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रामदास मौर्य साथ में पत्नी श्रीमती तारा देवी |
➡ मैं रामदास मौर्य मेरी पत्नी श्रीमती तारा देवी (उम्र ६३ वर्ष) हम लोग फतेहपुर उ.प्र. के राधा नगर, अन्दैली रोड से हैं। मैं जल निगम में सेवा कर्मचारी हूँ।
➡ पत्नी को फरवरी २०२० में अचानक से आधे शरीर में छलके पड़ गये तो हम घर पर ही कुछ इलाज व अंग्रेजी दवायें करते रहे, आराम नहीं मिल पाया। उसी समय लॉकडाउन हो गया था। हम लोग फतेहपुर के कई हॉस्पिटल में दिखाया तो डॉक्टरों ने अंग्रेजी दवायें दीं और इंजेक्शन लगाते रहे पर कोई आराम नहीं मिला, लगातार दवा खाने से हल्का-हल्का आराम मिला लेकिन शरीर में गाँठ जैसी निकलने लगीं और खुजली होने लगी, पेन किलर दवा लगातार खिलाते रहे।
➡ ४ अप्रैल २०२१ को थोड़ा-थोड़ा श्वास की समस्या होने लगी, कमजोरी, भूख न लगना आदि समस्याओं के चलते हमने कानपुर में कार्डियोलॉजी ले गये और हार्ट के डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा कि हार्ट में कोई समस्या नहीं है और सीबीसी जाँच करवायी और २ माह की दवायें दीं तो हल्का आराम मिला परन्तु पेट में काफी समस्या होने लगी। तभी हम लोगों ने वहीं फतेहपुर के प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया, उन्होंने भी अंग्रेजी दवा दिया पर आराम नहीं हुआ। फिर अल्ट्रासाउण्ड करवाया तो डॉक्टर ने कहा कि फेफड़ों और पेट में पानी हो सकता है। अब हमें कोई रास्ता नहीं दिखायी दे रहा था।
➡ तभी हम लोगों को अपने गाँव के पड़ोसी श्री जयप्रकाश जी जिनकी पत्नी का इलाज आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट में चल रहा था के द्वारा आयुष ग्राम चित्रकूट के बारे में पूरी जानकारी मिली।
➡ अब हम लोग १६ मई २०२१ को तारा देवी को लेकर आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचे, रजिस्ट्रेशन करवाया, नम्बर आने पर ओपीडी-१
में डॉ. महेन्द्र त्रिपाठी के पास बुलाया गया उस
समय काफी हालत गम्भीर थी।
➡ शरीर में जलन, उल्टी होना, चक्कर आना, कमजोरी, घबराहट, बेचैनी, पेट में गैस बनना, गले में जलन, बिल्कुल भी उठ-बैठ नहीं पाती थीं बहुत समस्यायें थीं। पर हमें यह पता था कि उत्तर भारत का यह एक ऐसा आयुष संस्थान है जहाँ ऐसे-ऐसे प्राचीन ‘रस’ उपलब्ध हैं जो कि मरते हुए व्यक्ति में एक बार प्राण लौटा देती हैं।
➡ आयुष ग्राम चित्रकूट में डॉ. त्रिपाठी जी ने सारी समस्यायें पूछीं और जाँचें करवायीं। जाँच रिपोर्ट आने पर उन्होंने भर्ती होने की सलाह दी, हम लोग भर्ती हो गये, चिकित्सा शुरू हो गयी, १ सप्ताह तक हालत गंभीर होती गयी। डॉ. वाजपेयी जी राउण्ड पर आये उन्होंने कुछ दवायें और जोड़ी और पंचकर्म भी। अब १२-१३ दिन में काफी आराम मिलने लगा। आज हमारी तारा देवी खुद कह रही हैं कि मैं बिल्कुल ठीक हूँ। १६ मई २०२१ की जाँच में- क्रिटनीन १.५, यूरिया ३५.६, आ गया।
➡ लगभग ३ सप्ताह तक हम यहाँ रहे। इन दिनों में शरीर में जलन, उल्टी, चक्कर, कमजोरी, घबराहट, बेचैनी, पेट में गैस बनना, गले में जलन, जैसी आदि समस्याओं में बहुत आराम मिल गया और भूख भी अच्छी लगने लगी।
➡ अब ४ जून २०२१ की जाँच में क्रिटनीन १.३, यूरिया ३८.४ आ गया। हम और हमारा पूरा परिवार बहुत खुश है और आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट के पूरे स्टॉफ को धन्यवाद देता है। उस समय कोरोना काल में कोई अस्पताल मरीजों को न तो बेड उपलब्ध करा रहा था न दवायें। सभी डरे थे। पर आयुष ग्राम में विधिवत् रोगियों को एक समान देखा जाता है।
श्रीमती तारा पत्नी रामदास मौर्य
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
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