NOVEMBER 21,
हार्ट
रोगियों को अंग्रेजी अस्पताल अमूमन लिखते हैं-
इकोस्प्रीन/एस्प्रिन
एण्टासिड
बीटाब्लॉकर
स्टेंट या
बाईपास सर्जरी
अब
आप इनके प्रभाव पर गौर करें-
इकोस्प्रीन/एस्प्रिन असल में खून को पतला तो करती है किन्तु
हार्ट को मजबूती प्रदान करने में इसका कोई योगदान नहीं है। किन्तु ये दवा गुर्दों
की सेहत को नुकसान पहुँचाती है इसके अलावा आन्तरिक रक्तस्राव का खतरा बढ़ाती है।
आंतों की बीमारी, अपच, रक्त के प्लेटलेट
में कमी, आंत के घाव, सीने में जलन, एसिड रीफ्लक्स, अनियमित दिल की
धड़कन, कब्ज, त्वचा पर चकत्ते, त्वचा का पीला
पड़ना, श्वास रोग और
शरीर को कमजोर करती है।
एण्टासिड के रूप में दो तरह की दवाईयाँ लिखते हैं पहला रिनेटीडीन
(एसिलॉक जैसी) दूसरा ओमेप्राजौल, लैंसोप्राजोल, रेबिप्राजोल, पैण्टाप्राजोल। इन दवाओं का
हार्ट रोग से कोई सम्बन्ध नहीं है, रिनेटिडीन दवा का कैंसर पैदा करने वाला प्रभाव सामने आ चुका जिसकी
बिक्री पर भारत सरकार ने पिछले साल रोक लगा दिया तो दूसरी दवाइयाँ ओमेप्राजोल आदि
का यह प्रभाव सामने आ गया कि ये दवाइयाँ किडनी खराब करतीं हैं जिससे ५ नवम्बर २०१९
को भारत सरकार ने राज्य सरकारों को आदेश कर दिया कि इन दवाओं के रैपर पर यह जरूर
लिखा जाये कि यह दवा किडनी खराब करती है।
बीटाब्लॉकर ये दवाइयाँ
प्राय: ब्लडप्रेशर को तो कम करती हैं किन्तु हृदय गति को भी कम करती हैं। यदि यह
दवाइयाँ दूध पिलाने वाली मातायें खाती हैं तो निश्चित् रूप से बच्चे पर बुरा
प्रभाव पड़ता है। इन दवाइयों की भी हृदय को मजबूत और निरोग करने में कोई भूमिका
नहीं है अपितु यह दवाइयाँ खाते-खाते हार्ट और किडनी दोनों को खतरा हो जाता है।
भारत के अंग्रेजी
अस्पताल और डॉक्टरों ने हृदय रोगियों में धुँआधार स्टेंट या बाईपास सर्जरी
अपनायी, स्टेंट और बाईपास
सर्जरी के बाद रोगी के हालत और बिगड़ने लगे। किन्तु १६ नवम्बर २०१९ को अमेरिका के
वैज्ञानिकों ने बाईपास सर्जरी और स्टेंट पर सवाल उठा दिये। सीधे कह दिया कि स्टेंट
और बाईपास सर्जरी हार्ट रोगियों के लिए उतनी कारगर नहीं है जितनी औषधीय चिकित्सा।
यह रिसर्च १९ नवम्बर २०१९ को दुनियाभर में प्रकाशित हुयी। वैज्ञानिकों ने यह भी कह
दिया कि औषधीय चिकित्सा कराये लोगों की अपेक्षा स्टेंट और बाईपास सर्जरी किये गये
हार्ट रोगियों की मौतें भी अधिक हुयीं।
अब
आप ही बतायें और विचार करें कि यह इलाज हो रहा है या और कुछ। जबकि हार्ट के मरीज, अंग्रेजी
डॉक्टर/अस्पताल में ही सबसे पहले अपने इलाज के लिए पहुँचते हैं.....बेचारे, निर्दोष, निरीह, मासूम
और दुर्भाग्य से ग्रस्त।
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