![]() |
रफीक बेग |
महोबा जिला (उ.प्र.) से मैं रफीक बेग (उम्र ३४)
राजस्थान में प्राइवेट जॉब कर रहा था तभी मुझे
अक्टूबर २०१९ में खाँसी, बुखार
आने लगा, मैंने ऐसे ही दवायें लेकर खाने लगा, धीरे-धीरे
कुछ भी खाने में उल्टियाँ होने लगीं, मैंने
अपने गाँव चरखारी (महोबा) में प्राइवेट हॉस्पिटल में दिखाया, जाँचें
हुयीं, जाँच में किडनी में समस्या बताकर
वहाँ से मुझे झाँसी के लिए रिफर किया गया, लेकिन
मैं झाँसी न जाकर कानपुर में डॉक्टर अर्चना भदौरिया को दिखाया, उनका
६ माह तक इलाज चला, कुछ
ज्यादा आराम न होने पर उन्होंने डायलेसिस या ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया।
तब मैं झाँसी गया और वहाँ डॉ. डी.एन. मिश्रा को
दिखाया, वहाँ पर २-३ दिनों की ही दवायें
खाने से और ज्यादा परेशानी होने लगी, मैं
बिल्कुल ऑन बेड हो गया, फिर मैंने झाँसी में ही दूसरी जगह
दिखाया, वहाँ भी दवाओं से भी कोई आराम नहीं
मिला, फिर झाँसी के मेडिकल कॉलेज में ८
दिनों तक भर्ती रखा गया, लेकिन क्रिटनीन कम होने के बजाय
बढ़ता ही चला जा रहा था, परेशानी भी और बढ़ गयी, तो
यहाँ भी डायलेसिस या ट्रांसप्लांट के लिए ही बोल दिया गया। मैं
वहाँ से आकर झाँसी के होम्योपैथी डॉक्टर को दिखाया, उनका
भी ६ माह तक इलाज चला।
लेकिन मौसम बदलने के कारण फिर से खाँसी, बुखार
आने लगा, कमर में दर्द बहुत होने लगा, कुछ
भी खाने-पीने में उल्टियाँ होने लगीं। ११.११.२०२० को ज्यादा परेशानी होने मैं लखनऊ
गया, वहाँ पर भी डायलेसिस के लिए बोल
दिया गया। मैं डायलेसिस से बचने के लिए घर आ गया, तभी
मुझे मेरे ही एक रिश्तेदार के द्वारा आयुष ग्राम
(ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट का
पता चला।
![]() |
आयुष ग्राम चिकित्सालय में भर्ती होने के समय 13/09/2020 की रिपोर्ट |
मैं १३ नवम्बर २०२० को आयुष ग्राम
चित्रकूट पहुँचा, रजिस्ट्रेशन
करवाया गया फिर नम्बर आने पर ओपीडी-२ में डॉक्टर वाजपेयी जी के
पास बुलाया गया। आयुष ग्राम चित्रकूट में सारी जाँचें देखीं गयीं और कुछ जाँच फिर
से करवाई तो हेमोग्लोबिन ८.३, क्रिटनीन
१५.६४, यूरिया ६४.५, यूरिक
एसिड ९.२ आया।
११ नवम्बर २०२० को लखनऊ में जाँच करवाकर आया था
उसमें हेमोग्लोबिन ८.४, क्रिटनीन
१४.८, यूरिया ३७८.७, एएलपी
२९४.६ आया था। उस समय मुझे बहुत ज्यादा समस्यायें हो रही थीं
मैं बिल्कुल बिना सहारे बैठ नहीं पा रहा था, उल्टियाँ
एक बूँद पानी तक अन्दर नहीं जा पा रहा था, तुरन्त
उल्टियाँ हो जाती थी, सूजन थी, कमर
के पीछे दर्द बहुत रहता था मैं डायलेसिस सुनकर बहुत घबराया हुआ और डरा हुआ था, ब्लड
प्रेशर भी बढ़ने लगा, उससे
घबराहट और हाथ-पैर काम नहीं करने लगते थे।
![]() |
11 नवम्बर 2020 रिलीफ़ हॉस्पिटल लखनऊ की रिपोर्ट |
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूट
में डॉक्टर वाजपेयी जी ने अच्छे से देखा और कहा कि डायलेसिस न करवाना पड़े हम पूरी
कोशिश करते हैं और भर्ती होने की सलाह दी, मैं
तुरन्त भर्ती हो गया। मुझे २८ दिनों में काफी आराम मिल गया। मेरी उल्टियाँ बिल्कुल
बन्द हो गयीं, मेरी सूजन भी कम हो गयी, भूख
भी लगने लगी, ब्लड प्रेशर भी ठीक रहने लगा, दर्द
में आराम मिल गया, बिल्कुल
डायलेसिस की कोई जरूरत नहीं पड़ी।
१० दिसम्बर २०२० को आयुष ग्राम
चित्रकूट
में जाँच करवाने पर हेमोग्लोबिन ८.३ से बढ़कर ९.०, क्रिटनीन
१५.६४ से घटकर १२.८, यूरिया
१४०.३८, यूरिक एसिड ९.२ से घटकर ६.६ आ गया।
![]() |
आयुष ग्राम चिकित्सालय मे भर्ती होने के 28वें दिन की रिपोर्ट |
हम इतने खुश हैं कि बता नहीं सकते कि मैं डायलेसिस से बच गया जहाँ कई अच्छे-अच्छे डॉक्टरों ने डायलेसिस के सहारे ही जीवित रहने की बात कही, वहीं आज बिना डायलेसिस के मैं १ माह से बहुत अच्छे से बिना किसी परेशानी के आज खूब चल रहा हूँ। अंग्रेजी दवायें सभी बन्द हो गयीं, कभी-कभी ब्लड प्रेशर की लेनी पड़ती है।
आगे भी मेरा यदि यूरिया, क्रिटनीन गिरता गया तो मैं पूरा स्वस्थ हो जाऊंगा, इसकी पूरी संभावना है
मेरा पूरा परिवार आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चित्रकूट के सर व पूरे स्टॉफ को धन्यवाद देता है जिन्होंने मुझे डायलेसिस व ट्रांसप्लांट से बचा लिया और रोज मेरे जैसे किडनी, रीढ़ और हार्ट, लिवर रोगियों को बचा रहा है।
रफीक
बेग
मु. हाथी खाना चरखारी, महोबा (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
0 टिप्पणियाँ