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डॉ. मानवेन्द्र गुप्ता (पूर्व चीफ़ मेडिकल ऑफिसर) |
मैं कानपुर नगर (उ.प्र.) से डॉ.
मानवेन्द्र गुप्ता (उम्र ६२) और चीफ मेडिकल ऑफीसर (सीएमओ) पद से रिटायर्ड हूँ।
मुझे १५ नवम्बर २०२० को अचानक लेटे-लेटे ऐसा लगा कि मुझे पैरालायसिस का अटैक आया
है, मेरे बायीं टांग में दर्द बहुत था और
बिल्कुल काम करना बन्द कर दिया, मेरे बेटे ने कानपुर के न्यूरो के डॉक्टर वाजपेयी जी को दिखाया, उन्होंने एमआरआई करवाने की सलाह दी, मैंने विकास डायग्नोसिस सेण्टर से अपनी
एमआरआई करवाई, एमआरआई में डिस्क में समस्या बताई।
मैंने भी जाँच देखी और कई अंग्रेजी डॉक्टरों को अपनी एमआरआई रिपोर्ट दिखाई क्योंकि
मैं तो डॉक्टरों के बीच में ही जीवनभर रहा। एल-३, एल-४, एल-५ व सी-३, सी-४, सी-५ में समस्या बताई और सभी हमारे भाई
लोगों डॉक्टरों ने ऑपरेशन ही करवाने की सलाह दी।
मैं तो सब जानता ही था कि ऑपरेशन
करवाने के बाद मेरी दुर्दशा क्या हो सकती है, मेरे
पैरों में बहुत असहनीय दर्द था और मैं १५ नवम्बर से ही ऑन बेड हो गया। मैं बिल्कुल
ऑपरेशन नहीं करवाना चाह रहा था क्योंकि मैं ऐसा मानता था कि ऑपरेशन के बाद तो मैं
पूरी जिन्दगी के लिए विकलांग ही बन जाऊँगा ।
तभी मेरे बेटे को आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला कि यहाँ बिना ऑपरेशन रीढ़ (न्यूरो) के
रोगों का बहुत ही अच्छा और सफल इलाज है, यहाँ के डॉक्टर वाजपेयी इस क्षेत्र में
बहुत काम किया और अनगिनत लोगों को अपने पैरों खड़ा किया। मेरे बेटे ११ दिसम्बर २०२० को लेकर आयुष ग्राम
चित्रकूट पहुँचे, वहाँ रजिस्ट्रेशन हुआ फिर नम्बर आने पर
ओपीडी-२ में डॉक्टर वाजपेयी जी के पास बुलाया गया उन्होंने मुझे देखा और उस समय किसी
तरह से व्हील चेयर के सहारे से उनके पास पहुँचा। उन्होंने एमआरआई देखी और
समस्यायें पूछी। उस समय मेरा ब्लडप्रेशर भी २००/११० था, उन्होंने मुझे २ सप्ताह के लिए भर्ती
होने की सलाह दी लेकिन मैं तैयारी से गया नहीं था अत: कानपुर आकर १४ दिसम्बर २०२०
को पुन: आयुष
ग्राम चित्रकूट
पहुँचा।
उन्होंने मुझे भर्ती किया और मेरी दवायें शुरू
हुयीं व पंचकर्म थैरेपी शुरू हुयी। बहुत ही सुन्दर, शांत जगह पर बना विशुद्ध आयुष चिकित्सालय, जहाँ एक भी मॉडर्न मेडिसिन प्रयोग नहीं
की जाती है और रीढ़,
किडनी, हार्ट के गंभीर रोगी ठीक होते हैं। आप विश्वास करें कि मैं २-३ दिनों में
अपने बिना सहारे से ५-६ कदम रूम में ही चलने लगा और आज १४ दिनों में मैं अपने आप
से अपने रूम से नीचे सीढ़ियों से उतरकर मैं डॉक्टर वाजपेयी जी के कक्ष में गया।
मैं बहुत खुश हूँ और आश्चर्य चकित भी
कि इतनी जल्दी जैसा
डॉक्टर वाजपेयी जी ने कहा था कि मैं २ सप्ताह में चला दूँगा, वैसा ही हुआ, मेरा आत्म विश्वास था कि मैं ऑपरेशन
नहीं कराऊँगा और चलूँगा। जिस केस में अंग्रेजी डॉक्टर्स बिना ऑपरेशन के चलना तो दूर उठकर बैठ
न पाने को कहते थे, वहीं आज बिना किसी अंग्रेजी दवायें व
बिना सहारे के मैं चलने लगा हूँ।
मुझे एक छोटे बच्चे की तरह खुशी हो रही है कि
जैसे छोटा बच्चा खड़ा होकर चलने की कोशिश करता है फिर जैसे ही वह चलने लगता है तो
वह बहुत खुश होता है, बच्चा
तो वह अपनी खुशी किसी से बता नहीं पाता, लेकिन मुझे आज उसी छोटे बच्चे की तरह खुशी हो रही है और मैं सभी से
अपनी खुशी को बता रहा हूँ।
मुझे आज १ माह की दवायें देकर
डिस्चार्ज किया जा रहा है और फिर अगले माह ७ दिनों की पंचकर्म चिकित्सा लेने की
सलाह दी है, मैं समय से आऊँगा और चिकित्सा लूँगा।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं बिना ऑपरेशन और बिना अंग्रेजी दवाओं के
मैं तो बहुत जल्द सभी के सामने दौड़ लगाता नजर आऊँगा। मेरी बात सब जगह आप पहुँचायें
शायद मेरी तरह पीड़ित किसी दूसरे का भला हो सके।
डॉ. मानवेन्द्र गुप्ता
सेवानिवृत्त चीफ मेडिकल ऑफीसर (C.M.O.) ११-एल/११ दबौली, कानपुर नगर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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