आयुर्वेद की बात पुष्ट हुई खून भी बढ़ती है अदरख !

आयुर्वेद की बात पुष्ट हुई खून भी बढ़ती है अदरख !
सोचे, कौन सी प्रयोगशाला थी हमारे वैदिक ऋषियों के पास ?

➡️ एक बार सोचना पड़ता है कि हमारे पूर्वजों और भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों, ऋषियों के पास कौन सी प्रयोगशाला थी कि हजारों वर्ष पूर्व उनका प्रतिपादित ज्ञान-विज्ञान आज के विज्ञान की कसौटी पर खरा उतर रहा है।

➡️              अदरक की बात करें या सोंठ (शुण्ठी) का स्वरूप पायी अदरक की। इसे हजारों साल पहले प्राचीन भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक चरक ने विश्व भेषजनाम दिया था, आचार्य भावमिश्र ने भी इसे विश्वा, विश्व और महौषधि कहा।

➡️               उस समय भले ही जन सामान्य ने इसके विश्वभेषज नाम को अतिशयोक्ति माना हो पर पिछले वर्षों भू लोक में आयी भयंकर कोरोना की लहरों के इलाज में अदरक और सोंठ ने अपनी अद्भुत औषधीय भूमिका निभाकर अपने विश्वभेषज नाम को प्रमाणित किया, दुनिया को बता दिया कि ऋषि वाक्य कभी व्यर्थ नहीं होते।

➡️                अदरक केवल सर्दी, जुकाम, कोरोना या चाय मसाला या केवल काढ़े का घटक नहीं है। आचार्य चरक ने सोंठ को-

सस्नेहं दीपनं वृष्यमुष्णं वातकफापहम्।

विपाके मधुरं हृद्यं रोचनं विश्वभेषजम्।।

च.सू. २७/२९६।।

  ➡️              स्नेहयुक्त, अग्निप्रदीपक, वीर्यवर्धक, गरम, वात-कफ नाशक, मधुर विपाकी और हृदय के लिए कह दिया।

               


➡️              दुनिया के प्रथम शल्य वैज्ञानिक आचार्य सुश्रुत ने अदरक और सोंठ दोनों को हृद्यं, वृष्यम् कहा। यानी हृद्य होने से रसधातु पर सकारात्मक कार्य करने वाली तथा वृष्य होने शुक्र और ओज का निर्माण करने वाली उसे पुष्ट और निर्विकार करने वाली सिद्ध होती है। यह तो सिद्ध तथ्य है कि जो द्रव्य (Drug) रस धातु पर कार्य करेगा तथा वीर्य/शुक्रधातु को बढ़ायेगा वह निश्चित रूप से रक्तको बढ़ायेगा ही। यही धातु परिपोषण क्रम का सिद्धान्त है, जो द्रव्य अग्निप्रदीपक होगा वह केवल जठराग्नि को ही नहीं बल्कि धात्वाग्नि को व्यवस्थित करेगा। इस प्रकार अदरक खून को बढ़ाने में समर्थ है।
 
➡️                यह तो हुआ तर्क सिद्ध तथ्य, पर जब हम वृहन्निघण्टु रत्नाकर को देखते हैं तो स्पष्ट लिखा भी मिलता है कि अदरक-

‘‘जम्बीरसैन्धवयुतंरुचिदंमुखशुद्धिकृत्।

मूत्रकृच्छ्रं पाण्डुरोगं रक्तपित्तं व्रणं तथा।

मूत्राश्मरीं ज्वरं दाहंपित्तंग्रीष्मेशरद्यपि।

नाशयेदिति च प्रोत्तंâशेषाविश्वासमागुणा:।।’’

शालिग्राम निघण्टु।।

➡️                अर्थात् जम्बीरी नींबू और सेन्धा नमक के साथ अदरक से मुख का शोधन करता है तथा मूत्रकृच्छ्र, पाण्डुरोग, रक्तपित्त, घाव, को भरता है। अब तो स्पष्ट हो गया न कि भारतीय चिकित्सा के प्राचीन वैज्ञानिकों आचार्यों को पता था कि अदरक में रक्तवर्धक सम्पत्ति है।

➡️                लखनऊ के बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देवेश कुमार आम लोगों की प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए शोध कर रहे हैं। घरेलू सस्ते उपचार की मंशा के अनुरूप अदरक में पाये जाने वाले तत्व का विश्लेषण कर रोग प्रतिरोधक क्षमता और हेमोग्लोबिन बढ़ाने के गुण होने की बात की। इसे केवल अमेरिका ने नहीं बल्कि विश्व के दो प्रतिशत श्रेष्ठ विज्ञानियों में इनका नाम शामिल कर कम्पनियों की नींद उड़ा दी। प्रोफेसर देवेश ने बताया कि अदरक में ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो शरीर के अन्दर के सूक्ष्म पोषक तत्वों को दुरुस्त करते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता और हेमोग्लोबिन बढ़ता है। यह है हमारा वैदिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद।

✒ आचार्य डॉ मदन गोपाल वाजपेयी





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