उत्पन्न करता है।

                अभी कुछ वर्ष पूर्व, डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में भी चीनी की खपत कम करने की सलाह दी गयी थी। विदेशों में कुछ स्कूल छात्रों के लिए स्कूल के समय चीनी का सेवन प्रतिबंधित कर देते हैं।

                भारत में चीनी के उत्पादन की अनुमति एक लम्बे वैज्ञानिक परीक्षण के बाद मिली थी जिसमें यह साबित किया गया था कि चीनी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। अभी कुछ वर्षों पहले समाचार पत्रों में यह भी छपा था कि वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट लम्बे लेन-देन के बाद दी थी। इसके बावजूद, मानव और मानवता के साथ यह घोर आपराधिक कृत्य अनवरत जारी है। इसलिए अब समय आ गया है हम सबको इसके प्रति न केवल सावधान हो जाना चाहिये बल्कि इस बात का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार भी किया जाना चाहिए। मिठास के लिए चीनी के बजाय देशी गुड़, किशमिश, मुनक्का, खजूर, ताड़, स्टीविया, स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।

यू.पी. का आयुष विभाग : घोटालों की भरमार!!

                उ.प्र. के आयुष विभाग में जिस तरह घोटाले सामने आ रहे हैं यह निश्चित रूप से चिन्तन का विषय है। ऐसे ही मुलायम सिंह यादव की सरकार में १९९३-९४ में हुये लगभग ७० करोड़ के घोटालों ने आयुर्वेद को उ.प्र. में जमीन्दोज किया था। अब होम्योपैथिक बोर्ड के पाठ्यक्रमों में सम्बन्धित घोटाला सामने आया गया। अगर वास्तव में गम्भीरता पूर्वक जाँच की जाये तो उ.प्र. आयुर्वेद-यूनानी बोर्ड के पाठ्यक्रमों में भी इसी तरह के घोटाले सामने आयेंगे। एक ही छात्र ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा है, डी. फार्मा (आयु.) और नर्सिंग कोर्स भी कर रहा है, एक दिन की भी ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं पड़ती, उधर से समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति भी ले रहा है। फिर भी, मुख्यमंत्री योगी जी की भ्रष्टाचार रहित कार्य प्रणाली से एक आशा की किरण दिखाई देती है कि भ्रष्टगण बेनकाब ही होंगे और दण्डित भी। योगी जी और मोदी जी भी सरकार आयुष चिकित्सा को बहुत तेजी से आगे ला रही है, ऐसे में ऐस महाभ्रष्टतत्व बिल्कुल क्षमा के योग्य नहीं है।







आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी!

चिकित्सा पल्लव जुलाई 2022

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