रक्षामंत्रालय से रिटायर्ड रामफल शुक्ला बच गये 

-                                          बायपास सर्जरी से  


बायपास सर्जरी कराये, स्टेंट डलवाये लोगों की मौतें भी हार्ट अटैक से ही हो रही हैं, प्रयोगों के आधार पर दावा है कि यदि बायपास सर्जरी और स्टेंट डलवा चुके व्यक्ति भी अपने देश की वैदिक चिकित्सा आयुर्वेद के आश्रम में रहे तो निश्चित रूप से आयु, शक्ति, सामथ्र्य और चैतन्यता बढ़ जाती है अत: हृदय रोगियों को अपना जीवन बढ़ाने के लिए अपनी भारतीय चिकित्सा को अपनाना ही चाहिए। अब तो आयुर्वेद में बहुत ही अच्छे शोध, बहुत अच्छी औषधियाँ और शास्त्रीय क्रियायें आ गयीं जो नवजीवन दे रही हैं। 

26 दिसम्बर 2021 को रक्षामंत्रालय से सेवानिवृत्त 74 वर्षीय श्री रामफल शुक्ल ‘सपत्नीक’ आयुष ग्राम (ट्रस्ट) के आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट के आयुष कार्डियोलॉजी में आये। रजिस्ट्रेशन हुआ, अपना क्रम आने पर ओपीडी में आये। 

2011 से हार्ट की समस्या, 1 साल से तकलीफ अधिक, 10 कदम चलने पर सीने में दर्द, ब्लडप्रेशर, घबराहट, सीने में दाह, चलने में सांस फूलना, भूख न लगना, मौत सामने दिखना, जीने की इच्छा न होना आदि। 

प्रकृति वातपित्तज, विकृति रस, ओज, आहारशक्ति, व्यायामशक्ति अवर, नींद भी कम, सत्व अवर, पुरीष अनियमित। 

श्री शुक्ला जी फौज से अवकाश प्राप्त थे। बताया कि उनके शरीर में आज भी कई गोलियाँ धंसी हैं। महान् चिकित्सा वैज्ञानिक आचार्य चरक बताते हैं कि अत्यधिक परिश्रम, तीक्ष्ण आहार, विरेचन आदि का अधिक हो जाना, आमदोष, कृशता कारक खान-पान, अत्यंत गरम, अत्यंत भारी, कषैला, तिक्त रस प्रधान भोजन, बिना पूर्व के किये भोजन के बिना पचे भोजन करना, रूखा भोजन, विरुद्ध भोजन करनेसे अपच/अजीर्ण की अवस्था बनी रहने से, शरीर और मन के प्रतिवूâल आहार करने से चिन्ता, शोक या अधिक भयभीत रहना, अधिक सताये जाने, मल-मूत्रादि के वेगों को रोकना, पहले से उत्पन्न रोगों की चिकित्सा न करने से, शरीर अथवा हृदय पर चोट आघात से हृदय रोगी हो जाता है। श्री शुक्ल जी में रोग सम्प्राप्ति चक्र इस प्रकार बना-

निदान (रोग के कारणों) का उपस्थित होना ¨ वात प्रकोप ¨ विषमाग्नि ¨ साम रसधातु की उत्पत्ति ¨ साधक पित्तक्षय ¨ ओजक्षय ¨ स्रोतोरोध ¨ धमनी प्रतिचय ¨ हृच्छूल (ण्पेू झ्aग्ह)/हृद्रोग। 

इस प्रकार यह निश्चित हुआ कि श्री रामफल शुक्ल को ‘सामावृत वात प्रधान ओजक्षयज हृद्रोग’ है। उन्हें आश्वासन दिया गया कि आप बिल्कुल ठीक होंगे हार्ट का कोई ऑपरेशन नहीं। चिंता न करें।

श्री रामफल शुक्ल जी को चिकित्सा हेतु आयुष ग्राम में २ सप्ताह रखा गया। डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी. (कायचिकित्सा) प्रतिदिन पंचकर्म लिखतीं, स्रोतोरोधनाशक, वातानुलोमक अग्नि और ओजस् पंचकर्म और औषधि तथा आहार व्यवस्था दी गयी। 

¬➡️ शिरोधारा, हृद्बस्ति, पिप्पल्यादि तैल से अनुवासन/मात्राबस्ति, स्नेहन, स्वेदन थैरेपी दी गयीं। 

औषधि व्यवस्था पत्र-

१. *रत्नेश्वर रस*3 ग्राम, नीलकण्ठ रस ३ ग्राम, मुक्ता भस्म 5 ग्राम, पुनर्नवादि मण्डूर 15 ग्राम, ताप्यादि लौह (नं.-१) 15 ग्राम। 60 मात्रा। १²२ मधु से। 

➡️ बलाद्यघृत 5 ग्राम सुबह 7 बजे चाटकर अनुपान आधा कप खूब गरम जल।

➡️3. नयोपायम् कषाय 10 मि.ली., पटोलादि कषाय 10 मि.ली., नागबल्ली अर्वâ 5 मि.ली. का मिश्रण समभाग पक्व जल मिलाकर भोजनोत्तर। 

४. शुण्ठी, अश्वगन्धा, बला, जीरक हरीतकी चूर्ण योग 8 ग्राम ± प्रवाल भस्म 250 मि.ग्रा. मिलाकर भोजन के तुरंत पूर्व जल से अनुपान सुखोष्ण जल।

पथ्याहार में- 4 दिन तक अष्टगुणमण्ड दिन में 3 बार।  5 दिन में भूख खुल गयी, निर्बलता दूर हो गयी, तब चना, गेंहूँ, जौ की रोटी, मूँग की दाल, पुराना भात, लौकी की सब्जी, गोघृत, अदरक की चटनी। 

श्री शुक्ल जी यहाँ 5 दिन में अपना सारा काम करने लगे, एक सप्ताह में अस्पताल की सीढ़ियाँ खूब चढ़ने लगे। जबकि 4 कदम चलना मुश्किल था। वे फौज के आदमी, स्वयं कहने लगे कि यह है हमारे देश की अद्भुत चिकित्सा। उन्होंने कहा कि इस चिकित्सा संस्थान में निरन्तर रुद्राभिषेक, जप इत्यादि का जो अध्यात्मिक वातावरण बना है उससे दैवी शक्ति की स्वत: अनुभूति होती है नहीं तो सभी डॉक्टर मेरी बायपास सर्जरी करवा रहे थे। 2-3 माह के मेहमान बता रहे थे। बाईपास सर्जरी, स्टेंट एक धन्धा है। 




2 सप्ताह बाद श्री शुक्ल जी जब डिस्चार्ज हुये, उन्होंने अपने विचार प्रकाशित किए जो बायीं ओर प्रकाशित हैं।

दरअसल ओज का स्थान हृदय, साधक पित्त का स्थान हृदय है। साधक पित्त के ही कारण व्यक्ति में आत्मविश्वास रहता है ‘बुद्धिमेधाभिमानोत्साहैरभिप्रेतार्थसाधहृद् गतं पित्तम्।।’ अ.हृ.सू. २०।। 

इस प्रकार हृदय की स्वस्थता ओज, रसधातु साधक पित्त और प्राणवायु पर निर्भर है। श्री शुक्ल जी में हृदय की अस्वस्थता का मूल कारण ‘आम दोष’ का निर्माण, पाचकाग्नि की विषमता तज्जन्य स्रोतोरोध, ओजक्षय था, उक्त चिकित्सा से जैसे-जैसे सम्प्राप्ति विघटन होता गया तो बिना बाईपास सर्जरी और बिना स्टेंट के हृदय चकाचक। जबकि बाईपास सर्जरी या स्टेंट से सम्प्राप्ति विघटन हो नहीं पाता ओजादि के संतुलन की एलोपैथ में वहाँ कोई थ्योरी नहीं अत: हृदय रोगी जीवन भर उत्साह हीन, शक्तिहीन बना रहता है अंतत: हार्ट अटैक से ही मृत्यु होती है, यह तथ्य सभी को समझाइये। आयुष चिकित्सा अपनाने के बाद आज तक एक भी रोगी की हार्ट अटैक से मृत्यु इसीलिए नहीं होती।


बाईपास सर्जरी से बचा : जागरूकता की जरूरत

➡️ मैं रक्षामंत्रालय से 1982 में रिटायर्ड रामफल शुक्ल उम्र ७४ वार्ड नं.-२२, बाईपास रोड रघुराज नगर, सतना से हूँ। 

➡️ मैं सीने के दर्द आदि के कारण बाम्बे हॉस्पिटल गया वहाँ पर एंजियोग्राफी हुयी, 5 ब्लॉकेज, बताये गये और तुरन्त बाईपास सर्जरी की सलाह नहीं तो 2-3 माह की ही जिन्दगी बताया। मैंने मना कर घर आ गया। मैंने एलोपैथिक दवायें भी छोड़ दिया मुझे पता है कि दवायें खाते-खाते मैं अपनी किडनी भी खराब कर लूँगा, इन सबसे अच्छा कि जब मरना होगा तब मर जाऊँगा, मेरी दो पत्नियाँ और एक बेटी है, मैंने कह दिया कि चाहे जो हो मुझे एलोपैथ अस्पताल में नहीं जाना। 

➡️ इधर मुझे पिछले 3 माह से परेशानी अधिक होनी लगी, मेरा 4 कदम चलना मुश्किल हो गया, बहुत तेज धड़कन बढ़ती लगता कि अभी मौत हो जाएगी। श्वास फूलती थी, मेरी छोटी पत्नी एलोपैथ हॉस्पिटल में दिखाने की जिद करती, मैं कहता कि वे बाईपास सर्जरी के अलावा क्या कहेंगे और मैं सर्जरी वालों की दशा देख रहा हूँ, हार्ट अटैक से ही मौत हो रही है।

➡️ अचानक मेरी मुलाकात एक सेवानिवृत्त शिक्षक श्री राजकिशोर पटेल जी से हो गयी जो हार्ट का इलाज आयुष ग्राम चित्रकूट की आयुष कार्डियोलॉजी से करवा कर स्वस्थ हैं। उनसे यहाँ का पता चला यह उत्तर भारत का सुपर स्पेशलिटी क्रिटिकल केसों का आयुष हॉस्पिटल है।

मैं 26 दिसम्बर 2021 को अपनी छोटी पत्नी के साथ आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचा, पर्चा बना, सम्बन्धित ओपीडी में भेजा गया, इतने अच्छे डॉ. साहब कि उन्होंने मेरी सारी समस्यायें सुनी और कहा कि बिल्कुल परेशान नहीं होना है, हम आपको अच्छी तरह स्वस्थ करेंगे, न ही बाईपास सर्जरी और न ही एलोपैथिक दवायें, केवल पंचकर्म और आयुर्वेद चिकित्सा होगी। 



इमेरी जान जैसी लौटी, मैं 2 सप्ताह के लिए रह गया, पत्नी साथ में थी ही, चिकित्सा शुरू हुयी, पंचकर्म में बस्तियाँ, शिरोधारा, अभ्यंग होने लगा, बहुत आनन्द आने लगा चिकित्सा में, दवायें चलने लगीं। मुझे पाँचवें दिन से ऐसा लगने लगा कि जैसे मैं बीमार ही नहीं हूँ। मैं जो 4 कदम नहीं चल पाता था सारा काम करने लगा, 15 दिन पूरे हो गये समझ में नहीं आया, मैं अब खूब सीढ़ियाँ चढ़ने लगा, सीने का दर्द, जलन मिट गया, श्वास फूलना  बन्द। मैं कह सकता हूँ कि हार्ट की बीमारी ही नहीं मुझे।

मैं कह सकता हूँ कि आज भी हमारी वैदिक परम्परा और वैदिक चिकित्सा संजीवनी हैं। इस आयुष हॉस्पिटल में 2 सप्ताह रहकर मैंने ईश्वरीय शक्ति की अनुभूति की, कि कुछ तो यहाँ पर है जो इतने खराब केस भी ठीक होकर ही जाते हैं और यहाँ पर एक अद्भुत शान्ति महसूस होती है जो एलोपैथ अस्पतालों में संभव नहीं। यहाँ के सभी कार्यकर्तायो में अपनत्व का भाव है। 

- रामफल शुक्ल रिटायर्ड फौजी, - नं.-22, उताली बाईपास रोड, रघुराज नगर, सतना (म.प्र.)

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आयुष ग्राम चिकित्सालय

(सुपर स्पेशयलिटी आयुर्वेदिक हॉस्पिटल)

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➡️ संपूर्ण पंचकर्म थैरपी की सुविधा

➡️ जटिल से जटिल रोगों का कम अवधि में इलाज

➡️ पेशेंट के रुकने के लिए आराम दायक एवं इकोफ्रेंडली कमरे

➡️ 20 एकड़ में फैला विशाल परिसर एवं वैदिक वातावरण

सूरजकुंड रोड (पुरवा मार्ग तरौंहा   मार्ग )

चित्रकूट धाम (उ. प्र.) 210205

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