मैं सेवा निवृत्त शिक्षक
हूँ, मेरी उम्र ६६ साल
है, मैं हाल निवासी
सिद्धार्थ नगर, शिव कॉलोनी, गली नं.-१, सतना (म.प्र.)
में मेरा निवास है। मुझे २० अक्टूबर २०१९ को साइकिल चलाते समय मेरे सीने में अचानक
दर्द उठा और कमजोरी इतनी लगने लगी कि मुझे बैठना पड़ा। मैंने इसको अनदेखा कर सोचा
कि मेरी उम्र हो गई इसलिए है। फिर बीच-बीच में ये सब होता रहा लेकिन मैंने बिल्कुल
ध्यान नहीं दिया।
मैं यह सब सुनकर
बहुत घबरा गया और मन में हमेशा चिन्ता रहती थी कि कहीं हार्ट अटैक न आ जाये। मैं
१० नवम्बर २०१९ को आयुष ग्राम
ट्रस्ट, चित्रकूट की आयुष कार्डियोलॉजी में अपने लड़के
के साथ आया। यहाँ के बारे में मुझे पहले से पता था क्योंकि कई मरीजों को पहले मैं
यहाँ ला चुका था।
२० अक्टूबर को
अचानक मेरे सीने में फिर बहुत तेज दर्द उठा तो मेरे परिवार के लोग घबराकर सतना के
ही डॉ. तिवारी के पास ले गये। उन्होंने ईसीजी करवायी और १५ दिन की दवा देकर घर भेज
दिया। फिर मैं १ नवम्बर को इन्दौर गया, मुझे लगा कि जाँच करवा लेनी चाहिए, मैंने अपने आप से
जाँच करवाने की सोची, तो मुझे
एंजियोग्राफी की सलाह दी गयी, मैंने एंजियोग्राफी जाँच करवायी, जाँच देखकर
डॉक्टर ने बताया कि आपके हार्ट में ७८ % ब्लॉकेज हैं और डॉक्टर ने यह भी कहा कि आप ४-५
दिन के अन्दर बाईपास सर्जरी करवा लीजिए नहीं तो हार्ट अटैक आ सकता है।
मेरा रजिस्ट्रेशन
हुआ, फिर मेरा नम्बर
आने पर मुझे हार्ट रोग की ओपीडी में ले जाया गया, वहाँ पर मुझे एक जाँच लिपिड प्रोफाइल करवाने की सलाह दी गयी। जाँच
आने के बाद हृदय/किडनी
चिकित्सा (त्रिमर्म चिकित्सा) विभाग के डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी जी के पास
बुलाया गया। मेरा नाड़ी परीक्षण हुआ फिर १२ दिन के लिए भर्ती होकर आचार्य चरक
पद्धति से शोधन चिकित्सा की सलाह दी गयी, कहा गया कि १२ दिन में ही आप हँसते-हँसते दौड़कर यहाँ से
जायेंगे। मैंने ऐसा ही किया, १२ दिन के लिए यहाँ रह गया। यह अस्पताल क्या एक भव्य
प्राकृतिक और प्रदूषण रहित वातावरण का आरोग्य केन्द्र है। प्रभु श्रीराम की
तपस्थली में स्थित यह संस्थान सेवा कर रहा है। अब मुझे सर्वांगधारा, शिरोधारा, हृद्बस्ति, अनुवासन और निरूह
बस्ति दी जानी लगी, बहुत ही आरामदायक
चिकित्सा, चिकित्सा में
आनन्द आता गया। दवाइयाँ और उचित खान-पान भी दिया गया।
![]() |
राज किशोर पटेल |
जब मैं यहाँ पर आया था तब मुझे घबराहट, बेचैनी, (हाथों-पैरों में)
कम्पन, ५० मीटर चलने के
बाद बैठना पड़ता था, सीने में दर्द और
हमेशा चिन्ता रहती थी कि हार्ट अटैक न हो जाये। ये सभी समस्यायें हो रही थीं।
आज मुझे १२ दिन
बाद १ माह की दवा देकर डिस्चार्ज किया जा रहा है, इस समय मैं अपने आपको पूर्णत: स्वस्थ समझता हूँ
मुझे तो ६० प्रतिशत से भी ज्यादा आराम है और मेरी अंग्रेजी दवायें भी बन्द हैं।
मेरा डर खत्म हो गया। तीन माह बाद ‘इको’
कराने की सलाह दी
गयी है।
मैं और मेरा पूरा परिवार
बहुत खुश है मैं तो १२ दिन में ही सीढ़ियाँ चढ़ने लगा और आराम से चलने लगा। अब मुझे
दवाइयाँ खानी है और हर माह दिखाना है, खान-पान का चार्ट दे दिया गया। मैं ऑपरेशन से बच गया। वैसे
भी मुझे पता है कि ऑपरेशन का परिणाम अच्छा नहीं आता। मैं तो सभी से कहता हूँ कि
सभी मेरी तरह सुखी हों।
- राजकिशोर पटेल, सेवानिवृत्त
शिक्षक,
सिद्धार्थ
नगर,
शिव कॉलोनी, गली
नम्बर-१,
सतना (म.प्र.)
मोबा.नं.-
९९७७०२५१३७
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