- डॉक्टर साहब हार्ट रोग से टूट गये थे अब लगा रहे दौड़।
- नियम विरुद्ध आहार करने से आया हार्ट अटैक।
यस्य नाशान्तु नाशोऽस्ति धारि यद्धृदयाश्रितम्।।
(च.सू. ३०/९-११)
तथा ओज के व्यापद् में आने पर शरीर के मरने-जीने की आ पड़ती है। इस प्रकार आयुष ग्राम चिकित्सालयम् रोग के मूल कारण (सन्निकृष्ट निदान) तक पहुँच गया। यह भी स्पष्ट हो गया कि रोग असाध्य नहीं है इसे ठीक किया जा सकता है और ऑपरेशन से बचाया जा सकता है।
अब चिकित्सा के क्रम में हमें पहुँचना है तो देखिए चरक कितना वैज्ञानिक निर्देश देते हैं-
एषां खल्वपरेषां च ... ... ... तद्यथा वमनं, विरेचनं च तद्विरोधिनां च द्रव्याणां संशमनार्थमुपयोग:, तथाविधैश्च द्रव्यै: पूर्वमभिसंस्कार: शरीस्येति।।
च.सू. २६/१०४।।
अर्थात् यदि कोई रोग विरुद्ध आहार से हुआ है तो यथोचित पंचकर्म कराने का निर्देश है फिर विरुद्ध आहार के प्रभाव को नष्ट करने वाले द्रव्यों का प्रयोग आदि करना चाहिए।
तदनुसार डॉ. भारती का शोधन किया गया और औषधि व्यवस्था में-
१. त्रिनेत्र रस ५ ग्राम, रत्नेश्वर रस २ ग्राम, हेमगर्भ पोटली रस (यो.र.) २ ग्राम, पोहकरमूल घनसत्व १० ग्राम, त्रिकटु चूर्ण १० ग्राम, प्रवालपंचामृत मु.यु. १० ग्राम सभी घोंटकर ६० मात्रा। १-१ मात्रा मधु व अदरख के साथ।
२. षटपलघृतम् ५-५ ग्राम दिन में २ बार खाली पेट चाटकर। ५०-५० मि.लि. गर पानी पीना था। यह घृत श्रेष्ठ स्रोतोरोध नाशक है।
भगवान् आत्रये बताते हैं-
पिप्पली पिप्पलीमूलचव्यचित्रकनागरै:।
सयावशूकै: सक्षीरै: स्रोतसां शोधनं घृतम्।।
च.चि. ८/१७१।।
३. रसकामधेनु ग्रन्थ का हृद्रोगहररस: (हींग, शुण्ठी, चित्रकमूल, कूठ, यवक्षार, हरड़, बच, नवसादर (शु.), पिप्पली, एरण्डमूल, पोहकरमूल तथा पारद भस्म सभी बराबर लेकर अच्छी तरह जौ के क्वाथ में खरल कर ५००-५०० मि.ग्रा. गोली बनाकर रखना चाहिए। भोजन के पूर्व दिन में २ बार।
४. रात में सोते समय- जटामांसीघन ५०० मि.ग्रा.।
चमत्कारिक परिणाम- उपर्युक्त चिकित्सा से डॉ. हंसराज भारती एक माह में ऐसे हो गये जैसे उन्हें कोई रोग ही न हो। वे कहने लगे कि मैं तो टूट गया था, पर आयुष से जीवनदान मिल गया।
८ माह बाद धीरे-धीरे दवायें कम करते हुये लगभग सभी दवाइयाँ बन्द हो गयीं। डॉ. हंसराज भारती एलोपैथ चिकित्सा व्यवसाय से सन्नद्ध होने के बावजूद अब आयुष चिकित्सा उदार प्रसंशक और पोषक हो गये हैं। वे न जाने कितने हार्ट रोगियों को आयुष ग्राम चित्रकूट भेज चुके हैं और भेजते रहते हैं।
डॉ. भारती ठीक होते-होते सभी के कल्याणार्थ अपने विचार इस प्रकार लिखे-
मैं डॉक्टर होकर भी हार्ट रोग से टूट गया था : आयुष ग्राम ने दिया जीवन
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डॉ हंसराज भारती |
मई २०१८ के एक दिन अण्डाकरी खायी और दूध पिया। २-३ घण्टे बाद अचानक दम घुटने लगा। मैंने स्वयं ‘ट्राइका, अस्थालीन और जिनटैक गोली खायी। उससे थोड़ा आराम तो मिला। लेकिन एक हफ्ते बाद फिर वही दिक्कत होने लगी। बनारस में ही अंग्रेजी कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाया, उन्होंने ई.सी.जी. किया, एंजियोग्राफी की फिर बताया कि आपके हार्ट में ब्लॉकेज हैं तथा एक आर्टरी में लीकेज भी है। उन्होंने बाईपास सर्जरी के लिए कह दिया। फिर मैं पीजीआई लखनऊ गया वहाँ भी ऑपरेशन बताया। १२ लाख का इस्टीमेट दिया। यह भी बताया कि ऑपरेशन सफल होने के ९९ प्रतिशत चाँस नहीं हैं। फिर मैं दिल्ली ‘एम्स’ गया वहाँ डॉक्टर बहल को दिखाया, उन्होंने रिपोर्ट देखा और कहा कि मामला क्रिटकल है, हार्ट ३० प्रतिशत ही काम कर रहा है अत: ऑपरेशन करना पड़ेगा। परिवार के सभी लोग परेशान थे। तभी मुझे एक मित्र ने आयुष ग्राम ट्रस्ट, चित्रकूट के आयुष कार्डियोलॉजी के बारे में बताया कि यहाँ के डॉक्टर हार्ट रोगियों को पंचकर्म चिकित्सा, खान-पान परिवर्तन तथा दवाइयों से ऑपरेशन से बचा रहे हैं, लगातार रोगी नया जीवन पा रहे हैं। यह आयुष विज्ञान का बहुत बड़ा संस्थान है। एम.डी. डॉक्टर कार्य कर रहे हैं।
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मैं तुरन्त ही अपने परिजनों के साथ आयुष ग्राम (ट्रस्ट), चित्रकूट के आयुष ग्राम चिकित्सालयम् गया। वहाँ डॉ. अर्चना वाजपेयी, डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी और कुछ डॉक्टरों ने सारी रिपोर्ट देखीं। नाड़ी, जीभ देखी और कुछ जाँचें भी करायीं। फिर कहा कि आप चिन्ता छोड़ दें आप बिना ऑपरेशन के ठीक हो जायेंगे। १५ दिन के लिए मोबाइल छोड़ दें, शांति अपनायें और चिकित्सा लें। मुझे जैसा बताया गया मैंने वैसा किया। पहले महीने ही मुझे लाभ मिल गया। दूसरे माह से तेजी से सुधार होने लगा। ६ माह में तो ऐसा लगने लगा कि मुझे कोई बीमारी ही नहीं।
अब तो मेरी दवाइयाँ भी कम हो गयी हैं। मैं तो स्वयं यह कहता हूँ कि काश! ऐसे अस्पताल और डॉक्टर सब जगह हो जायें तो लोग मेरी तरह ऑपरेशन से बच जायें।
मेरा अनुभव है कि यहाँ के डॉक्टर, नर्स इतने अच्छे, सरल व्यवहार वाले हैं कि उनके सिर्फ, देखने, पूछने और सान्त्वना देने से आधा कष्ट दूर हो जाता है। हम सब डॉक्टरों को भी उनकी तरह ही लोकहित को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिये।
डॉ. हंसराज भारती
हाजीपुर (फरीदाबार) हरवसपुर,
जौनपुर (उ.प्र.)
डॉ मदन गोपाल वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य, पी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी., विद्यावारिधि, साहित्यायुर्वेदरत्न
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा) आयुर्वेद
डॉ आर.एस. शुक्ल आयुर्वेदाचार्य
हाजीपुर (फरीदाबार) हरवसपुर,
जौनपुर (उ.प्र.)
मोब.न. 9919527646, 8601209999
डॉ मदन गोपाल वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य, पी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी., विद्यावारिधि, साहित्यायुर्वेदरत्न
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव
डॉ परमानन्द वाजपेयी
बी.ए.एम.एस., एम.डी.(अ.)
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा) आयुर्वेद
डॉ आर.एस. शुक्ल आयुर्वेदाचार्य
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